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कतर की क्या जरूरत से ज्यादा आलोचना हो रही है?

कैथरीन शेअर | एमाद हसन
२८ नवम्बर २०२२

मध्य पूर्व के स्थानीय लोगों का कहना है कि कतर को लेकर यूरोपीय आलोचकों की निंदा उनके पूर्वाग्रह और दोहरी नीति को दिखा रहा है. लेकिन क्यों?

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FIFA WM 2022 - Katar - Ecuador
तस्वीर: Tom Weller/dpa/picture alliance

फुटबॉल विश्व कप के मेजबान देश कतर की आलोचना हर दिन तेज होती जा रही है. छोटा सा, ऊर्जा-समृद्ध यह खाड़ी देश- खास खेल के मेगा-इवेंट को आयोजित करने वाला पहला मध्य पूर्वी देश है. प्रवासी मजदूरों, एलजीबीटीक्यू समुदाय और महिलाओं के लिए इनके विचार और व्यवहार ने इसे दुनिया के निशाने पर ला दिया. अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट की मेजबानी का मौका मिलने को लेकर भी संदेह किया गया.

इसके साथ ही, एक और चर्चा तेज हो रही है. अरबी भाषी कतर के अंदर और बाहर दोनों ओर के लोग पूछ रहे हैं कि कतर की इतनी कड़ी आलोचना क्यों की जा रही है. उनका इशारा इस ओर है कि इन आलोचनाओं का राजनीतिक मुद्दों से कम और नस्लवाद, ओरिएंटलिज्म, यहां तक ​​कि इस्लामोफोबिया से ज्यादा लेना-देना है.

नस्लवाद का विरोध, यूरोपीय दोहरी नीति

सीरियाई उपन्यासकार वफा एलौश ने तुर्की समाचार वेबसाइट टीआरटी पर एक संपादकीय में लिखा, "अरबों के तौर पर, हमें लगता है कि अगर यह टूर्नामेंट गैर-अरब देश में आयोजित किया जा रहा होता, तो इस तरह का हंगामा नहीं होता."

कतर के एक प्रोफेसर खालिद अल-हौब ने यूके की समाचार वेबसाइट मिडिल ईस्ट आई में लिखा, "कतर के बारे में ऐसी कई चीजें हैं जिनकी आलोचना की जानी चाहिए और सुर्खियों में रखा जाना चाहिए, लेकिन किसी खास किस्म की गलतियों के लिए किसी देश की आलोचना करने और सांस्कृतिक बयानों और रूढ़िवादी विचार जो कहीं ना कहीं अंतर्निहित नस्लवाद तक पहुंचता हो, उनका इस्तेमाल करने के बीच एक बड़ी खाई है."

Katar FIFA-Präsident Gianni Infantino
फीफा के अध्यक्ष गियानी इन्फेंटिनो ने भी कतर के मानवाधिकार रिकॉर्ड की आलोचना पर यूरोपीय आलोचकों को निशाने पर लिया.तस्वीर: Christian Charisius/dpa/picture alliance

अरबी भाषा के मीडिया के बाकी स्तंभकारों ने पूछा है कि पिछले फुटबॉल विश्व कप के मेजबान रूस की आलोचना कम क्यों की गई. उनका कहीं ना कहीं यह मानना है कि कतर की आलोचना करना यूरोपीय देशों की दोहरी नीति है, वह भी तब, जब उन्हें अभी मध्य पूर्व और अफ्रीका में अपने औपनिवेशिक इतिहास और प्रवासन से निपटने के बारे में ठीक से विचार करना है.

इस तरह की भावना सोशल मीडिया पर भी नजर आई, जहां यूजरों ने मजाक उड़ाया कि अगर जर्मन टीम ने मानवाधिकारों के बजाय सिर्फ फुटबॉल पर ध्यान दिया होता, तो वे पिछले सप्ताह मैच में जापान से नहीं हारते.

मिस्र में मीडिया मामलों के विशेषज्ञ यासर अब्देल अजीज सहमत होते हुए कहते हैं, यह ज्यादा हो गया. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "कतर आलोचना से ऊपर नहीं है. लेकिन मेजबानी को लेकर कुछ पश्चिमी मीडिया आउटलेट्स ने जितनी नकारात्मकता दिखाई ये उस स्तर पर नहीं होनी चाहिए थी."

