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समाजभारत

15 साल तक साथ रहने के बाद तीन महिलाओं से एकसाथ की शादी

समीरात्मज मिश्र
६ मई २०२२

मध्य प्रदेश के समरथ मौर्य जनजातीय समुदाय से हैं. इस शादी में उनके छह बच्चे भी बाराती बने. समरथ के मुताबिक, इस प्रक्रिया में ग्रामीणों ने पूरा साथ निभाया है. 35 साल के समरथ अपने गांव के सरपंच रह चुके हैं.

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समरथ मौर्य और उनकी तीन पत्नियां. भारतीय कानून समरथ मौर्य को एक से ज्यादा शादियां करने की इजाजत देता है.
समरथ मौर्य और उनकी तीन पत्नियां. भारतीय कानून समरथ मौर्य को एक से ज्यादा शादियां करने की इजाजत देता है.तस्वीर: Samarath Maurya

मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले के निवासी समरथ मौर्य की कहानी आज के दौर में फिल्मी लगती है, पर है बिल्कुल सच्ची. तीन महिलाओं के साथ करीब 15 साल तक रहने के बाद उन्होंने तीनों से एक साथ, एक ही मंडप में शादी की. शादी में इन महिलाओं से पैदा हुए उनके 6 बच्चे बाराती भी बने.

अलीराजपुर जिले के मोरी फालिया गांव के पूर्व सरपंच समरथ मौर्य को करीब 15 साल पहले एक युवती से प्रेम हुआ और फिर वो उसके साथ ही रहने लगे. इसके बाद दो अन्य युवतियों से भी उन्हें प्रेम हुआ और उनके साथ भी रहने लगे. तीनों प्रेमिकाएं समरथ मौर्य के साथ तब से एक साथ रह रही थीं और इस दौरान समरथ मौर्य के इन तीनों महिलाओं से छह बच्चे भी हुए. जीवन अच्छी तरह से चल रहा था लेकिन कुछ सामाजिक वजहों के चलते उन्हें फेरे लेने पड़े और औपचारिक रूप से विवाह करना पड़ा.

डीडब्ल्यू से बातचीत में समरथ मौर्य कहते हैं, "पहली औरत के माँ-बाप शादी करने में आनाकानी कर रहे थे, इसलिए दूसरी औरत को ले आया था. बाद में पहली औरत भी आ गई. फिर तीसरी औरत इस तरह आई कि उसके घर वाले उसके साथ गलत व्यवहार करते थे, इसलिए उसे मैं साथ में ले आया. 30 अप्रैल को हमने फेरे लिए क्योंकि हमारे आदिवासी समाज में यह परंपरा है कि जब तक फेरे नहीं लिए जाते हैं तब तक हमारी कुलदेवी हमें अंदर नहीं जाने देती हैं और न ही हम किसी धार्मिक-सामाजिक काम में हिस्सा ले सकते हैं. इसलिए फेरे लेना जरूरी था.”

समरथ मौर्य ने अपनी तीनों पत्नियों के साथ गांव में ही आदिवासी रीति-रिवाज से शादी जिसमें उनके बच्चों समेत गांव के सभी लोग शामिल हुए. इस शादी के लिए बना निमंत्रण कार्ड भी काफी दिलचस्प था और उसकी भी खूब चर्चा हुई जिसमें समरथ मौर्य की तीनों दुल्हनों- नानबाई, मेला और सकरी का नाम लिखा था. समरथ मौर्य बताते हैं कि अब तक वो शादी इसलिए भी नहीं कर पाए क्योंकि पहले वो गरीब थे. लेकिन अब उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी हो गई थी कि शादी कर सकें.

समरथ मौर्य और उनकी पत्नियों के फेरों का निमंत्रण पत्र.
समरथ मौर्य और उनकी पत्नियों के फेरों का निमंत्रण पत्र.तस्वीर: Samarath Maurya

अलीराजपुर मध्य प्रदेश के मालवा इलाके में है जो गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा से लगा हुआ है. पहले यह झाबुआ जिले में आता था. लेकिन 2008 में इसे अलग जिला बना दिया गया. भौगोलिक रूप से यह पहाड़ी इलाका है. यहां ज्यादातर आबादी आदिवासी है और गांवों में रहती है.

