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कश्मीर में इंटरनेट बहाली की मांग पर राज्यसभा में चर्चा

आमिर अंसारी
२० नवम्बर २०१९

कश्मीर में इंटरनेट बंद होने से वहां के रोजमर्रा कार्यों में मुश्किलें पैदा हो रही हैं. सरकार का कहना है कि वह भी चाहती है जल्द इंटरनेट शुरु हो, कश्मीर में इंटरनेट बहाली की मांग पर राज्यसभा में गृह मंत्री ने जवाब दिया है.

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Indien Protest von Journalisten in Kaschmir
तस्वीर: AFP/T. Mustafa

5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और धारा 35 ए निरस्त किया था, उसके बाद से वहां मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई. संसद के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन राज्यसभा में कश्मीर मुद्दे पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि कश्मीर में जल्द से जल्द से इंटरनेट सेवा बहाल होगी. अमित शाह ने एक बार फिर दोहराया है कि जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य हैं. दूसरी ओर कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने सरकार से सवाल किया कि पाबंदी के बीच बच्चे किस तरह से पढ़ाई करेंगे और परीक्षा के लिए कैसे बैठेंगे. राज्यसभा में गुलाम नबी आजाद ने कहा, "आज के इस जमाने में पढ़ाई के लिए भी इंटरनेट जरुरी है, पाबंदियों के बीच स्कूलों में बच्चों की मौजूदगी ना के बराबर है. इंटरनेट नहीं चलने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है."

सुरक्षा कारणों से इंटरनेट बंद?

इसके जवाब में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "इंटरनेट को जल्दी शुरु करना चाहिए, इस बात से मैं भी सहमत हूं, लेकिन जब देश की सुरक्षा का सवाल है तो प्रथमिकता तय करनी पड़ती है. जब प्रशासन को सही लगेगा तो इस पर विचार करेंगे." परीक्षा को लेकर उठाए गए आजाद के सवाल पर शाह ने अपने आंकड़ों के साथ पलटवार किया. उन्होंने कहा, "11वीं कक्षा के 50,537 छात्रों में से 50,272 यानी 99.48% ने परीक्षा दी, वहीं 10वीं और 12वीं के 99.7% छात्रों ने परीक्षा दी है."

इंटरनेट भी अधिकार है

पिछले 100 दिनों से कश्मीर में इंटरनेट बंद है. लोगों का कहना है कि इस जमाने में इंटरनेट सूचना का अहम उपक्रम और इसे बहाल किया जाना चाहिए. कानून के जानकारों का कहना है कि इंटरनेट को पूरी तरह से हटाने का कोई कानून नहीं है  अगर इस तरह का कोई कदम सरकार उठा रही है तो वह अस्थायी होना चाहिए और ऐसा करने के लिए उसके पास ठोस आधार होना चाहिए. 

Bildergalerie Kaschmir Alltag in Srinagar
तस्वीर: Reuters/D. Ismail

कश्मीर के पत्रकार जफर इकबाल कहते हैं, "कश्मीर घाटी में देश ही नहीं विदेश से भी पत्रकार आते हैं, ऐसे में इंटरनेट बंद होने की वजह से हमें खास तौर पर अपनी रिपोर्ट लिखने में दिक्कत हो रही है. शुरुआत में तो सरकार ने एक होटल में कुछ कंप्यूटर टर्मिनल लगाए जिससे पत्रकार अपनी रिपोर्ट फाइल कर सके, लेकिन इतने अधिक पत्रकारों की मौजूदगी के कारण रिपोर्ट लिखने में बहुत मुश्किल होती है. अब सरकार ने कुछ जगहों पर इंटरनेट की सुविधा दी है लेकिन कश्मीर की इतनी बड़ी आबादी के लिए यह नाकाफी है."

इकबाल कहते हैं इंटरनेट तो आज के इस दौर में बुनियादी जरुरत है. उनके मुताबिक, "खरीदारी हो, व्यापार हो, पर्यटन से जुड़ा कारोबार हो या एयरलाइन के लिए टिकट बुकिंग अब तो हर कुछ ही इंटरनेट से जुड़ा है. यहां तक बच्चों की शिक्षा के लिए भी यह आवश्यक है. इंटरनेट के बिना यहां के लोगों का कैसे काम चलेगा" 

Indien Besuch von EU Parlamentarier in Kaschmir Proteste
तस्वीर: picture-alliance/ZUMAPRESS.com/M. Mattoo

अमित शाह ने आंकड़े पेश किए

दूसरी ओर राज्य के हालात पर अमित शाह ने ऊपरी सदन में कुछ आंकड़े भी रखे जिनमें स्वास्थ्य सेवाएं, दवाइयां की उपलब्धता, कितने लैंडलाइन फोन चालू हुए, बहुत जरूरी कामों के लिए 10 जिलों में ई-टर्मिनल का संचालन, कोर्ट के कामकाज, पत्थरबाजी में कमी, मोबाइल फोन कितने काम कर रहे हैं, पेट्रोल पंप और बैंकिंग सेवा आदि शामिल हैं. साथ ही शाह ने दावा किया कि 5 अगस्त के बाद पुलिस फायरिंग में एक भी शख्स की मौत नहीं हुई.

सरकार ने कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला को पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत हिरासत में लिया है तो वहीं उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को एहतियातन नजरबंद किया गया है. कुछ प्रमुख अलगाववादियों को भी सरकार ने एहतियातन हिरासत में लिया हुआ है.

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