प्रवासियों पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश
देशभर में फंसे प्रवासी मजदूरों की समस्या और उन पर आई विपत्ति को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत ने गुरुवार को 28 मई को बड़ा आदेश सुनाया है. कई महीनों से मजदूर जहां-तहां फंसे हुए हैं. ऐसे में उनके लिए आदेश राहत लेकर आया है.
किराया नहीं लिया जाएगा
प्रवासी मजदूरों की बदहाली पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा लॉकडाउन के दौरान घर जाने के लिए संघर्ष करते लोगों से राज्य सरकार किराया ना ले और साथ ही ऐसे लोगों को रास्ते में भोजन दिया जाए. कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान सरकारी वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और कपिल सिब्बल के बीच तीखी बहस हुई. कोर्ट ने कहा कि जहां से यात्रा शुरू होगी वहां की सरकार खाना-पानी देगी और बस में भी इंतजाम किए जाएं.
ट्रेनों का इंतजाम
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि राज्य की सरकारें ट्रेन का किराया देंगी और प्रवासियों को घर पहुंचाने की व्यवस्था करेंगी. अदालत के मुताबिक राज्य सरकारें ट्रेन और बसों का खर्च आपस में उठाएंगी. राज्यों की मांग के मुताबिक रेलवे को ट्रेन उपलब्ध करानी होगी. साथ ही कोर्ट ने कहा कि जो लोग सड़क पर पैदल जा रहे हैं, उन्हें तुरंत आश्रय केंद्रों में लाकर उनकी मदद की जाए.
शेल्टर-खाना दे सरकार
दरअसल पिछले दो महीने से अधिक समय से प्रवासी मजदूर, दिहाड़ी कर्मचारी और अन्य लोग शहरों से निकलकर अपने गांवों की तरफ लौट रहे हैं. कई लोग पैदल या फिर अवैध तरीके से राज्य की सीमा पार करने की कोशिश भी कर रहे हैं और ऐसे में हादसे भी हो रहे हैं. कोर्ट ने कहा है कि राज्य प्रवासियों को उन स्थानों पर खाना-पानी मुहैया करवाएंगे, जहां पर वे फंसे हुए हैं. यात्रा के दौरान रेलवे भी भोजन-पानी का इंतजाम करेगा.
मजदूरों का रजिस्ट्रेशन
कोर्ट ने कहा कि मजदूरों के घर जाने के लिए रजिस्ट्रेशन राज्य सरकार करेगी. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए वहीं पर सहायता डेस्क लगाकर उनका पंजीकरण करें जहां वे फंसे हुए हैं और उन्हें ट्रेन और बस पर चढ़ने की पूरी जानकारी दें. कोर्ट ने सूचना के प्रसार पर जोर दिया.
91 लाख मजदूर जा चुके वापस
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि रेलवे ने 1 मई से 27 मई तक 3,700 श्रमिक स्पेशल टेनें चलाई हैं और इनसे करीब 50 लाख प्रवासियों को घर भेजा गया है. कुछ राज्यों गुजरात, राजस्थान ने पड़ोसी राज्यों के मजदूरों को बसों से भी भेजा है. केंद्र ने कोर्ट को बताया कि 1 मई से 27 मई के बीच 91 लाख प्रवासियों को घर भेजा गया.
कोर्ट का संज्ञान
मजदूरों की हालत पर सुप्रीम कोर्ट ने खुद संज्ञान लिया था और केंद्र, राज्य सरकार, केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा था. उत्तर प्रदेश की सरकार ने कोर्ट को बताया कि 18 लाख लोग वापस लौटे हैं, बिहार ने कहा कि 10 लाख लोग प्रदेश वापस आ चुके हैं.