समरथ मौर्य आदिवासियों के भिलाला समुदाय से आते हैं जहां बिना शादी के साथ रहने यानी लिव-इन में रहने और बच्चे पैदा करने की छूट है, लेकिन जब तक विधि-विधान से शादी नहीं हो जाती, तब तक वे लोग कोई मांगलिक या धार्मिक कार्य नहीं कर सकते. 35 वर्षीय समरथ मौर्य की तीनों पत्नियों की उम्र 33 साल,, 29 साल और 28 साल है. इनके छह बच्चों में तीन बेटियां हैं, तीन बेटे. समरथ मौर्य खेती करते हैं और यही उनकी आजीविका का मुख्य साधन है.

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भारतीय संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत आदिवासी रीति-रिवाज और विशिष्ट सामाजिक परंपराओं को संरक्षण मिला हुआ है जिसके अनुसार समरथ मौर्य की एक साथ तीन दुल्हनों के साथ शादी संभव हो सकी और यह शादी गैर-कानूनी नहीं मानी जाएगी.

सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील दुष्यंत पराशर कहते हैं कि हिन्दू कानून के मुताबिक सिर्फ एक ही विवाह को कानूनी मान्यता है. लेकिन आदिवासियों के लिए इस बारे में कुछ विशेषाधिकार मिले हुए हैं और अलग-अलग राज्यों में इस पर कानून बने हुए हैं. दुष्यंत पाराशर कहते हैं, "मुस्लिम कानून में एक से ज्यादा शादियां कर सकते हैं, लेकिन हिन्दू कानून में यह विशेषाधिकार सिर्फ जनजातियों को ही मिला है. इसकी वजह यह है कि संविधान आदिवासियों की पहचान, उनकी संस्कृति और उनकी परंपराओं को संरक्षित रखने का प्रावधान करता है. इसलिए उन्हें ये विशेषाधिकार मिले हुए हैं. इसके अलावा और किसी भी वर्ग को कानून यह अधिकार नहीं देता है.”

फेरों के कार्यक्रम में समरथ और उनकी पत्नियां.
फेरों के कार्यक्रम में समरथ और उनकी पत्नियां.तस्वीर: Samarath Maurya

स्थानीय पत्रकार रघुनंदन सिंह बताते हैं कि आदिवासी समाज में युवक-युवती यदि एक-दूसरे को पसंद करते हैं तो वो पूरी आजादी से एक साथ रह सकते हैं. यहां तक कि उन्हें तुरंत विवाह के बंधन में बँधने की भी जरूरत नहीं होती है. यही नहीं, पसंद मिलने पर एक से ज्यादा महिलाओं के साथ रह भी सकते हैं और शादी भी कर सकते हैं. उनके मुताबिक, इसे भिलाला समाज में भी गलत नहीं समझा जाता. समरथ मौर्य ने इसीलिए 15 साल तक तीन महिलाओं के साथ रहते हुए जब शादी की तो गांव वालों ने न सिर्फ उनका साथ दिया बल्कि खुशी में शामिल भी हुए.

भिलाला जनजाति, भिलाला ठाकुर या दरबार के नाम से जानी जाती है. यह जनजाति मूलरूप से मिश्रित राजपूत यानी भील-क्षत्रिय जाति है जो मालवा, निमाड़ और मेवाड़ इलाके में रहती हैं. भिलाला जनजाति की उत्पत्ति के बारे में समाजशास्त्री आरके सिन्हा ने अपनी किताब ‘द भिलाला ऑफ मालवा' में लिखा है कि भिलाला शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- भील एवं आला. भील शब्द का मतलब भील जनजाति से है और आला शब्द का मतलब अच्छे गुण से है. भिलाला जनजाति के परिवार पितृसत्तात्मक होते हैं. परिवार का मुखिया कोई पुरुष होता है, लेकिन महिलाओं को भी ऐसे कई अधिकार दिये जाते हैं जो कि 'सभ्य समाज' में कभी नहीं दिए जाते. इस जनजाति में महिलाएं, पुरुष के बराबर काम करती हैं, चाहे वो सामाजिक क्षेत्र, आर्थिक हो या फिर सांस्कृतिक क्षेत्र.

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