भारत में 2023 में अब तक 26 बाघों की मौत
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2023 में जनवरी से लेकर फरवरी के बीच ही 26 बाघों की मौत हुई है. बाघों के मरने के कारण अलग-अलग बताए जा रहे हैं. सबसे अधिक मौत मध्य प्रदेश में हुई.
औसतन हर दिन एक मौत
भारत में इस साल अब तक 26 बाघों की मौत हो गई है और यह साल 2023 के पहले दो महीनों का आंकड़ा है. इन मौतों को तीन साल में सबसे ज्यादा बताया जा रहा है.
मध्य प्रदेश में सबसे अधिक
अफ्रीकी चीते को लेकर चर्चा के केंद्र में रहे मध्य प्रदेश में सबसे अधिक नौ बाघ मारे गए हैं. भारत में बाघों को बचाने के लिए सालों से कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं.
अन्य राज्यों में भी बाघों की मौत
मध्य प्रदेश के बाद जिन राज्यों में बाघों की मौत हुईं हैं, उनमें महाराष्ट्र (7), राजस्थान (3), कर्नाटक (2), उत्तराखंड (3) और असम और केरल में एक-एक है.
कहां और कैसे मरे बाघ
बाघों के लिए काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन सोसायटी ऑफ इंडिया (डब्ल्यूपीएसआई) ने अपनी वेबसाइट पर बाघों की मौत का आंकड़ा 33 रखा, जिसमें 10 शिकार के कारण मारे गए. बाघों की मौत आवास सीमा के भीतर, इंसानों के साथ संघर्ष और बाघ अभयारण्यकी परिधि के बाहर हुई.
हर साल मर रहे बाघ
2022 में भारत ने कुल 116 बाघ खो दिए, जबकि 2021 में यह आंकड़ा 127 था. साल 2019 में देश में 96 बाघों की मौत दर्ज की गई.
इंसान और बाघ का संघर्ष
बाघों की मृत्यु के अलग-अलग कारण हैं, जिनमें प्राकृतिक कारण, क्षेत्र के झगड़े और मानव-जंगली जानवर के बीच संघर्ष अहम हैं. 2018 की गणना के मुताबिक देश में कुल 2967 बाघ हैं. सबसे अधिक बाघ मध्य प्रदेश में हैं.