1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

लुलु मॉल: विवादों से क्या निवेशकों का उत्साह कम नहीं होगा

आमिर अंसारी
१९ जुलाई २०२२

लखनऊ में हाल ही में खुला लुलु मॉल एक के बाद एक कई विवादों में घिरता चला गया. राजनीतिक कारणों से कुछ लोग विवादों को हवा दे रहे थे. अब जा कर राज्य सरकार ने शरारती तत्वों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं.

https://p.dw.com/p/4ELNc
तस्वीर: Mortuza Rashed/DW

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 10 जुलाई को लुलु मॉल का उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था. यह मॉल संयुक्त अरब अमीरात स्थित लुलु ग्रुप का है, जिसका कारोबार 20 देशों में फैला है और सालाना टर्नओवर 8 अरब डॉलर के करीब है.

लखनऊ में मॉल के उद्घाटन के चार दिन बाद कथित तौर पर परिसर में नमाज पढ़ने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद हिंदू संगठनों ने इसका विरोध करते हुए हनुमान चालीसा पढ़ने का ऐलान किया. शनिवार 16 जुलाई को मॉल में हनुमान चालीसा पढ़ने की मांग को लेकर कई हिंदूवादी संगठनों के सदस्य पहुंचे तो उनकी पुलिस के साथ कहासुनी हो गई. पुलिस ने करीब 20 लोगों को गिरफ्तार किया था.

एक के बाद एक विवाद

मॉल परिसर में नमाज का वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर अलग-अलग दावे किए जाने लगे. कुछ पोस्ट में दावा किया गया कि मॉल अपनी रोजगार नीति में पक्षपाती है और मुसलमानों को तरजीह देता है. इसके बाद मॉल प्रबंधन ने एक स्पष्टीकरण कर उन दावों का खंडन किया और कहा कि उसके 80 फीसदी कर्मचारी हिंदू हैं.

लुलु मॉल ने मुस्लिम पूर्वाग्रह के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह पूरी तरह से पेशेवर प्रतिष्ठान है जो बिना किसी भेदभाव के व्यापार करता है. मॉल द्वारा जारी बयान के मुताबिक, "हमारे कर्मचारियों को कौशल और योग्यता के आधार पर काम पर रखा जाता है, न कि जाति, वर्ग या धर्म के आधार पर."

सोशल मीडिया और वॉट्स ऐप पर ऐसे भी झूठे मैसेज फैलाए गए कि साजिश के तहत मुस्लिम कर्मचारियों की संख्या ज्यादा रखी गई है और यहां पर "लव जिहाद" को बढ़ावा दिया जा रहा है. हालांकि मॉल प्रबंधन ने अपनी सफाई में कहा है कि मॉल में जितने भी कर्मचारी हैं उनमें उत्तर प्रदेश और पूरे देश से हैं जिनमें 80 प्रतिशत से ज्यादा हिंदू हैं और बाकी मुस्लिम, ईसाई और अन्य धर्मों से हैं.

मॉल को लेकर जारी विवाद के बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने भी अपनी चुप्पी तोड़ी है. सोमवार को हुई एक बैठक में उन्होंने कहा, "लखनऊ में एक मॉल खुला है. वह मॉल अपने व्यवसायिक प्रतिष्ठान को लेकर काम कर रहा है, उसको लेकर राजनीति का अड्डा बनाना, सड़कों पर प्रदर्शन करना, यातायात को बाधित करना गलत है और लखनऊ प्रशासन को ऐसे अराजक तत्वों से सख्ती से निपटना चाहिए."

भारत में मुसलमानों को टीवी डिबेट में हिस्सा लेना चाहिए या नहीं

उन्होंने आगे कहा, "बार-बार लखनऊ प्रशासन से कहा गया कि जो अराजकता की स्थिति पैदा करने, सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने का कुत्सित प्रयास हो रहा है. जो बेवजह माहौल खराब कर रहे हैं, उन्हें किसी भी कीमत पर न बख्शे."

इस बीच लखनऊ पुलिस ने सोमवार को उन मीडिया रिपोर्टों का खंडन किया कि 12 जुलाई को लुलु मॉल में नमाज अदा करते हुए कैमरे में कैद हुए आठ लोग गैर-मुस्लिम थे. पुलिस ने कहा है कि वह जल्द ही नमाज अदा करने वालों की जानकारी साझा करेगी.

लुलु ग्रुप का उत्तर भारत में यह पहला मॉल है लेकिन इसके उद्घाटन के बाद से हर रोज नया विवाद खड़ा हो रहा है. लुलु ग्रुप के मालिक यूसुफ अली भारतीय मूल के हैं और उनका कारोबार कई देशों में फैला हुआ है. लखनऊ से पहले लुलु ग्रुप के मॉल कोच्चि, बेंगलुरू और तिरुवनंतपुरम में खुल चुके हैं लेकिन वहां मॉल को लेकर कोई भी विवाद खड़ा नहीं हुआ लेकिन लखनऊ में मॉल के खुलते ही तमाम तरह के विवाद खड़े किए गए.

महुआ मोइत्रा की टिप्पणी ने बीजेपी को दिया मौका

निवेशकों को लुभाने की कोशिश

जनवरी 2023 में उत्तर प्रदेश में "उत्तर प्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट" का आयोजन होगा. इन्वेस्टर्स समिट के दौरान उत्तर प्रदेश ने अगले पांच वर्षो में 10 लाख करोड़ रुपये के औद्योगिक निवेश आकर्षित करने का लक्ष्य रखा है. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा है कि एमएसएमई के साथ पहले दिन के फोकस के रूप में यूपी के ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट को यूरोपीय देशों, यूके, अमेरिका, कनाडा, यूएई, स्वीडन, सिंगापुर, नीदरलैंड्स, इस्राएल जैसे देशों में रोड शो आयोजित करके व्यापक प्रचार किया जाना चाहिए.

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी