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अपराधभारत

कोलकाता: पांच साल से अधूरा है डॉक्टरों की सुरक्षा का वादा

३ सितम्बर २०२४

कोलकाता के एक अस्तपाल में महिला डॉक्टर के साथ रेप और हत्या का मामला अब तक शांत नहीं हो पाया है. पांच साल पहले राज्य सरकार ने डॉक्टरों के साथ होने वाली हिंसा पर लगाम कसने का वादा किया था, जो अब भी अधूरा है.

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अहमदाबाद में विरोध प्रदर्शन में शामिल डॉक्टर (17 अगस्त, 2024)
कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के बाद देश भर के डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शन और हड़ताल किया हैतस्वीर: Ajit Solanki/AP Photo/picture alliance

पश्चिम बंगाल की सरकार ने पांच साल पहले डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा पर लगाम लगाने का वादा किया था. इनमें सरकारी अस्पतालों को बेहतर सुरक्षा उपकरण मुहैया कराना, महिला डॉक्टरों की मदद के लिए महिला गार्डों को तैनात करना और अस्पतालों में प्रवेश द्वारों को सुरक्षित करने जैसे वादे शामिल थे. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने एक आंतरिक सरकारी मेमो के हवाले से यह जानकारी दी है. खबर के मुताबिक, ये उपाय अब भी लागू नहीं हो पाए हैं. आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर की रेप के बाद हत्या से यह मामला एक बार फिर उठ गया है.

कब दिया गया था आश्वासन?

17 जून 2019 को राज्य स्वास्थ्य विभाग ने एक मेमो नोट जारी किया. इसका संदर्भ 2019 की ही एक घटना से जुड़ा है, जब शहर के एक अस्पताल में एक मरीज के रिश्तेदारों ने दो डॉक्टरों पर हमला किया था. ट्रेनी डॉक्टरों ने इस घटना का विरोध किया. इसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रदर्शनकारी डॉक्टरों से मुलाकात की.

डॉक्टरों द्वारा उठाई गई चिंताओं के मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग ने दो पन्नों का एक मेमो जारी किया, जिसमें डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में कई उपाय करने की बात कही गई. इसके तहत "प्रभावी सुरक्षा उपकरण और तंत्र" लगाना, अस्पताल परिसर में लोगों के अंदर आने और बाहर जाने की व्यवस्था को बेहतर करना और हमले की स्थिति में पीड़ित कर्मचारियों के लिए मुआवजा नीति बनाने का वादा किया था.

कोलकाता में शांति मार्च में शामिल मेडिकल स्टाफ (15 अगस्त, 2024)
पांच साल पहले पश्चिम बंगाल सरकार ने डॉक्टरों की सुरक्षा का आश्वासन दिया थातस्वीर: Dibyangshu Sarkar/AFP/Getty Images

अस्पताल और डॉक्टरों की सुरक्षा पर सवाल

इन आश्वासनों पर कितना काम हुआ है, यह जानने के लिए रॉयटर्स ने कुछ ट्रेनी डॉक्टरों से बात की. चार ट्रेनी डॉक्टरों ने बताया कि इनमें से कोई भी उपाय आरजी कर मेडिकल अस्पताल और कॉलेज में लागू नहीं किए गए थे. 9 अगस्त को इसी अस्पताल में एक युवा महिला डॉक्टर का बलात्कार हुआ और कथित तौर पर कोलकाता पुलिस के सिविक वॉलंटियर द्वारा उसकी हत्या कर दी गई. इस वारदात ने देशभर में आक्रोश पैदा कर दिया और डॉक्टर कार्य स्थल पर सुरक्षा की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए.

ट्रेनी डॉक्टरों ने बताया कि वारदात के पहले आरजी कर अस्पताल और कॉलेज में सिर्फ दो पुरुष गार्ड तैनात थे. उनके मुताबिक, अस्पताल में कुछ ही सीसीटीवी कैमरे लगे हैं जो अस्पताल के विशाल परिसर की निगरानी के लिए काफी नहीं हैं. दो अन्य ट्रेनी डॉक्टरों ने बताया कि जिस लेक्चर हॉल में महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की घटना हुई, उसके दरवाजे पर कोई ताला नहीं था.

महिला डॉक्टर 36 घंटे की लंबी ड्यूटी के बाद उसी लेक्चर हॉल में आराम कर रही थी. इन ट्रेनी डॉक्टरों के मुताबिक, वे भी उस हॉल में सो चुके हैं और वहां का एयर कंडीशन खराब है. आरजी कर अस्पताल में पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर रिया बेरा ने अपने सहकर्मी की मौत के बारे में कहा, "अगर ये उपाय किए गए होते, तो यह घटना कभी नहीं होती."

जब रॉयटर्स ने 2019 के आश्वासनों के बारे में पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य सचिव एनएस निगम से पूछा, तो उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी ने दो वर्षों तक सुधारों को बाधित किया था. उन्होंने दावा किया कि 2021 से अब तक "बहुत कुछ" किया गया है, जिसमें सीसीटीवी कवरेज को मजबूत करना और अस्पतालों में निजी सुरक्षा जैसे उपाय शामिल हैं. एनएस निगम ने कहा, "हम बाकी काम करने और आरजी कर अस्पताल की घटना के बाद उभरी खामियों को भरने के लिए प्रतिबद्ध हैं."

