अफगानिस्तान से बच निकला बाइडेन की जान बचाने वाला
१२ अक्टूबर २०२१अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की है कि अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के साथ अनुवादक के तौर पर काम करने वाले अमान खलीली अफगानिस्तान से बच निकले हैं. विदेश मंत्रालय ने बताया कि कई दिन तक अपने परिवार के साथ छिपे रहने के बाद खलीली अब सुरक्षित हैं.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि जमीन के रास्ते सीमा पार कर पाकिस्तान पहुंचे खलीली और उनके परिवार को अमेरिकी विमान से कतर के दोहा ले जाया गया है, जहां हजारों अन्य शरणार्थी वीजा मिलने का इंतजार कर रहे हैं.
देखिए, अब अफगानिस्तान में जिंदगी
अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने खबर छापी थी कि खलीली, उनकी पत्नी और पांच बच्चे अगस्त में अफगानिस्तान पर तालिबान द्वारा कब्जा किए जाने के वक्त वहीं रह गए थे. बाद में पूर्व सैनिकों की मदद से उन्होंने सीमा पार की.
खलीली की कहानी
अमन खलीली की कहानी किसी फिल्म सरीखी है. वह 2008 में अमेरिकी फौजों के लिए अफगानिस्तान में बतौर अनुवादक काम करते थे. उन दिनों सेनेटर रहे जो बाइडेन ने अपने दो अन्य सांसद साथियों चक हेगल और जॉन केरी के साथ अफगानिस्तान का दौरा किया था.
बाइडेन और उनके साथी जब एक हेलिकॉप्टर से यात्रा कर रहे थे तो बर्फ के तूफान में फंस गए. इस कारण उनके हेलिकॉप्टर को एक दूर-दराज इलाके में उतरना पड़ा. तब खलीली उस टीम का हिस्सा थे, जो बगराम से सांसदों को बचाने के लिए भेजी गई थी.
13 साल बाद जब अमेरिका ने अफगानिस्तान में अपने अभियान की समाप्ति का ऐलान किया तो अपनी सेना के साथ काम करने वाले हजारों लोगों को साथ ले जाने की भी बात कही. तब हजारों लोगों ने वीजा के लिए अप्लाई किया, जिनमें खलीली और उनका परिवार भी था. लेकिन उन्हें वीजा नहीं मिला.
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15 अगस्त को तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया. उसके बाद दो हफ्तों में अमेरिकी सेना ने 1,20,000 लोगों को बचाया. लेकिन तब भी खलीली एयरपोर्ट नहीं पहुंच सके. अगस्त के आखरी हफ्ते में वॉल स्ट्रीट जर्नल अखबार ने उनकी कहानी छापी. इस कहानी में उन्होंने कहा, "हलो राष्ट्रपति जी, मुझे और मेरे परिवार को बचाइए.”
आखिरकार राहत
खलीली की अपील राष्ट्रपति तक पहुंची और उनकी प्रवक्ता वाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा कि सरकार खलीली की मदद करेगी. उन्होंने कहा, "हम आपको बाहर निकालेंगे. हम आपकी सेवाओं की इज्जत करते हैं.”
30 सितंबर को अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं के चले जाने के बाद अमन खलीली और उनका परिवार अफगान-अमेरिकीयों और पूर्व अमेरिकी सैनिकों की मदद से एक सुरक्षित ठिकाने पर छिपा रहा. उनके पास अफगान पासपोर्ट नहीं था इसलिए वह मजार ए शरीफ से भी उड़ान नहीं भर सके. बाद में वे लोग दो दिन की पैदल यात्रा करके पाकिस्तान सीमा पर पहुंचे. 5 अक्टूबर को उन्होंने सीमा पार की.
वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक विदेश मंत्रालय उनकी वीजा अर्जी को जल्दी पास करने के लिए विशेष इमिग्रेशन वीजा की योजना बना रहा है.
वीके/सीके (एएफपी)
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