अब्देल अजीज के मुताबिक  कुछ आलोचनाएं गहरे सांस्कृतिक पूर्वाग्रह से ग्रसित थे, जो पश्चिमी और मध्य पूर्वी संस्कृतियों के बीच अंतर पर केंद्रित था.

फैक्ट चेक: कतर में विश्व कप के आयोजन में कितने लोगों की जान गई?

क्या यह आलोचना नस्लवादी है?

शब्दकोश की परिभाषा के मुताबिक नस्लवाद वह भावना है जो कहता है कि अलग-अलग नस्लों में अलग-अलग विशेषताएं, क्षमताएं या गुण होती हैं और ओरिएंटलिज्म अरब लोगों और संस्कृतियों और यूरोपीय लोगों के बीच मतभेदों का एक विकृत दृष्टिकोण है. ओरिएंटलिज्म में अक्सर मध्य पूर्व पर यूरोपीय श्रेष्ठता की भावना भी शामिल होती है. यह सच है कि कतर में खेल प्रतियोगिता के कुछ मीडिया कवरेज इसे छूते दिखे.

एक फ्रांसीसी पत्रिका ने आतंकवादियों के वेश में कतरी फुटबॉल टीम का एक कार्टून प्रकाशित किया, वहीं एक ब्रिटिश अखबार द टाइम्स में कैप्शन में ये झलका कि कतर के लोगों को महिलाओं को पश्चिमी शैली के कपड़े पहने देखने की आदत नहीं है, जो कि झूठ है. बाद में कैप्शन में संशोधन कर दिया गया.

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ओरिएंटलिज्म मध्य पूर्व को लेकर रूढ़िवादी विचार को बढ़ावा देता है.तस्वीर: akg-images/picture alliance

एक और फ्रांसीसी रिपोर्टर ने कहा कि वह कतर में मस्जिदों की संख्या से हैरान था और दोहा के स्थानीय लोगों ने बताया कि पर्यटक उनसे पूछ रहे थे कि क्या महिलाओं को हेडस्कार्फ पहनने की जरूरत है. ये सभी घटनाएं देश और क्षेत्र के बारे में ज्ञान की कमी दिखाती है.

हालांकि, यह भी सच है कि इस विषय पर छपे तर्क 'व्हाटअबाउटरी' पर निर्भर करते हैं, जहां एक गंभीर आरोप का जवाब समान रूप से गंभीर आरोप के साथ दिया जाता है, जिससे मुख्य मुद्दे से ध्यान हट जाता है, जहां से विवाद की शुरुआत हुई होती है.

सोशल मीडिया पर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि एक ही समय में, उपनिवेशवाद और प्रवास जैसे मुद्दों पर यूरोपीय दोहरी नीति और कतर की मानवाधिकार समस्याओं पर चर्चा की जा सकती है.

दानिश इंस्टीट्यूट फॉर स्पोर्ट्स स्टडीज में प्ले द गेम के अंतरराष्ट्रीय निदेशक जेन्स सेजेर एंडरसन कहते हैं, "कतर के लोग बहुत पहले से [इस तरह की बहस के लिए] खुद को तैयार कर रहे हैं."

एंडरसन एक उदाहरण बताते हैं कि इस महीने की शुरुआत में स्विट्जरलैंड के पब्लिक ब्रॉडकास्टर स्विस इंफो में 'प्रोजेक्ट मर्सीलेस' नाम की एक जांच रिपोर्ट छपी, जिसमें बताया गया कि कतर ने फीफा के अधिकारियों के खिलाफ एक साल का लंबा जासूसी अभियान चलाया था. एंडरसन ने कहा, "मैं इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि आलोचक नस्लवादी या ओरिएंटलिस्ट दृष्टिकोण वाले हो सकते हैं, लेकिन ऐसे भी कई लोग हैं, जो कमोबेश कतर के पैसे पर निर्भर हैं और इस तर्क का इस्तेमाल आलोचकों को शर्मसार करने के लिए कर रहे हैं, भले ही आलोचना प्रासंगिक क्यों न हो.

