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रेस्तरां में टिपः ग्राहकों का अधिकार या कर्मचारियों की रोजी

७ जुलाई २०२२

भारत में रेस्तराओं द्वारा टिप के नाम पर सर्विस चार्ज लेने पर विवाद बढ़ गया है. सरकार ने इस पर रोक लगा दी है लेकिन रेस्तरां मालिक गरीब होटल स्टाफ की दुहाई दे रहे हैं.

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मदुरै का एक रेस्तरां
मदुरै का एक रेस्तरांतस्वीर: Creative Touch Imaging Ltd./NurPhoto/picture alliance

भारत के हजारों रेस्तरां मालिक सरकार द्वारा लाए गए नये नियमों का विरोध कर रहे हैं. इन रेस्तरां मालिकों का कहना है कि बिल में सर्विस चार्ज को पहले से जोड़ना अवैध नहीं है और इस कदम से लाखों लोगों की रोजी-रोटी पर असर पड़ेगा.

इसी हफ्ते भारत के उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने आदेश जारी किया था कि सेवा कर को रेस्तरां के बिल में टिप के नाम पर स्वतः नहीं जोड़ा जा सकता. विभाग का आशय है कि किसी भी उपभोक्ता से बिना उसकी मर्जी के टिप के पैसे नहीं लिए जा सकते और यह ग्राहकों की मर्जी पर छोड़ा जाना चाहिए कि वह बिल के अलावा टिप देना चाहते हैं या नहीं.

लेकिन रेस्तरां मालिकों का कहना है कि उन्होंने अपने गेट पर और मेन्यु कार्ड में भी साफ तौर पर लिख रखा है कि अगर कोई उनकी सेवाएं चुनता है तो उसे सेवा कर देना होगा. पांच लाख रेस्तरांओं का प्रतिनिधित्व करने वाली नेशनल रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनआरएआई) ने एक बयान में कहा, "यह चार्ज लगाना अवैध नहीं है."

एसोसिएशन ने कहा कि कोई भी प्राधिकरण या अधिकारी व्यापारी के फैसले में दखल नहीं दे सकती और ऐसा नियम लागू करना है तो उसके लिए कानून में संशोधन करना होगा.

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सर्विस चार्ज भारतीय रेस्तरां उद्योग में लंबे समय से विवाद का विषय रहा है. रेस्तराओं का कहना है कि यह नाजायज नहीं है क्योंकि इसे वेटर, कुक और अन्य कर्मचारियों के बीच बांटा जाता है और मुनाफे का हिस्सा नहीं है. एसोसिएशन के ट्रस्टी अनुराग कटरियार कई लोकप्रिय रेस्तरां चलाते हैं जिनमें इंडिगो डेली भी शामिल है. वह कहते हैं कि सर्विस चार्ज रेस्तरां में काम करने वाले लोगों की लगभग आधी तन्ख्वाह होता है.

कटरियार ने कहा, "हमें लगता है कि यह निर्देश कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है. यह ग्राहकों के अंदर उलझनें पैदा कर रहा है और गरीब रेस्तरां कर्मचारियों को परेशान कर रहा है. अगर लंबे सय तक यह भ्रम बना रहा तो हम स्पष्टता के लिए अदालत जाएंगे."

क्या है नया नियम?

रेस्तरां अक्सर अपने बिल में 5-15 प्रतिशत तक टिप के रूप में जोड़ देते हैं, जिसे सर्विस चार्ज कहा जाता है. कई ग्राहकों ने इस बारे में शिकायत की थी. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय का कहना है कि कई ग्राहकों ने शिकायत की है कि रेस्तरां मालिकों ने सर्विस चार्ज को अनिवार्य बना रखा है और अगर कोई इसे देने से मना करता है तो उसे शर्मिंदा किया जाता है.

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नए नियमों में मंत्रालय ने कहा है कि अब यह सर्विस चार्ज अपने आप नहीं जोड़ा जा सकता और इसे ग्राहक की मर्जी पर छोड़ा जाना चाहिए. निर्देश के मुताबिक रेस्तरां अब किसी भी रूप में ग्राहकों से टिप नहीं वसूल सकते और "इसे देने से इनकार करने वाले ग्राहकों को सेवाएं या प्रवेश से मना नहीं कर सकते."

इस बारे में उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर कहा कि यह फैसला उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा के लिए किया गया है. उन्होंने लिखा, "ग्राहकों को नाजायज चार्ज से बचाने की कोशिश के तहत होटल और रेस्तरां अब खाने के बिल में अपने आप सर्विस चार्ज नहीं जोड़ पाएंगे."

2017 में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने दिशा निर्देश जारी करते हुए कहा था कि ग्राहक सरकार द्वारा तय किए गए कर के अलावा उतना पैसा देने का हकदार है जितना मेन्यु कार्ड पर लिखा है. विभाग ने कहा था कि अगर ग्राहक कोई टिप या अतिरिक्त धन देना चाहते हैं तो यह उनकी इच्छा पर निर्भर होगा और उनकी मर्जी के बिना इसे वसूलना गलत माना जाएगा.

रिपोर्टः विवेक कुमार (रॉयटर्स)

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