सुप्रीम कोर्ट ने निपटाए 52 हजार मामले, 80 हजार अब भी लंबित
२२ दिसम्बर २०२३ताजा आंकड़े खुद सुप्रीम कोर्ट ने ही जारी किए हैं. 2022 में सिर्फ 39,800 मामलों का निपटारा हुआ था जबकि इस साल 52,191 मामलों को निपटाया गया. इनमें 6,549 नियमित मामले थे और 45,642 अन्य प्रकार के.
इस आंकड़े को इस साल अदालत में दर्ज होने वाले मामलों की कुल संख्या के साथ देखने पर मामलों के निस्तारण की दर भी अदालत के लिए राहत की बात है.
कई कोशिशों का नतीजा
इंटीग्रेटेड केस मैनेजमेंट सिस्टम के मुताबिक इस साल दर्ज होने वाले मामलों की कुल संख्या थी 49,191. इस प्रणाली को 2017 में शुरू किया गया था, जिसके बाद 2018 में 37,470 और 2019 में 41,100 मामलों को निपटाया गया.
सुप्रीम कोर्ट समेत देश की सभी अदालतों में लंबित मामलों की सूची लंबे समय से भारत की न्याय व्यवस्था के लिए चिंता का विषय रही है. कोविड-19 महामारी के दौरान मामलों के निपटारे की गति विशेष रूप से नीचे गिर गई थी.
2020 में सिर्फ 20,670 और 2021 में सिर्फ 24,586 मामलों का निपटारा हुआ था. 2022 में इस मामले में थोड़ी प्रगति दिखाई दी थी और अब जा कर 2023 में संख्या में काफी बड़ा उछाल दर्ज किया गया है.
जानकारों का मानना है कि अदालत की प्रणाली से कोविड का असर खत्म करने की कोशिशें 2022 में शुरू की गई थी. इन कोशिशों को एक एक कर तीन मुख्य न्यायाधीशों के कार्यकाल में आगे बढ़ाया गया - न्यायमूर्ति एनवी रमना, यूयू ललित और सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़.
सभी अदालतों को मिला कर बड़ी संख्या
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कुछ और कदम उठाए, जैसे मामलों के दर्ज होने से पहली सुनवाई की तारीख मिलने के बीच की अवधि को कम करना. सुप्रीम कोर्ट ने दावा किया है कि उनके कार्यकाल में इस अवधि को 10 दिनों से पांच से सात दिनों के बीच ला दिया गया.
हालांकि देश की सभी अदालतों की ही तरह सुप्रीम कोर्ट के सामने भी अभी भी काफी बड़ी चुनौती है. केंद्रीय विधि मंत्रालय द्वारा लोकसभा में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक अभी भी सुप्रीम कोर्ट में 79,774 मामले लंबित हैं. 2014 से 2022 के बीच लंबित मामलों की संख्या 11.13 प्रतिशत बढ़ी ही है, घटी नहीं है.
इनमें 14,840 मामले पांच से 10 सालों से लंबित पड़े हैं और 4,735 मामले 10 से 20 सालों से लंबित पड़े हैं. सुप्रीम कोर्ट के अलावा सभी हाई कोर्ट, डिस्ट्रिक्ट कोर्ट और सबऑर्डिनेट कोर्ट में भी बड़ी संख्या में मामले लंबित पड़े हैं. सिर्फ सभी उच्च अदालतों में ही दिसंबर, 2022 तक 60 लाख से ज्यादा मामले लंबित थे.