भारत में इन मस्जिदों पर खड़ा किया जा रहा है विवाद
भारत में बाबरी मस्जिद को गिराए जाने के बाद वहां राम मंदिर का निर्माण तो हो गया, लेकिन अब अलग-अलग राज्यों में ऐतिहासिक मस्जिदों के मूल रूप से मंदिर होने के दावे किए जा रहे हैं.
ज्ञानवापी मस्जिद, यूपी
उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष दावा करता आया है यहां मस्जिद के नीचे 100 फीट ऊंचा 'आदि विश्वेश्वर' का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है. यह मंदिर कब बना, इसे लेकर कई अटकलें सामने आती हैं
ज्ञानवापी मस्जिद पर हिंदू पक्ष का क्या दावा है?
हिंदू पक्ष का दावा है कि यह मंदिर करीब 2,000 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने बनवाया था, जिसे मुगल सम्राट औरंगजेब ने सन् 1664 में तुड़वा दिया और उस जगह पर मस्जिद बनवा दी. वाराणसी की जिला कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को मस्जिद का सर्वे करने का आदेश दिया था. यह मामला जिला अदालत से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा.
शाही ईदगाह मस्जिद, मथुरा, यूपी
साल 2020 में मथुरा की जिला अदालत ने सिविल कोर्ट को एक आदेश देकर श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद पर सुनवाई का आदेश दिया था. सिविल कोर्ट में दायर याचिका में यह दावा किया गया था कि शाही ईदगाह मस्जिद श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर बनी हुई है.
शाही ईदगाह मस्जिद के भी सर्वे को मंजूरी
इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 14 दिसंबर 2023 को श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद के विवादित स्थल पर सर्वे की मंजूरी दी. एडवोकेट कमिश्नर के जरिए सर्वे कराने का आदेश दिया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसपर रोक लगा दी थी.
शाही मस्जिद, संभल, यूपी
नवंबर 2024 में यूपी के संभल जिले में स्थित जामा मस्जिद का मामला भी कोर्ट पहुंच गया. हिंदू पक्ष का दावा है कि जामा मस्जिद जिस जगह पर बनी है, वहां पहले मंदिर था और उसी मंदिर पर इस मस्जिद का निर्माण हुआ है. इस दलील के साथ मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करवाने की अपील की गई.
संभल में हिंसा भड़की
सिविल जज ने मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया और 24 नवंबर को जब दूसरी बार मस्जिद का सर्वे हुआ, तो हिंसा भड़क गई. चार लोग पुलिस की फायरिंग में मारे गए. यह मामला भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को हाईकोर्ट में याचिका दायर करने को कहा और निचली अदालत की आगे की कार्रवाई पर रोक लगा दी.
भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद, मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित 11वीं शताब्दी की कमाल मौला मस्जिद को लेकर भी विवाद है. हिंदू समुदाय भोजशाला को वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है. मुस्लिम पक्ष इसे कमाल मौला मस्जिद कहता है. हाई कोर्ट ने 11 मार्च 2024 को एक याचिका पर एएसआई को परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था. सर्वे के बाद एएसआई ने अपनी रिपोर्ट मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच को सौंपी थी.
अजमेर शरीफ दरगाह, राजस्थान
27 नवंबर 2024 को अजमेर कोर्ट में एक याचिका दायर की गई की कि सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह संकट मोचन महादेव मंदिर है. अजमेर कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए दरगाह समिति, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को एक नोटिस जारी किया.
शम्सी जामा मस्जिद, बदायूं, यूपी
उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में स्थित शम्सी जामा मस्जिद को लेकर भी दावा किया गया है और हिंदू पक्ष ने इसे मंदिर बताया है. साल 2022 में कोर्ट में एक याचिका दायर कर यहां नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा किया गया था. इस मामले में यूपी सरकार और एएसआई को भी पार्टी बनाया गया है. मुस्लिम पक्ष के वकील असरार अहमद सिद्दीकी का दावा है कि यह मस्जिद 850 साल पुरानी है और यहां कभी मंदिर नहीं था.
टीले वाली मस्जिद, लखनऊ, यूपी
लखनऊ में टीले वाली मस्जिद को लेकर विवाद दशकों पुराना है. हिंदू पक्ष का दावा है कि टीले वाली मस्जिद का निर्माण लक्ष्मण टीला पर किया गया था, जो भगवान राम के भाई लक्ष्मण के नाम पर बनाया गया था. इस मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट औरंगजेब के शासन के दौरान हुआ था. इस मस्जिद का मामला भी कोर्ट में चल रहा है.