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राजनीतिअफ्रीका

एक और तख्ता पलट से क्या अफ्रीका में रूस का दखल बढ़ेगा

क्रिस्पिन म्वाकिदेउ
९ अक्टूबर २०२२

निजी सेना रखने वाले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के एक घनिष्ठ सहयोगी ने बुर्किना फासो में पिछले हफ्ते तख्ता पलट की जमकर प्रशंसा की. बुर्किना फासो में कैप्टन इब्राहिम ट्राओर ने सत्ता हथिया ली थी.

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बुर्किना फासो में तख्ता पलट
तख्तापलट के दौरान स्थानीय लोग अपने झंडे के साथ रूस का झंडा भी लहरा रहे थेतस्वीर: AP Photo/picture alliance

दुनिया के लिए अब तक अनजान रहे कैप्टन इब्राहिम ट्राओर के नेतृत्व में बुर्किना फासो में हुए तख्ता पलट के बाद अब वहां स्थितियां धीरे-धीरे सामान्य हो रही हैं. पड़ोसी देश चिंतित हैं और वहां की स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं.

एक स्वतंत्र संगठन वेस्ट अफ्रीका सेंटर फॉर काउंटर एक्सट्रीमिज्म यानी डब्ल्यूएसीसीई के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर मुतारू मुमुनी मुक्तार कहते हैं, "इस इलाके की राजनीतिक परिस्थितियों को जो भी व्यक्ति पिछले छह साल से देख रहा है, वह बहुत ज्यादा चिंतित होगा. हमें यहां आतंकवादी और चरमपंथी घटनाओं के बढ़ने की आशंका दिख रही है जो ना सिर्फ साहेलियन देशों में फैलेगा बल्कि निचले तटीय इलाकों तक भी फैल सकता है.”

मुक्तार घाना में एक सुरक्षा विशेषज्ञ भी हैं और यह बात करते हुए वो उत्तरी सीमाओं यानी टोगो, बेनिन और आइवरी कोस्ट में लगातार बढ़ती चरमपंथी हिंसा की ओर भी इशारा करते हैं.

कड़ी निंदा

अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस तख्तापलट की कड़ी निंदा की है जिसमें लेफ्टिनेंट कर्नल पॉल-हेनरी सैंडाओगो डामिबा को सत्ता से हटा दिया गया. डामिबा ने 31 जनवरी 2022 को सत्ता संभाली थी. उन्होंने उस वक्त लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचितराष्ट्रपति रॉच मार्क क्रिश्चियन काबोर को 24 जनवरी को सत्ता से बेदखल  किया गया था.

पश्चिम अफ्रीका के क्षेत्रीय संगठन इकोनॉमिक कम्यूनिटी ऑफ वेस्टर्न अफ्रीका स्टेट्स यानी इकोवास ने भी बुर्किना फासो में हुए तख्ता पलट की कड़ी निंदा की है और इसे "अनुचित" करार दिया है.

मुक्तार के मुताबिक, अक्सर हो रहे तख्तापलट लोकप्रिय हो रहे हैं और पश्चिम अफ्रीकी क्षेत्र में हिंसक चरमपंथ की स्थितियां और बदतर होती जा रही हैं.

बुर्किना फासो में तख्ता पलट
निवर्तमान राष्ट्रपति दमीमा कथित रूप से फिलहाल टोगो में हैंतस्वीर: Julia Nikhinson/AP/picture alliance

इकोवास की लोकतंत्र वापसी की अपील

इकोनॉमिक कम्युनिटी ऑफ वेस्ट अफ्रीकन स्टेट्स यानी इकोवास ने नई सैन्य जुंटा से ट्रांजीशनल अथॉरिटीज के साथ किए गए समझौते के तहत 1 जुलाई 2024 तक संवैधानिक व्यवस्था में वापसी की अपील की है. मुक्तार कहते हैं, "मैं इकोवास के तरीके से सहमत नहीं हूं. पिछले कुछ वर्षों में हमने देखा है कि इस इलाके में होने वाले दूसरे तख्तापलट में भी इस संगठन का यही तरीका रहा है और इस वजह से यहां असुरक्षा की भावना बढ़ी है.”

हालांकि मुक्तार इकोवास की इसलिए तारीफ कर रहे हैं कि क्योंकि उसने अभी हुए तख्तापलट की आलोचना की है लेकिन वह इस क्षेत्रीय संगठन से इससे बढ़कर भी कुछ करने की अपील कर रहे हैं. वो कहते हैं, "इसमें देखने वाली बात यह है कि इकोवास को प्रतिबंध और प्रतिरोध से आगे जाकर कुछ करना होगा. यह देखने की जरूरत है कि इकोवास अपने सभी प्रोटोकॉल को सक्रिय करता है, खासकर जब वो शासन में आता है.”

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रूस भीतर, फ्रांस बाहर

पश्चिम अफ्रीका में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए रूस और फ्रांस लड़ते रहे हैं. रूस को स्थानीय लोगों का काफी समर्थन भी मिल रहा है क्योंकि फ्रांस से लोग परेशान हो चुके हैं.

2022 में बुर्किना फासो में हुए दूसरे तख्तापलट की घटना का रूसी व्यवसायी एवगेनी प्रिगोजिन ने स्वागत किया. प्रिगोजिन निजी सैन्य कंपनी वैगनर ग्रुप के संस्थापक हैं.

