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ईरान में विरोध प्रदर्शनों के लिए पहली फांसी दी गई

९ दिसम्बर २०२२

सितंबर में ईरान में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के शुरुआत के बाद पहली बार एक प्रदर्शनकारी को फांसी की सजा दी गई है. पश्चिमी देशों ने ईरान सरकार के इस कदम पर कड़ी आपत्ति जताई है.

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ईरान के प्रदर्शनोें पहली मौत की सजा
मोहसिन सेकरीतस्वीर: UGC

सरकारी समाचार एजेंसी आईआरएनए ने गुरुवार को फांसी दिए जाने के बारे में जानकारी दी. मोहसेन सेकरी नाम के इस शख्स को 25 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था. सेकरी पर सुरक्षा गार्ड पर हथियार से हमला करने और आतंक भड़काने का आरोप लगाया गया था. ईरान की राजधानी तेहरान में रेवॉल्यूशनरी कोर्ट ने इस्लामी कानूनों के तहत सेकरी पर "खुदा के खिलाफ जंग छेड़ने" का आरोप लगाया गया. देश की सर्वोच्च अदालत मे सजा के खिलाफ की गई अपील को खारिज कर दिया. समाचार एजेंसी मीजान के मुताबिक सेकरी को मौत की सजा 20 नवंबर को सुनाई गई थी.

पश्चिमी देशों की प्रतिक्रिया

जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने कहा है कि यूरोपीय संघ इस का जवाब कठोर उपायों से देगा. डब्लिन में आयरिश विदेश मंत्री से मुलाकात के दौरान बेयरबॉक ने कहा,  "यह सच है कि ईरान की सरकार इस तरह की संक्षिप्त सुनवाइयों से एक क्रूर उदाहरण पेश कर रही है" और मौत की सजा "इस शासन में मानवता की अवमानना है."

ईरान के विरोध प्रदर्शनों में मौत की पहली सजा
सितंबर से ही ईरान में विरोध प्रदर्शन जारी हैंतस्वीर: SalamPix/ABACA/picture alliance

जर्मन सरकार से जुड़े सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जर्मन विदेश विभाग ने इस मामले में ईरान के राजदूत को तलब किया है.  बेयरबॉक का कहना है, "हम पहले ही दमन और निरंकुशता के हफ्ते देख चुके हैं. ईरानी सत्ता ज्यादा से ज्यादा क्रूर होती जा रही है."

इस्लामी शासन को चुनौती दे रही छात्राओं की जान ले रहे ईरानी सुरक्षा बल

जर्मन विदेश मंत्री का यह भी कहना है, "मौत की सजा आतंक फैलाने के औजार के रूप में इस्तेमाल हो रही है, लोगों को हजारों की संख्या में गिरफ्तार किया जा रहा है." बेयरबॉक ने यह भी कहा कि जेल में जानबूझ कर हिंसा का इस्तेमाल किया जा रहा है, "इस घटना ने इस बात की ओर ध्यान दिलाया है कि हम यूरोपीय संघ के रूप में खासतौर से मानवाधिकार को लेकर प्रतिबंध लगाएं और हम कठोर उपायों से जवाब देना जारी रखेंगे."

अगले सोमवार को ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों की बैठक होगी और उम्मीद की जा रही है कि यूरोपीय संघ इस मामले में संयुक्त रूप से ईरान के खिलाफ सख्त प्रतिबंधों के मामले में मजबूत रुख अपनाएगा.

न्याय प्रक्रिया पर सवाल

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने अदालती सुनवाई को "फरेब" कहा है. प्रमुख ईरानी कार्यकर्ता और ब्लॉगर होसेन रोनाघी हाल ही में जमानत पर रिहा हुए हैं. रोनाघी ने ट्वीट किया है, "हम मौत की सजाओं की तरफ से आंख बंद नहीं करेंगे. एक भी प्रदर्शनकारी को मौत की सजा के तुम्हारे लिए गंभीर नतीजे होंगे. एक आदमी की जान लेना के मतलब है हम सबकी जान लेना."

ईरान के प्रदर्शनों में मौत की पहली सजा
मोहसेन सेकरी को सितंबर में गिरफ्तार किया गया थातस्वीर: UGC

सेकारी को मौत की सजा कैसे दी गई इस बारे में खबर नहीं मिली है लेकिन ईरान में आम तौर पर फांसी पर लटका कर मौत की सजा दी जाती  है. ईरान के न्याय प्रशासन ने प्रदर्नकारियों के खिलाफ कठोर रुख अपनाया है. हाल के हफ्तों में कई लोगों को मौत की सजा सुनाई जा चुकी है. यह मौत की पहली सजा है जिस पर अमल हुआ है.

ईरान के मंत्री और पुलिस पर यूरोपीय संघ का प्रतिबंध

ईरान की संसद में भी सांसद अकसर कड़ी सजा की मांग करते हैं. हजारों प्रदर्शनकारियों के लिए मौत की सजा तक की मांग की जा रही है. मानवाधिकार कार्यकर्ता पिछले साल गर्मियों में धुर दक्षिणपंथी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के पद संभालने के बाद मौत की सजाओं में आई तेजी की आलोचना कर रहे हैं. पिछले साल के पहले छह महीनों में ही कम से कम 250 लोगों की मौत की सजा दी गई. एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक इनमें से ज्यादातर सजाएं नशीली दवाओं से जुड़े अपराधों के लिए दी गईं.

विरोध प्रदर्शनों की आंच

इस बीच देश भर में सरकार विरोधी प्रदर्शन जारी हैं. कई दुकानदारों ने हफ्ते की शुरुआत से ही अपनी दुकानें विरोध में बंद कर रखी हैं. खासतौर से ईरान के कुर्द प्रांत में. देश के बड़े हिस्से में सुरक्षा बल सड़कों पर हैं और प्रदर्शन के लिए लोगों की भीड़ जमा नहीं होने दे रहे हैं.

हिजाब नहीं पहनने के कारण महसा अमीनी को हिरासत में लिया गया जहां उसकी मौत हुई
महसा अमीनीतस्वीर: Kurdpa

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का अनुमान है कि अब तक कम से कम 470 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है और 18,000  से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है. विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला 16 सितंबर को कुर्द महिला महसा अमीनी की पुलिस हिरासत में मौत के बाद शुरू हुआ. महसा अमीनी को हिजाब नहीं पहनने के कारण मोरैलिटी पुलिस ने हिरासत में लिया था. आरोप है कि उस दौरान अमीनी के साथ मारपीट की गई जिसके बाद उसकी जान चली गई. 

एनआर/वीके (डीपीए)