मुख्यमंत्री कार्यालय और आरजी कर अस्पताल ने प्रतिक्रिया के अनुरोधों का जवाब नहीं दिया. हालांकि, ममता बनर्जी ने 28 अगस्त को यह घोषणा की थी कि स्वास्थ्य सुविधाओं में बेहतर रोशनी के इंतजाम, आराम करने की जगह और महिला सुरक्षा कर्मचारियों जैसे सुधारों पर काम शुरू करने के लिए कई करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.

कोलकाता में महिला सुरक्षा की मांग पर मार्च करती महिलाएं (फाइल तस्वीर)
ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार के बाद पश्चिम बंगाल और भारत में स्वास्थ्यकर्मी और महिलाएं प्रदर्शन कर रहे हैंतस्वीर: Chintu Sengupta

भारत में किन हालात में काम करती हैं महिला डॉक्टर

भारत में महिलाओं की सुरक्षा एक गंभीर चिंता का विषय है. काम की जगह पर महिलाओं की सुरक्षा हो, या मौजूदा संदर्भ में महिला डॉक्टरों की सुरक्षा की बात, स्थितियां चिंताजनक हैं. रॉयटर्स ने पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों के सरकारी अस्पतालों में काम करने वाली 14 महिला डॉक्टरों से उनकी चुनौतियों के बारे में बात की.

इन डॉक्टरों ने काम की खराब स्थितियों के बारे में बताया. इसमें मरीजों के परिवारों का आक्रामक व्यवहार और आराम की सुविधाओं में कमी शामिल है. कुछ डॉक्टरों ने लंबी शिफ्ट के दौरान बिना ताले वाले ब्रेक रूम में झपकी लेने की बात बताई. उन्होंने यह भी बताया कि ब्रेक रूम में रहने के दौरान लोग जबरन अंदर घुस आते हैं. कुछ और डॉक्टरों ने कहा कि कई बार उनकी पुरुष मरीजों से कहासुनी हुई क्योंकि वे बिना इजाजत उनकी तस्वीरें खींच रहे थे.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष आर वी अशोकन ने कहा कि 9 अगस्त को हुई वारदात क्रूरता के मामले में झकझोरने वाली घटना है. इस घटना के संदर्भ में उन्होंने ध्यान दिलाया, "यह तथ्य है कि कोई भी व्यक्ति वहां आ-जा सकता है, यह इस जगह की कमजोरी को दिखाता है, और यह तब है, जब अधिक से अधिक महिलाएं इस पेशे में शामिल हो रही हैं."

अपनी सुरक्षा अपने हाथ

कई महिला डॉक्टर और उनके परिवार अब अपने स्तर पर एहतियात बरत रहे हैं. ओडिशा के एक अस्पताल में एक महिला डॉक्टर ने बताया कि उनके पिता ने किसी हमले की स्थिति में बचाव के लिए उन्हें एक चाकू दिया है. कोलकाता के एक अन्य मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर गौरी सेठ ने बताया कि 9 अगस्त की घटना के बाद वह खुद की रक्षा के लिए पेपर स्प्रे लिए बिना ड्यूटी पर नहीं जाती हैं.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में महिलाओं के खिलाफ लगभग 4,50,000 अपराध दर्ज किए गए. यह 2021 की तुलना में चार फीसदी अधिक है.इन अपराधों में से सात फीसदी से अधिक बलात्कार से जुड़े थे.

वकील और अधिकार कार्यकर्ता वृंदा ग्रोवर पुलिस जांचकर्ताओं के लिए अपर्याप्त प्रशिक्षण और व्यापक सांस्कृतिक मुद्दों को जिम्मेदार ठहराती हैं. कोलकाता में हुई वारदात के संदर्भ में वह कहती हैं, "इस मामले में सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि पीड़िता ड्यूटी पर थी, वह अपने कार्य स्थल पर थी." उन्होंने कहा, "ऐसे समाज में कुछ गड़बड़ है, जहां इस तरह का व्यवहार आम बात है."

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डॉक्टर बनने का सपना

आरजी कर अस्पताल में रेप और हत्या की शिकार महिला डॉक्टर के बारे में उनके दोस्तों और रिश्तेदारों ने रॉयटर्स को बताया कि वह हमेशा से ही डॉक्टर बनना चाहती थी. मेडिकल कॉलेज में पीड़िता के साथ पढ़ने वाले सोमोजीत मौलिक ने कहा, "जब मैं पिछले साल उससे मिला था, तो उसने मुझे बताया था कि वह बहुत खुश है और अपना सपना पूरा कर रही है."

जब रॉयटर्स ने पीड़िता के परिवार के घर का दौरा किया, तो घर के दरवाजे पर लगे नेमप्लेट पर उसका नाम और उसके आगे डॉ. लिखा हुआ था. यह संकेत है कि उसके रिश्तेदार उसकी उपलब्धियों को कितना महत्व देते थे.

पीड़िता की चाची ने एक इंटरव्यू में कहा कि उनकी भतीजी की शादी इस साल के आखिर में एक डॉक्टर से होने वाली थी, जिसके साथ उसने पढ़ाई की थी. उन्होंने कहा कि पीड़िता ने कार्य स्थल पर सुरक्षा के मुद्दों के बारे में कोई शिकायत नहीं की थी, लेकिन उसकी मौत के बाद सहकर्मी अब खुलकर बोल रहे हैं.

एए/एसएम (रॉयटर्स)