विवाद में कुछ भी काला और सफेद नहीं

विशेषज्ञों ने डॉयचे वेले को बताया कि भले ही विवाद कहीं से भी आ रहा हो, यह उन मुद्दों की कवरेज को प्रभावित कर रहा है जो चर्चा के लायक हैं.

अमेरिका में रिचमंड विश्वविद्यालय में कानून के प्रोफेसर एंडी स्पाल्डिंग कहते हैं, यह समझा जा सकता है कि कतर की आलोचना की जा रही है लेकिन यहां और भी बहुत कुछ चल रहा है. इस बहस से बहुत सारी बारीकियां गायब हैं, और सिर्फ रूढ़िवाद के बारे में बात करना आंशिक रूप से गलत है.

वह कहते हैं, यह सिर्फ नस्लवाद या ओरिएंटलिज्म नहीं है जो इस स्तर के आक्रोश की वजह बन रहा है.स्पाल्डिंग कहते हैं, बाकी चीजें भी इसकी वजहें हैं. "हाल ही में कई खेल आयोजन करने वाले चीन, रूस और दक्षिण अफ्रीका भी विवादों में रहें. गैर-पश्चिमी देशों की मेजबानी स्वाभाविक ही भ्रष्टाचार और मानवाधिकारों की समस्याओं की तरफ झुक जाती जाती हैं. लेकिन कतर ने चीन या रूस जैसे पूर्व मेजबान देशों से काफी अलग व्यवहार किया है. मानवाधिकारों की समस्याओं के जवाब में चीन ने पश्चिम को चिढ़ाते हुए कहा कि आप हमें बदल नहीं सकते. लेकिन, कतर ने दबाव में, श्रम कानूनों में संशोधन किया है और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन जैसे निकायों के साथ अपने संबंधों में सुधार किया है. ऐसा लगता है कि पश्चिमी मीडिया इस मोर्चे पर सफलताओं को स्वीकार नहीं करना चाहता.

मेगा-स्पोर्ट्स को बेहतर बनाना

स्पाल्डिंग का तर्क है, "अगर हम खेलों को ज्यादा मानवाधिकारों के अनुरूप बनाना चाहते हैं, तो हमें इससे सीखने की जरूरत है वरना हम खुद को एक ऐसे टूल से वंचित कर देंगे जिसका इस्तेमाल हम आने वाले सालों में दूसरे देशों में करना चाहेंगे.

Großbritannien | Protest gegen das Gesetz über Nationalität und Grenzen in London
कार्यकर्ताओं का मानना है कि एक ही समय में, उपनिवेशवाद और प्रवास जैसे मुद्दों पर यूरोपीय दोहरी नीति और कतर की मानवाधिकार समस्याओं पर चर्चा की जा सकती है.तस्वीर: Thomas Krych/Zuma Press/picture alliance

अमेरिका, कनाडा और मैक्सिको 2026 में अगले विश्व कप की मेजबानी करेंगे.  एंडरसन ने सहमति जताई कि बड़े खेल आयोजनों की मेजबानी करने वाले कई देशों की तुलना में कतर की आलोचना ज्यादा हुई है, लेकिन वह नहीं मानते कि कतर की तरक्की को नजरअंदाज किया गया है.

एंडरसन का मानना ​​​​है कि फीफा की वजह से प्रेस में कतर सामान्य से ज्यादा बुरी सुर्खियों में रहा. "ऐसी कोई धारणा कि फीफा ज्यादा पारदर्शी, लोकतांत्रिक या निष्पक्ष हो रहा है, कतर में विश्व कप को देखने के तरीके को भी प्रभावित करेगा. लेकिन इसकी जगह कतर में फीफा का भ्रष्टाचार प्रतिबिंबित होता दिखा.  कई मामलों में तो कतर की भ्रष्टाचार में कोई हिस्सेदारी नहीं थी. शायद अब सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि खेल प्रशंसकों के पास इन विशाल आयोजनों के मूल्यों के बारे में यथार्थवादी बहस है, जिसमें ओलंपिक जैसे अवसर भी शामिल हैं. कतर और फीफा कम से कम खेल के मूल्य के बारे में इतनी महत्वपूर्ण वैश्विक बहस पैदा करने का श्रेय ले सकते हैं."