1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

चीन में ईरान और सऊदी की हैरानी भरी सुलह

६ अप्रैल २०२३

एशिया में अंतरराष्ट्रीय समीकरण नई करवट ले रहे हैं. बीजिंग में कट्टर प्रतिद्वंद्वी ईरान और सऊदी अरब के विदेश मंत्रियों के बीच सुलह समझौता हुआ है.

https://p.dw.com/p/4PlWT
सऊदी अरब के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान (बाएं) और ईरान के विदेश मंत्री हुसैन आमिर-अब्दोल्लाहियन (दाएं)
तस्वीर: Iran's Foreign Ministry/WANA/REUTERS

सात साल में पहली बार सऊदी अरब और ईरान के विदेश मंत्रियों के बीच आधिकारिक बैठक हुई है. बैठक, एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और दुनिया की दूसरी बड़ी महाशक्ति चीन की राजधानी बीजिंग में हुई. ईरान के विदेश मंत्री हुसैन आमिर-अब्दोल्लाहियन और उनके सऊदी समकक्ष प्रिंस फैसल बिन फरहान के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने और पूरे इलाके में हिंसा को शांत करने पर बातचीत हुई.

सऊदी अरब जाने पर क्यों मजबूर हुए बाइडेन

बैठक के बाद ईरान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, "इस्लामिक गणतंत्र ईरान और सऊदी अरब के विदेश मंत्रियों ने वार्ता के जरिए अपने विचार साझा किए, इस दौरान द्विपक्षीय रिश्तों को आधिकारिक रूप से बहाल करने और दोनों देशों के दूतावासों और कॉन्सुलेटों को फिर से खोलने के लिए कार्यकारी कदम उठाने पर जोर दिया गया. "

सऊदी अरब के सरकारी टेलिविजन चैनल अल एखबरिया के एक वीडियो में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों को ईरान और सऊदी अरब के झंडे के सामने हाथ मिलाते हुए देखा गया.

चीन के विदेश मंत्री के सामने हाथ मिलाते ईरान और सऊदी अरब के विदेश मंत्री
चीन के विदेश मंत्री के सामने हाथ मिलाते ईरान और सऊदी अरब के विदेश मंत्रीतस्वीर: Iranian Foreign Ministry/AFP

हैरानी भरी सुलह

दिसंबर 2010 में ट्यूनीशिया से शुरू हुए अरब वसंत आंदोलन ने ईरान और सऊदी अरब के तनाव भरे रिश्तों को और ज्यादा कमजोर किया. कई देशों में फैलते अरब वसंत आंदोलन के दौरान दोनों देश शिया और सु्न्नी ताकतों का समर्थन करने लगे. वक्त बीतने के साथ यह साफ होता गया कि कैसे ईरान और सऊदी अरब, सीरिया, लेबनान, इराक और यमन में परोक्ष रूप से लड़ रहे थे.

जनवरी 2016 में ईरान में सऊदी अरब के कूटनीतिक मिशन पर हमले हुए. सऊदी अरब में एक शिया मौलवी के फांसी दिए जाने के विरोध में भीड़ ने तेहरान में सऊदी दूतावास और मशहद में सऊदी कॉन्सुलेट को निशाना बनाया गया. दूतावास की ईमारत को पेट्रोल बमों से जलाने की कोशिश की गई. ईरान ने आधिकारिक रूप से इन हमलों की निंदा की. लेकिन इसके बाद दोनों देशों के रिश्ते बहुत ज्यादा खराब हो गए.

इस आपसी खींचतान के बीच मार्च 2023 में ईरान और सऊदी अरब ने सबको चौंकाते हुए रिश्तों की बहाली के लिए समझौते का एलान किया. एग्रीमेंट के तहत दोनों देश दो महीने के भीतर कूटनीतिक मिशनों की शुरुआत करेंगे. दोनों के बीच सुरक्षा और आर्थिक सहयोग पर 20 साल पहले हुए समझौतों को भी अमल में लाने पर सहमति बनी.

तेहरान में बंद पड़ा सऊदी अरब का दूतावास
तेहरान में बंद पड़ा सऊदी अरब का दूतावासतस्वीर: Fatemeh Bahrami/AA/picture alliance

इस दोस्ती का भूराजनीतिक असर

सऊदी अरब सुन्नी बहुल देश है और ईरान शिया बहुल. दोनों देश शिया और सुन्नी जगत में बड़ा प्रभाव रखते हैं. दोनों की दोस्ती, खाड़ी और मध्य पूर्व के पूरे इलाके में दशकों से जारी हिंसा को शांत कर सकती है. रियाद और तेहरान का आर्थिक सहयोग तेल उद्योग और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में निर्णायक भूमिका निभाने की क्षमता रखता है. अमेरिका और रूस के बाद सऊदी अरब दुनिया की तीसरा बड़ा तेल उत्पादक है. आर्थिक प्रतिबंधों के बावजूद ईरान नौवें नंबर पर है.

जर्मनी और मध्य पूर्व: नैतिकता और बाजार की एक कहानी

इस दोस्ती में चीन का एंगल खासा दिलचस्प है. दोनों को सुलह इस राह तक चीन की अहम भूमिका है. इससे मध्य पूर्व में चीन का बढ़ता प्रभाव साफ नजर आ रहा है. इस इलाके में अब तक अमेरिका को ही भूराजनीतिक समीकरण तय करने वाली ताकत माना जाता था. लेकिन अब वॉशिंगटन का दबदबा खत्म होता दिख रहा है.

मार्च में ईरान के एक अखबार की पहली खबर: चीन की मदद से सुधरते ईरान-सऊदी अरब रिश्ते
मार्च में ईरान के एक अखबार की पहली खबर: चीन की मदद से सुधरते ईरान-सऊदी अरब रिश्तेतस्वीर: Atta Kenare/AFP/Getty Images

अमेरिका, सऊदी अरब का पुराना साझेदार है. लेकिन ईरान के साथ अमेरिका के संबध 1970 के दशक से खराब हैं. पहले इस्लामिक क्रांति और फिर ईरान के परमाणु कार्यक्रम के चलते वॉशिंगटन, तेहरान पर आर्थिक प्रतिबंध लगा चुका है. अमेरिका ने दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच हुए समझौते का शक के साथ स्वागत किया है. अमेरिका के मुताबिक, यह देखना बाकी है कि ईरानी अपनी तरफ से "इस डील का सम्मान" करेंगे या नहीं.

ओएसजे/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)