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विज्ञानइस्राएल

टिड्डों के एंटेना से बना सूंघने वाला अनूठा रोबोट

६ फ़रवरी २०२३

आपने टिड्डों के सिर पर निकली लंबी सी डंडी देखी होगी, इन्हें एंटेना कहा जाता है. ये एंटेना अब बीमारियों का जल्द पता लगाने और सुरक्षा जांच को ज्यादा मुस्तैद बनाने में मददगार बनेंगे.

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टिड्डे अपने संवेदनशील एंटेना का इस्तेमाल कर अपने आस-पास की हवा के रासायनिक बदलाव का पता लगाते हैं. इससे उन्हें करीबी आबोहवा की रासायनिक गंध के बारे में बहुत तेज और सटीक जानकारी मिलती है.
टिड्डे अपने संवेदनशील एंटेना का इस्तेमाल कर अपने आस-पास की हवा के रासायनिक बदलाव का पता लगाते हैं. इससे उन्हें करीबी आबोहवा की रासायनिक गंध के बारे में बहुत तेज और सटीक जानकारी मिलती है.तस्वीर: Jonjo Harrington/AP/picture alliance

इन एंटेनों का इस्तेमाल करके इजरायली शोधकर्ताओं ने सूंघने वाला एक खास रोबोट बनाया है. इस रोबोट में बायोलॉजिकल सेंसर लगे हैं. इन सेंसरों में टिड्डों का एंटेना इस्तेमाल किया गया है. टिड्डों में सूंघने की गजब क्षमता होती है. वह एंटेना के सहारे सूंघते हैं. तेल अवीव यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने टिड्डों की इसी क्षमता का इस्तेमाल बायो-हाइब्रिड रोबोट बनाने में किया है. उनका कहना है कि टिड्डों के एंटेना की मदद से ये रोबोट मौजूदा इलेक्ट्रॉनिक स्निफर्स के मुकाबले ज्यादा कारगर हो सकते हैं.

शोधकर्ताओं ने टिड्डों के एंटेना को रोबोट के दो इलेक्ट्रोड्स के बीच लगाया, जो कि नजदीकी गंध सूंघकर इलेक्ट्रिक सिग्नल भेजता है. हर गंध का अपना एक खास सिग्नेचर होता है. मशीन लर्निंग की मदद से रोबोट का इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम इनकी पहचान कर सकता है. सागोल स्कूल ऑफ न्यूरोसाइंस की शोधकर्ता नेता श्विल ने रॉयटर्स को बताया, "हम ऐसा रोबोट बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें सूंघने की काबिलियत हो और जो अलग-अलग गंधों के बीच फर्क भी कर सकता हो. साथ ही, वो यह भी पता लगा सकता हो कि गंध कहां और किस चीज से आ रही है."

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लंबे समय से हो रहे हैं प्रयोग

टिड्डे अपने संवेदनशील एंटेना का इस्तेमाल कर अपने आस-पास की हवा के रासायनिक बदलाव का पता लगाते हैं. इससे उन्हें करीबी आबोहवा की रासायनिक गंध के बारे में बहुत तेज और सटीक जानकारी मिलती है. सूंघने की ऐसी क्षमता कई और कीट-पतंगों में भी पाई जाती है. इनके मुकाबले इंसानों की सूंघने की क्षमता बहुत सीमित है.

वैज्ञानिक लंबे समय से जानवरों के जैविक सूंघने वाले सेंसरों पर प्रयोग कर रहे हैं. इसकी मदद से एक बायो-हाइब्रिड सेंसर विकसित करने में कामयाबी मिली है, जो जीवों के जैविक सेंसरों और इलेक्ट्रॉनिक पुरजों का खास मिश्रण है.

2022 में मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने भी टिड्डों के दिमाग और एंटेना की मदद से मुंह के कैंसर की पहचान की तकनीक विकसित की थी. शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस तकनीक के लिए फिलहाल छह से 10 टिड्डों की जरूरत होती है. शोधकर्ता इस संख्या को घटाने की कोशिश पर काम कर रहे हैं. कीट-पतंगों के अलावा कुत्तों की सूंघने की शक्ति का भी दशकों से इस्तेमाल किया जाता रहा है.

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भविष्य में बहुत मददगार हो सकती है यह जानकारी

कुछ जानवर सूंघकर बीमारी की पहचान कर लेते हैं. शोध बताते हैं कि कुत्ते इंसानों की खास गंध और इनमें होने वाले बदलावों को सूंघ सकते हैं. कोविड महामारी के दौरान संक्रमित मरीजों की पहचान के लिए भी कुत्तों के साथ प्रयोग किए गए थे.

वैज्ञानिक यह समझने में जुटे हैं कि कुछ जानवरों में पाई जाने वाली इस खास क्षमता का कारण क्या है. बेन मोएज, फ्लाइशमन फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग और सागोल स्कूल ऑफ न्यूरोसाइंस में रिसर्चर हैं. वह बताते हैं कि इस जानकारी में बहुत संभावनाएं हैं. मसलन, इसकी मदद से ड्रग्स और विस्फोटकों की ज्यादा सटीक पहचान हो सकती है. साथ ही, खाने की चीजों की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सकती है.

 

एसएम/आरएस (रॉयटर्स)