प्रिगोजिन, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के बहुत करीबी हैं और उन्होंने तख्तापलट करने वाले शासक ट्राओर को सफल तख्तापलट पर तत्काल बधाई दी. उन्होंने एक बयान में कहा, "मैं कैप्टन इब्राहिम ट्राओर को सलाम करता हूं और उन्हें अपना समर्थन देता हूं. ट्राओर अपनी मातृभूमि के सच्चे और साहसी सपूत हैं.”

बुर्किना फासो के तमाम लोगों ने दमिबा की विदाई पर जश्न मनाया, पटाखे दागे और राजधानी उआगेडुगू में रूसी झंडे फहरा रहे हैं.

कुछ लोगों ने फ्रांसीसी उदूतावास पर पत्थर फेंके. कुछ लोगों ने बोबो डियूलासू स्थित फ्रांसीसी संस्कृति केंद्र पर हमला किया. कुछ स्थानीय लोग फ्रांस पर यह भी आरोप लगा रहे हैं कि शनिवार को वो दामिबा के साथ मिलकर तख्तापलट के भीतर ही एक और तख्तापलट को अंजाम देने की कोशिश कर रहे थे. हालांकि बाद में फ्रांस ने यह कहते हुए तख्तापलट से दूरी बना ली कि वह गलत सूचनाओं का शिकार हुआ है.

बुर्किना फासों में तख्ता पलट
विशेषज्ञों का कहना है कि फ्रांस के लिए बढ़ती नाराजगी का रूस फायदा उठा रहा हैतस्वीर: Sophie Garcia/AP/picture alliance

कैप्टन ट्राओर की प्रशंसा

बुर्किना फासो के एक नागरिक ने डीडब्ल्यू को बताया "हालांकि, तख्ता पलट बहुत अच्छा था. मैं व्यक्तिगत रूप से बहुत खुश हूं." बुर्किना फासो के एक अन्य व्यक्ति ने कह,"राष्ट्रपति दामिबा ने जनादेश का सम्मान नहीं किया. इसीलिए वहां तख्ता पलट हुआ."

दामिबा पूर्व राष्ट्रपति काबोरे की इसलिए आलोचना करते थे कि उन्होंने कभी भी इस्लामी जेहादियों से लड़ने के लिए कुछ नहीं किया. कैप्टन ट्राओर यही आरोप दामिबा पर लगाते हैं.

घाना के आकरा शहर के रहने वाले विदेश नीति और सुरक्षा विशेषज्ञ सनी अदीब डीडब्ल्यू से बातचीत में कहते हैं कि तख्ता पलट से लोगों की उम्मीदें गलत हैं. अदीब का कहना है कि चीजें एक दिन में बदलने वाली नहीं हैं, "इकोवास के नागरिक सोचते हैं कि तख्ता पलट कोई जादू की छड़ी है जिससे चीजें रातोंरात  बदली जाती हैं."

संयुक्त प्रयास की जरूरत

अदीब कहते हैं, "मुझे नहीं लगता कि कैप्टन ट्राओर किसी चीज को रातोंरात बदलने में सक्षम होंगे. इसकी बजाय, समन्वय के साथ समेकित अंतरराष्ट्रीय कोशिशें अवश्य की जानी चाहिएं."

अदीब चेतावनी देते हैं कि बुर्किना फासो यह सब अकेले नहीं कर सकता है और उन्होंने अन्य देशों से इस बारे में सहयोग की अपील की. वह कहते हैं, "इस प्रकार हम सभी के लिए समस्या का निदान करने में सफल हो सकते हैं."

अदीब कहते हैं कि यह अत्यंत दुखद है कि आतंकवादी बुर्किना फासो में जीत दर्ज कर रहे थे, "तख्ता पलट से क्या हासिल हुआ है यह हम सब देख रहे हैं, खासकर माली और बुर्किना फासो मे."

बुर्कीना फासो में तख्ता पलट
बुर्कीना फासो में फ्रांस के दूतावास को आग लगा दी गईतस्वीर: Assane Ouedraogo/EPA-EFE

बचाव के लिए रूस आएगा?

अदीब और मुक्तार जैसे तमाम पर्यवेक्षक मानते हैं कि समस्या का कोई संभावित समाधान बुर्किना फासो के बाहर से आएगा. ऐसे संकेत मिले हैं कि ट्राओर सैन्य सहायता के लिए रूस जा सकते हैं जैसा कि माली ने किया था. मुक्तार कहते हैं, "हताशा, थकान और फ्रांस विरोधी भावना यहां तेजी से बढ़ रही है."

मुक्तार यह भी कहते हैं कि फ्रांस और पश्चिम के दूसरे सहयोगी देश बहुत अलोकप्रिय होते जा रहे हैं और ऐसा लगता है कि अन्य देशों की सरकारें कुछ देशों के साथ ऐसे संबंधों की ओर देख रही हैं जिनसे उनका मानना है कि गतिशीलता आगी. अदीब यह सुझाव भी देते हैं कि चरमपंथी हिंसा के खिलाफ युद्ध जीतने के लिए सभी को एक साथ आना होगा. 

वो कहते हैं, "हमें इसमें भागीदार माना जा रहा है लेकिन जब आपस में दरारें रहती हैं, हम विभाजित रहते हैं तो इसका सीधा लाभ आतंकवादियों को मिलता है. इसलिए यह जरूरी है कि पहले हम अपने मतभेदों को दूर करें."