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कानून और न्यायभारत

क्या होता है वक्फ और क्यों सरकार बदलना चाह रही है वक्फ कानून

चारु कार्तिकेय
५ अगस्त २०२४

मोदी सरकार द्वारा वक्फ कानून बदलने के लिए कथित रूप से एक नया बिल लाए जाने से पहले ही इस कदम का विरोध शुरू हो गया है. आखिर क्या होता है वक्फ और क्यों उठा है इस पर विवाद?

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ईद के दिन दिल्ली की जामा मस्जिद में नमाज के लिए जुटे लोगों की तस्वीर
शाहजहां द्वारा बनवाई गई दिल्ली की ऐतिहासिक जामा मस्जिद एक वक्फ इमारत हैतस्वीर: Anushree Fadnavis/REUTERS

मीडिया रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि केंद्र सरकार जल्द ही वक्फ अधिनियम, 2013 में संशोधन लाने के लिए एक बिल संसद में ला सकती है. सरकार ने इन रिपोर्टों की पुष्टि नहीं की है, लेकिन मुसलमान समुदाय से जुड़े राजनेता और अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने सरकार के इस कदम का विरोध किया है.

एआईएमपीएलबी ने एक बयान जारी कर कहा कि वक्फ अधिनियम, 2013 में अगर ऐसा कोई बदलाव किया जाता है जो वक्फ संपत्तियों के रूप को बदल देगा या सरकार या किसी व्यक्ति के लिए उन संपत्तियों को हड़प लेना आसान बना देगा, तो यह बदलाव अस्वीकार्य है.

क्या होता है वक्फ

'वक्फ' अरबी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब होता है किसी संपत्ति को धार्मिक या परोपकारी कार्यों के लिए एक ट्रस्ट के नाम कर देना. एक बार किसी ने अपनी संपत्ति को वक्फ कर दिया तो उसके बाद ना उसकी खरीद-बिक्री हो सकती है और ना दान या तोहफे में किसी को दिया जा सकता है.

उत्तर प्रदेश सुन्नी केंद्रीय वक्फ बोर्ड का बोर्ड
कई राज्यों में अलग अलग शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड भी हैंतस्वीर: Samiratmaj Mishra/DW

मुस्लिम समुदाय में लोग अक्सर अपनी संपत्तियों को स्कूल, क्लिनिक, मस्जिद, मदरसा, कब्रिस्तान आदि समेत किसी ना किसी धार्मिक या परोपकारी उद्देश्य के लिए 'वक्फ' कर देते हैं. वक्फ की हुई संपत्तियों का प्रबंधन वक्फ बोर्ड करता है.

जब यूपी में हुई वक्फ संपत्तियों की जांच

भारत में एक केंद्रीय वक्फ काउंसिल है और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के भी अपने अपने कुल मिला कर 32 वक्फ बोर्ड हैं. कुछ राज्यों में शिया और सुन्नी समुदायों के अलग अलग वक्फ बोर्ड हैं.

यह सभी बोर्ड वक्फ अधिनियम, 2013 के तहत काम करते हैं. केंद्रीय वक्फ काउंसिल की स्थापना 1964 में वक्फ अधिनियम, 1954 के तहत की गई थी. इस कानून में कई बार संशोधन किए है. आखिरी संशोधन 2013 में किया गया था.

कितनी संपत्ति है वक्फ बोर्डों के पास

वक्फ एसेट्स मैनेजमेंट ऑफ इंडिया की वेबसाइट के मुताबिक देश में इस समय कुल 3,56,047 वक्फ एस्टेट, 8,72,321 अचल वक्फ संपत्तियां और 16,713 चल संपत्तियां है. अचल संपत्तियों में से कुल 4,36,166 संपत्तियों के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है.

सबसे ज्यादा अचल संपत्तियां कब्रिस्तान (1,50,000), खेती-बाड़ी (1,40,000), मस्जिद (1,20,000) और दुकानों (1,12,000) के लिए वक्फ की गई हैं. कई वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण हो चुका है.

केंद्रीय वक्फ काउंसिल के अध्यक्ष अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री होते हैं. इस समय किरन रिजिजू काउंसिल के अध्यक्ष हैं. इस लिहाज से केंद्र सरकार के पास पहले से ही वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन की जिम्मेदारी है, लेकिन नए संशोधन की खबर से मुस्लिम समुदाय में कई लोग नाराज हैं.

मोदी के बयान पर क्या बोले पार्टी के इकलौते मुस्लिम उम्मीदवार

एआईएमपीएलबी के प्रवक्ता एसक्यूआर इलियास ने एक बयान जारी कर कहा है, "पुख्ता खबरों के मुताबिक भारत सरकार वक्फ अधिनियम में 40 संशोधन लाकर वक्फ संपत्तियों के रूप को बदलना चाहती है ताकि उन पर कब्जा ले लेना आसान हो जाए."

बाबरी-मस्जिद राम मंदिर विवाद में वक्फ बोर्ड की भूमिका

उन्होंने आगे कहा कि वक्फ अधिनियम और वक्फ संपत्तियों को भारत के संविधान और शरीयत एप्लीकेशन अधिनियम, 1937 के तहत संरक्षण प्राप्त है और मुसलमान कभी भी वक्फ अधिनियम में ऐसे किसी संशोधन को स्वीकार नहीं करेंगे जिससे अधिनियम का दर्जा ही बदल जाए.

विवादों में रहते हैं वक्फ बोर्ड

एआईएमआईएम पार्टी के अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी अधिनियम में संशोधन की कोशिशों का विरोध किया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार वक्फ बोर्डों की स्वायत्तता छीन लेना चाहती है और यह धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ है.

हालांकि कई राज्यों में वक्फ बोर्ड और वक्फ संपत्तियां कई तरह के विवादों में फंसी हुई हैं. जैसे दिल्ली में आम आदमी पार्टी के विधायक और दिल्ली वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष अमानतुल्ला खान के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) भ्रष्टाचार के कई आरोपों की जांच कर रही हैं.

इनमें यह आरोप भी शामिल है कि अध्यक्ष पद पर खान के कार्यकाल के दौरान लोगों को अवैध रूप से वक्फ संपत्तियों पर कब्जा जमाने की इजाजत दी गई. इसी तरह 2020 में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पूरे भारत में वक्फ संपत्तियों की ठीक से गिनती नहीं की जा रही है.

कर्नाटक में राज्य के अल्पसंख्यक आयोग ने 2012 में अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि राज्य में वक्फ संपत्तियों के गलत इस्तेमाल और अतिक्रमण से सरकारी खजाने को दो लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इस रिपोर्ट पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है.