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भारतीयों के हत्यारे इटली के सैनिकों पर केस खारिज

१ फ़रवरी २०२२

दो भारतीयों की हत्या का आरोप झेल रहे इटली के दो नौसैनिकों के खिलाफ रोम की अदालत में चल रहा अभियोग खारिज कर दिया गया है. इन दो सैनिकों पर 2012 में केरल में दो मछुआरों की हत्या का आरोप था.

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तस्वीर: Aijaz Rahi/AP/picture alliance

इटली के वे दो सैनिक जिन पर दो भारतीयों की हत्या का आरोप था, अब पूरी तरह आरोप मुक्त हो गए हैं. सल्वातोरे जिरोने और मासीमिलानो लातोरे पर रोम की अदालत में चल रहा केस भी बंद कर दिया गया है.

रोम की एक अदालत ने यह आदेश इस आधार पर दिया कि भारतीय सुप्रीम कोर्ट में भी यह मामला बंद हो चुका है. इटली की समाचार एजेसियों के मुताबिक पिछले महीने वकीलों ने इस केस की समीक्षा के बाद यह निष्कर्ष निकाला था कि अभियोग चलाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं.

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इटली के रक्षा मंत्री लॉरेन्जो जुएरिनी ने इस फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि दोनों सैनिकों के लिए यह अच्छी खबर है. उन्होंने कहा, "इस तरह सालों से चल रहा यह मामला अपने नतीजे पर पहुंच गया है. रक्षा मंत्रालय ने इस दौरान कभी इन दोनों सैनिकों और उनके परिजनों को अकेला नहीं छोड़ा.”

10 करोड़ का मुआवजा

जिरोने और लातोरे ने फरवरी 2012 में दो भारतीय मछुआरों को गोली मार दी थी. वे समुद्री डाकुओं से एक इतालवी तेलवाहक जहाज की रक्षा के लिए तैनात थे और उसी दौरान भारत के दक्षिणी तट पर यह घटना हुई थी. इसके बाद एक लंबी कानूनी प्रक्रिया चली जिस कारण इटली और भारत के रिश्तों में तनाव भी आया.

आखिरकार अप्रैल 2021 में भारत ने इटली की दस करोड़ रुपये के मुआवजे की पेशकश को स्वीकार कर लिया. यह समझौता हो जाने के बाद पिछले साल जून में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि मारे गए दोनों मछुआरों के परिजनों को चार-चार करोड़ रुपये दिए जाएं जबकि दो करोड़ रुपये उस नाव के मालिक को दिए जाएं जिसमें ये मछुआरे सवार थे.

लेकिन भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि इटली की अदालत में दोनों आरोपी सैनिकों के खिलाफ मुकदमा चलाया जाना चाहिए और भारत सरकार को उसके लिए सबूत उपलब्ध करवाने चाहिए.

द हेग में हुआ फैसला

इटली का तर्क था कि उसके नौसैनिक अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में थे और उन्होंने गोली इसलिए चलाई क्योंकि मछुआरों की नौका ने उनकी दूर रहने की चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया था. जिरोने और लातोरे इटली की सेना के विशिष्ट दल सान मार्को मरीन रेजीमेंट के जवान हैं.

भारत ने इस घटना को ‘समुद्र में दोहरा कत्ल' बताया था और दोनों सैनिकों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था. 2015 में इटली ने इस मामले में द हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ‘पर्मानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन' में अपील की. द हेग स्थित कोर्ट ने इटली के पक्ष में फैसला सुनाया और कहा कि दोनों सैनिक ‘इम्यूनिटी' के हकदार हैं.

इस फैसले के वक्त जिरोने दिल्ली स्थित इटली के दूतावास में नजरबंद थे. 2016 में उसी कोर्ट ने जिरोने को भारत से वापस इटली लौटने की इजाजत दे दी. उनके साथी लातोरे दो साल पहले ही इलाज करवाने के लिए भारत से इटली जा चुके थे.

वीके/एए (एएफपी, एपी)

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