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भारत और जापान साथ उड़ा रहे फाइटर जेट, क्या हैं मायने

१६ जनवरी २०२३

भारत के 150 सैनिक टोक्यो के पास हो रहे इस सैन्याभ्यास में हिस्सा ले रहे हैं. जापान ने हाल ही में चीन को अपने इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा सामरिक खतरा बताया था.

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Japan | Gemeinsames Miltärmanöver mit Indien
तस्वीर: Keizo Mori/UPI Photo via Newscom/picture alliance

16 जनवरी को भारत और जापान ने अपना पहला साझा सैन्याभ्यास शुरू कर दिया. जापान के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, राजधानी टोक्यो के पूर्वोत्तर में स्थित ह्याकुरी एयरबेस पर 11 दिनों तक यह सैन्याभ्यास चलेगा. भारत और जापान क्वाड ग्रुप के सदस्य भी हैं. इस ग्रुप के गठन का मुख्य मकसद हिंद-प्रशांत इलाके में (खासतौर पर चीन के प्रभाव) संतुलन बनाए रखना है. भारत और जापान के अलावा, इसमें अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया भी हैं. 
जापान के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस साझा सैन्यभ्यास में जापान के 8 फाइटर जेट शामिल हैं. वहीं भारत ने 4 फाइटर जेट, 2 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और एक एरियल री-फ्यूलिंग टैंकर भेजा है. भारत के 150 जवान इस अभ्यास में हिस्सा ले रहे हैं. भारतीय रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस ट्रेनिंग में "जटिल माहौल में हवाई जंग" लड़ने समेत कई तरह के प्रशिक्षण होंगे और इससे भारत-जापान के बीच दोस्ती का रिश्ता और मजबूत होगा. 

कोविड महामारी की वजह से हुई देरी

यह ट्रेनिंग पहले 2019 में होनी थी, लेकिन कोविड के कारण इसे टालना पड़ा. दोनों देश इससे पहले जमीन और समुद्र पर साझा सैन्याभ्यास कर चुके हैं, लेकिन यह पहला मौका है जब फाइटर जेट भी शामिल किए गए हैं. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से जापान सैन्य शक्ति नहीं रहा है. हाल के वर्षों में बढ़ते चीनी दबदबे और संभावित खतरों के मद्देनजर जापान ने अपनी सैन्य क्षमता को फिर खड़ा करने का फैसला किया है. जापानी रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, भारत पांचवां देश है जिसके साथ जापान द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास कर रहा है. इससे पहले जापान ने अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और जर्मनी के साथ साझा सैन्याभ्यास किया है.

जापान की चिंताएं

जापान, हिंद-प्रशांत इलाके में चीन के बाद दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक ताकत है. बीते कुछ वर्षों में जापान, चीन को लेकर अपनी आशंकाएं जाहिर करता रहा है. बीते दिसंबर में ही जापान सरकार ने चीन को जापान की सुरक्षा के लिए "आज तक की सबसे बड़ी सामरिक चुनौती" बताया था. बीते हफ्ते प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा की सरकार ने ब्रिटेन के साथ एक सुरक्षा समझौते पर दस्तखत किया. इसके अलावा अपनी हालिया अमेरिका यात्रा के बाद किशिदा ने अमेरिका के साथ सुरक्षा समझौता बढ़ाने की सहमति जताई है. 'क्वाड' सदस्य आपस में सामरिक और आर्थिक सहयोग बढ़ा रहे हैं, ताकि हिंद-प्रशांत में अपना प्रभाव बढ़ाने को आतुर चीन को जवाब दिया जा सके.

मई 2022 में टोक्यो में हुए क्वाड के शीर्ष सम्मेलन के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जापानी प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अलबानीजी.  (बाएं से)
मई 2022 में टोक्यो में हुए क्वाड के शीर्ष सम्मेलन के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जापानी प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अलबानीजी. (दाएं से)तस्वीर: Masanori Genko/The Yomiuri Shimbun/AP/picture alliance


2022 में टोक्यो में हुए क्वाड शीर्ष सम्मेलन में चारों देशों के प्रमुख- अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीजी  मौजूद थे. इस सम्मेलन में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन और अन्य वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा हुई थी. इस बैठक में ताइवान का मुद्दा आधिकारिक रूप से शामिल नहीं रहा था, लेकिन अमेरिका ने कहा था कि अगर चीन ताइवान पर हमला करता है, तो वो उसकी रक्षा जरूर करेगा. भारत और जापान का साझा सैन्य अभ्यास भी चीन के इस प्रभाव को चुनौती देगा.

आरएस/एसएम (एएफपी, डीपीए)

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