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नाबालिग गर्भवती रेप पीड़ितों की मदद के लिए नयी योजना

आमिर अंसारी
४ जुलाई २०२३

भारत सरकार ने एक ऐसी योजना की शुरूआत की है जिसके तहत उन नाबालिग बलात्कार पीड़ितों को भोजन, आश्रय और कानूनी मदद दी जाएगी जिन्हें परिवार वाले गर्भवती होने के बाद छोड़ देते हैं.

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नाबालिग बलात्कार पीड़ितों की मदद के लिए पहल
नाबालिग बलात्कार पीड़ितों की मदद के लिए पहलतस्वीर: DW/P. Samanta

सोमवार को भारत सरकार ने निर्भया फंड के तहत उन नाबालिग रेप पीड़ितों के लिए नयी योजना लॉन्च की, जिन्हें गर्भवती होने के बाद परिवार वाले छोड़ देते हैं. सरकार इस योजना के तहत ऐसी नाबालिग लड़कियों को संस्थागत और वित्तीय सहायता देगी.

दरअसल सरकार ने 2021 में मिशन वात्सल्य शुरू किया था, जो बच्चों की सुरक्षा और देखभाल पर केंद्रित है. निर्भया फंड के तहत सहायता उपलब्ध कराने के लिए नयी योजना के दिशा निर्देश एक सप्ताह के भीतर जारी कर दिए जाएंगे.

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पीड़ितों को मेडिकल और कानूनी मदद

योजना के तहत गर्भवती नाबालिग बलात्कार पीड़ितों को 18 साल की उम्र तक बाल देखरेख संस्थानों में भोजन, आश्रय जैसी बुनियादी सुविधाओं के साथ-साथ कानूनी और जरूरी मेडिकल मदद भी दी जाएगी. केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि निर्भया फंड के तहत लाई जा रही इस योजना को अमली जामा पहनाने के लिए ही राज्य सरकार के साथ मिलकर मिशन वात्सल्य के ढांचे को आगे बढ़ाया गया है.

ईरानी ने बताया कि नयी योजना के तहत अतिरिक्त सहायता बाल देखभाल संस्थानों के स्तर पर 18 साल की उम्र तक की लड़कियों और 23 वर्ष तक की युवतियों के लिए देखभाल केंद्रों पर उपलब्ध होगी. उन्होंने यह भी बताया कि कानूनी सहायता के साथ-साथ पीड़िता को कोर्ट की सुनवाई में शामिल होने के लिए सुरक्षित परिवहन भी उपलब्ध कराया जाएगा. ईरानी का कहना है कि केंद्र सरकार ने देश में 415 पॉक्सो फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करके नाबालिग पीड़िता की इंसाफ तक पहुंच आसान कर दी है.

यूपी में हैं पॉक्सो के सबसे अधिक लंबित मामले

2021 में पॉक्सो के तहत 51,863 मामले दर्ज

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के 51,863 मामले दर्ज किए गए, जिनमें 64 प्रतिशत मामले पेनेट्रेटिव और गंभीर पेनेट्रेटिव यौन उत्पीड़न के हैं. नयी योजना में इस तरह की बलात्कार पीड़ित नाबालिगों को भी शामिल किया गया है.

इस योजना का लाभ लेने वाली पीड़िता के लिए एफआईआर की कॉपी की जरूरत नहीं है. एक सरकारी अधिकारी ने मीडिया को बताया कि इस योजना के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि पुलिस को सूचित किया जाए और प्राथमिकी दर्ज की जाए.

इन पीड़ितों के लिए चाइल्ड केयर होम में अलग से रहने के इंतजाम किए जाएंगे. साथ ही बलात्कार पीड़िताओं की देखभाल के लिए एक केस वर्कर नियुक्त किया जाएगा और योजना के लाभार्थियों को आश्रय देने वाले बाल देखभाल गृह को केंद्र द्वारा अलग से फंड दिया जाएगा.