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समाज

निर्मला सीतारमण आज पेश करेंगी आम बजट 

आमिर अंसारी
१ फ़रवरी २०२१

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज वित्त वर्ष 2021-22 का आम बजट पेश करने वाली हैं. इस साल पहली बार यह बजट कागज मुक्त होगा. उम्मीद जताई जा रही है कि महामारी की मार झेल रहे आम लोगों को बजट में राहत मिल सकती है.

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तस्वीर: AFP/P. Singh

निर्मला सीतारमण वित्त मंत्री के तौर पर तीसरी बार आम बजट पेश करने वाली हैं, पहले के मुकाबले उनकी टीम के सामने इस बार चुनौतियां कई हैं. कोरोना महामारी की मार से धीरे-धीरे पटरी पर आ रही अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए केंद्र सरकार किस तरह के कदम उठाने जा रही है, बजट 2021 में इसकी रूपरेखा सामने आएगी. आम आदमी, कारोबारियों और उद्योगों को राहत दिए जाने की उम्मीद जताई जा रही है. साथ ही स्वास्थ्य सेवा, बुनियादी ढांचे और रक्षा पर अधिक खर्च के माध्यम से आर्थिक सुधार को आगे बढ़ाने पर अधिक ध्यान दिए जाने की भी उम्मीद की जा रही है. यह मोदी सरकार का नौवां बजट होने वाला है. लॉकडाउन के दौरान बेरोजगारी, बंद पड़े कारखानों को ध्यान में रखते हुए व्यापक रूप से रोजगार सृजन, ग्रामीण विकास पर खर्च बढ़ाने और विकास योजनाओं के लिए उदार आवंटन की घोषणा बजट में हो सकती है. करदाताओं को भी सरकार से कुछ राहत मिलने की उम्मीद है.   

वित्त मंत्री पहले ही कह चुकी हैं कि इस बार का बजट "अभूतपूर्व" होगा. सीतारमण के सामने कई चुनौतियां हैं- जहां एक ओर उन्हें खपत बढ़ाने के लिए खर्च बढ़ाने होंगे, वहीं पैसे जुटाने के लिए रास्ता निकालना होगा. बजट में कोरोना से चोटिल अर्थव्यवस्था को दोबारा खड़ा करने के उपाय किए जाएंगे. सभी क्षेत्र और कंपनियां इस बजट से उम्मीद लगाई बैठी हैं कि उन्हें सरकार से राहत मिलेगी. बजट में कुछ चीजें महंगी हो सकती है और कुछ सामानों पर कर घटाया जा सकता है. साथ ही सरकार कई वस्तुओं पर सीमा शुल्क में कटौती कर सकती है. लॉकडाउन के दौरान बेरोजगार हुए लोगों के लिए सरकार कुछ उपायों की घोषणा भी कर सकती है. 

आर्थिक सर्वेक्षण में सुझाव 

शुक्रवार को पेश आर्थिक सर्वे में कहा गया था सकल घरेलू उत्पाद को बढ़ाने के लिए सरकार को ज्यादा सक्रिय वित्तीय नीतियों को बढ़ावा देना चाहिए. साथ ही टैक्स में कटौती करनी चाहिए, ताकि आम लोगों के पास खर्च करने के लिए अधिक पैसे हों. सर्वे में चालू वित्त वर्ष के दौरान अर्थव्यवस्था में 7.7 फीसदी गिरावट आने का अनुमान जताया गया है. यह चार दशक में अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ी गिरावट होगी. इसका मुख्य कारण कोरोना को रोकने के लिए लगाया गया लॉकडाउन है. हालांकि अगले वित्त वर्ष के दौरान अर्थव्यवस्था में तेज रिकवरी की उम्मीद जताई गई है और जीडीपी 11 फीसदी तक बढ़ सकती है. विशेषज्ञों की राय है कि यह बजट कुछ इस तरीके का हो, जो भविष्य की राह दिखाए और दुनिया में सबसे तेजी से वृद्धि करती प्रमुख अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाए. 

कोरोना वायरस महामारी की वजह से इस साल बजट पेपर नहीं छप रहा है बल्कि सरकार ने बजट की सॉफ्ट कॉपी इस्तेमाल करने का फैसला लिया है. आजादी के बाद पहली बार है जब बजट दस्तावेज पेपर पर नहीं छप रहे हैं. 

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