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भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र में विदेशी निवेश हुआ आसान

आमिर अंसारी
२२ फ़रवरी २०२४

भारत सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में संशोधन को मंजूरी दे दी है. सरकार का कहना है कि नियम आसान होने से निवेश बढ़ेगा और इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे.

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भारत ने स्पेस सेक्टर से जुड़े विदेशी निवेश के नियम आसान किए
भारत ने स्पेस सेक्टर से जुड़े विदेशी निवेश के नियम आसान किएतस्वीर: Indian Space Research Organisation/AFP

भारत सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र में विदेशी और निजी कंपनियों को आकर्षित करने के प्रयासों के तहत बुधवार को उपग्रहों के उपकरण बनाने में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश को अनुमति देकर अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) मानदंडों को आसान बना दिया.

उपग्रह उप-क्षेत्र को तीन अलग-अलग गतिविधियों में बांटा गया है - प्रक्षेपण यान, उपग्रह और उपग्रह घटक. संशोधित नीति के तहत लॉन्च वाहनों में 49 प्रतिशत तक, उपग्रहों में 74 प्रतिशत और उपग्रह घटकों में 100 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति है.

सरकार की विदेशी निवेश पर नजर

'प्रक्षेपण वाहन' के तहत परिभाषित गतिविधियां संबद्ध प्रणालियां या उप प्रणालियां हैं और अंतरिक्ष यान को लॉन्च करने व प्राप्त करने के लिए अंतरिक्ष बंदरगाहों का निर्माण इसमें शामिल है. इसी तरह उपग्रह के अंतर्गत गतिविधियां विनिर्माण और संचालन हैं, उपग्रह डेटा प्रोडक्ट, ग्राउंड सेगमेंट और यूजर सेगमेंट हैं.

मौजूदा नीति के मुताबिक उपग्रहों की स्थापना और ऑपरेशन में केवल सरकारी अनुमोदन मार्ग से एफडीआई की अनुमति है.

सरकारी बयान के मुताबिक संशोधित नीति के तहत उदारीकृत प्रवेश मार्गों का उद्देश्य संभावित निवेशकों को अंतरिक्ष में भारतीय कंपनियों में निवेश करने के लिए आकर्षित करना है.

बयान में कहा गया है, "इसके साथ कंपनियां सरकार की 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' पहल को प्रोत्साहित करते हुए देश के भीतर अपनी विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने में सक्षम होंगी."

भारत में स्पेस सेक्टर में नए मौके

सरकार ने पिछले साल नई भारतीय अंतरिक्ष नीति का ऐलान किया था. जिसमें अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की संभावनाओं का लाभ उठाने के लिए निजी भागीदारी को बढ़ाने की बात कही गई थी.

जून 2020 में भारत सरकार ने अपने अंतरिक्ष क्षेत्र के सुधारों को पारित किया और निजी कंपनियों को इसरो के संसाधनों और बुनियादी ढांचे का इस्तेमाल करने में सक्षम बनाने के लिए एक नई एजेंसी इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड अथॉराइजेशन सेंटर की स्थापना की थी.

पिछले साल देश ने निजी भागीदारी के लिए विस्तृत दिशानिर्देशों और नियमों के लिए अपनी अंतरिक्ष नीति भी पेश की थी. भारत ने ईलॉन मस्क के स्टारलिंक समेत वैश्विक उपग्रह-आधारित ब्रॉडबैंड सेवा प्रदाताओं के लिए जमीन को सक्षम करने के लिए एक नए दूरसंचार अधिनियम के साथ अपने सदियों पुराने नियमों को भी बदल दिया.

भारत में लगभग 190 स्पेस टेक स्टार्टअप हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारतीय अंतरिक्ष स्टार्टअप में निवेश पिछले साल 12.4 करोड़ डॉलर से अधिक तक पहुंच गया.

भारत का कहना है कि 386 अरब डॉलर की वैश्विक अंतरिक्ष इकोनॉमी में उसका हिस्सा महज दो फीसदी का है. 2030 तक वह इस हिस्से को नौ फीसदी तक बढ़ाना चाहता है. 2040 तक वैश्विक स्तर पर इस बाजार के एक खरब डॉलर को पार कर जाने की संभावना है.