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समाज

रोजगार पर गंभीर असर डालता कोरोना वायरस

२४ मार्च २०२०

बांग्लादेश में फैक्ट्रियों में काम करने लाखों कर्मचारी भुखमरी के कगार पर पहुंच सकते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि दुनिया के मशहूर फैशन ब्रांड्स ने या तो अपने ऑर्डर रद्द कर दिए हैं या फिर उन्हें आगे खिसका दिया है.

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Bangladesch Textilfabrik in Dhaka | Arbeiterinnen
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/M. Hasan

बांग्लादेश कपड़ा उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि यह ऑर्डर करीब 138 अरब डॉलर के हैं. खुदरा बिक्री में तेजी से आई वैश्विक गिरावट के बाद 100 से अधिक बांग्लादेशी फैक्ट्रियों के आर्डर पहले ही रद्द हो चुके हैं. जारा, एच एंड एम ने अस्थायी तौर पर यूरोप में अपने स्टोर बंद कर दिए हैं. कोरोना वायरस ने चीन के बाद सबसे ज्यादा यूरोप को ही प्रभावित किया है. बांग्लादेश गार्मेंट मन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन की अध्यक्ष रुबाना हक कहती हैं, "हम निर्यात से होने वाली आय पर पूरी तरह निर्भर होते हैं."

इस एसोसिएशन के 4,000 से अधिक सदस्य हैं. वह कोरोना वायरस को "सदी का अभिशाप" करार देती हैं. वह कहती हैं, "हमारी सभी ब्रांड्स से अपील है कि जून तक ऑडर्स जारी रखे, किसी भी रूप में हमारा समर्थन जारी रखे ताकि कर्मचारी भूखे न रहे. ऑर्डर रद्द हो जाएंगे तो उनका जीवन कैसे चलेगा?"

चीन के बाद बांग्लादेश दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपड़ा सप्लायर है. वह अधिकतर बड़े ब्रांड्स पर निर्भर रहता है. बांग्लादेश में कपड़ा उद्योग में 40 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है, जिनमें ज्यादातर महिलाएं हैं. कोरोना वायरस से निपटने के लिए एक के एक बाद कई देश कड़े प्रतिबंध लगा रहे हैं. उड़ानें रद्द हो रही हैं, मॉल और दुकानें बंद हो रही हैं. इसका असर बांग्लादेश के कपड़ा उद्योग पर भी हुआ है. गार्मेंट ब्रांड एच एंड एम का कहना है कि वैश्विक मांग घटने से उसे भी चोट पहुंची है. हालांकि उसका कहना है कि वह अपने सप्लायर्स  से संवाद बिठाए हुए है. कंपनी के प्रवक्ता ने समाचार एजेंसी थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को ईमेल के जरिए बताया, "हमारे सप्लायर्स के लिए लंबे समय के लिए प्रतिबद्धता बरकरार रहेगी."इस कठोर स्थिति में हमें तेजी से प्रतिक्रिया देने की जरूरत है, हमारे व्यापारिक भागीदारों के साथ मिलकर, और ऐसे फैसले लेने चाहिए जो अल्पकाल में कड़े हों लेकिन लंबे दौर के लिए जरूरी हो. हमें समस्या का समाधान निकालना होगा जो सभी पार्टियों के लिए लाभदायक हो."

कर्मचारी संगठनों का कहना है कि अब तक किसी कर्मचारी को तो नौकरी से नहीं निकाला गया है लेकिन उन्हें कोरोना वायरस के कारण नौकरी खोने का संकट सताने लगा है. बांग्लादेश सेंटर फॉर वर्कर सॉलिडेरिटी की संस्थापक कल्पोना अक्तर कहती हैं, "यह कर्मचारी इतना ही कमा पाते हैं कि उनका किसी तरह से गुजारा हो सके लेकिन उन्होंने सुना है कि ऑर्डर रद्द हो रहे हैं, इसलिए वे थोड़ा घबराए हुए हैं." अक्तर कहती हैं कि कर्मचारियों को वायरस के संक्रमण का भी खतरा सता रहा है.

एए/सीके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन )

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