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फिर लौटा सीबीआई पर 'पिंजरे में बंद' तोते का टैग

१३ सितम्बर २०२४

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ईडी वाले मामले में जमानत मिलने के बाद अब सीबीआई वाले केस में भी जमानत मिल गई है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ में उनकी गिरफ्तारी की वैधता को लेकर सर्वसम्मति नहीं थी.

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लोकसभा चुनावों के दौरान जमानत पर बाहर आकर रोडशो करते अरविंद केजरीवाल
दिल्ली में विधानसभा चुनावों से कुछ महीनों पहले अरविंद केजरीवाल को मिली जमानत उनकी आप पार्टी के लिए राहत के रूप में आई हैतस्वीर: Anushree Fadnavis/REUTERS

सुप्रीम कोर्ट के दो जजों, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत देते हुए कहा कि ऐसा लगता कि इस मामले में सुनवाई "निकट भविष्य में" पूरी होगी. अदालत ने कहा कि केजरीवाल जमानत के 'ट्रिपल टेस्ट' को पूरा करते हैं और इसलिए उन्हें जमानत दी जाती है.

ट्रिपल टेस्ट उन तीन कसौटियों को कहा जाता है जिनके आधार पर जमानत याचिका का फैसला किया जाता है. यह तीन आधार हैं - सुनवाई के दौरान आरोपी के देश छोड़ कर भाग जाने का खतरा ना हो, उसके सबूतों से छेड़छाड़ करने का खतरा ना हो और वो गवाहों को प्रभावित करने की स्थिति में ना हो.

मार्च, 2024 में ईडी की हिरासत में अदालत जाते अरविंद केजरीवाल
सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की पीठ के एक जज ने सीबीआई द्वारा अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को सही ठहराया है और एक ने गलततस्वीर: Hindustan Times/IMAGO

केजरीवाल को 10 लाख का जमानत मुचलका और 10-10 लाख की दो श्योरटी भरने के लिए कहा गया. उन्हें यह भी आदेश दिया गया कि वह इस मामले पर सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. हालांकि, दोनों जजों के फैसलों में सहमति बस यहीं तक सीमित थी. सीबीआई द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी पर दोनों जजों ने अलग-अलग राय सामने रखी.

क्या केजरीवाल की गिरफ्तारी सही थी?

दरअसल सीएम केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं डाली थीं. एक में सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी की वैधता को चुनौती दी गई थी और दूसरी में जमानत की मांग की गई थी. दूसरी याचिका को तो दोनों जजों ने स्वीकार कर लिया, लेकिन पहली याचिका पर दोनों ने अलग फैसला दिया.

'बार एंड बेंच' वेबसाइट के मुताबिक, न्यायमूर्ति कांत ने सीबीआई द्वारा केजरीवाल की हिरासत को वैध ठहराया. उन्होंने कहा, "अगर कोई व्यक्ति पहले से हिरासत में हो और एक अन्य मामले में जांच के लिए भी उसे हिरासत में रखने की जरूरत हो, तो उसे गिरफ्तार करने में कोई अड़चन नहीं है."

उन्होंने आगे कहा, "सीबीआई ने अपने आवेदन में दर्ज किया है कि हिरासत के लिए एक न्यायिक आदेश जारी हुआ था, इसलिए गिरफ्तारी जरूरी थी." न्यायमूर्ति कांत ने यह भी जोड़ा कि जब कोई मैजिस्ट्रेट वारंट जारी कर देता है, उसके बाद जांच एजेंसी को उसके लिए कोई कारण देने की जरूरत नहीं रह जाती है.

लेकिन न्यायमूर्ति भुयान इन बातों से सहमत नहीं थे. उन्होंने अपने अलग फैसले में कहा कि सीबीआई ने सिर्फ ईडी वाले मामले में केजरीवाल को मिली जमानत निष्फल करने के लिए उन्हें गिरफ्तार किया.

"पिंजरे में बंद तोता'

न्यायमूर्ति भुयान ने कहा कि सीबीआई को 22 महीनों तक केजरीवाल को गिरफ्तार करने की जरूरत महसूस नहीं हुई थी और जैसे ही ईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाई गई, सीबीआई "सक्रिय हो गई" और उन्हें गिरफ्तार कर लिया.

उन्होंने कहा, "सीबीआई का यह कदम गिरफ्तारी के समय पर गंभीर सवाल उठाते हैं और सीबीआई द्वारा यह गिरफ्तारी सिर्फ ईडी मामले में दी गई जमानत को निष्फल करने के लिए की गई थी." 

न्यायमूर्ति भुयान ने एजेंसी को उस विशेषण की भी याद दिलाई, जो सुप्रीम कोर्ट ने ही साल 2013 में कथित कोयला घोटाला मामले में सुनवाई के दौरान सीबीआई को दी थी. उन्होंने कहा, "सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता होने की धारणा को दूर करना चाहिए और यह दिखाना चाहिए कि वो पिंजरे में नहीं है."

कथित आबकारी नीति घोटाला मामले में सीबीआई ने अगस्त 2022 में दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया समेत 15 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी और 26 फरवरी को सिसोदिया को गिरफ्तार किया था.

इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) अलग से जांच कर रहा है. मार्च, 2024 में ईडी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी गिरफ्तार कर लिया था. जून में ईडी की हिरासत में से सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.

(सीके/एसएम)