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भारत: जेल में बंद अमृतपाल की जीत के क्या हैं मायने

६ जून २०२४

भारतीय जेल में बंद खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह ने पंजाब की खडूर साहिब सीट से लोकसभा चुनाव जीता है. उनके गांव में जश्न का माहौल है.

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खडूर साहिब से चुनाव जीते अमृतपाल सिंह
खडूर साहिब से चुनाव जीते अमृतपाल सिंहतस्वीर: Narinder Nanu/AFP via Getty Images

2024 के भारत के लोकसभा चुनाव में कुछ ऐसे भी उम्मीदवार जीते हैं जिनपर सरकार की करीब से नजर रहेगी. उनमें शामिल हैं पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारे बेअंत सिंह के बेटे सरबजीत सिंह खालसा और खालिस्तानी नेता अमृतपाल सिंह. ये वही अमृतपाल सिंह हैं जिनकी गिरफ्तारी को लेकर 2023 में काफी बवाल हुआ था.

सरबजीत सिंह खालसा ने पंजाब की फरीदकोट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और उन्होंने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार करमजीत सिंह अनमोल को 70 हजार से अधिक वोटों से हराया.

वहीं "वारिस दे पंजाब" संगठन के नेता और जेल में बंद अमृतपाल सिंह ने निर्दलीय रूप में खडूर साहिब सीट से 1.97 लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल की. इस सीट पर उन्हें 38.6 फीसदी वोट मिले जबकि दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस के उम्मीदवार कुलबीर सिंह जीरा को 20 फीसदी वोट मिले. अमृतपाल को 4,04,430 वोट मिले, जबकि जीरा को 2,07,310 वोट मिले. जीत का अंतर करीब 1.97 लाख रहा.

अमृतपाल के गांव में खुशी

अमृतपाल के गांव जल्लूपुर खेड़ा में जगह-जगह अमृतपाल सिंह के पोस्टर लगाए हैं. चौक-चौराहों पर अमृतपाल के चेहरे वाले झंडे भी दिखने को मिल जाएंगे. 31 साल के अमृतपाल असम की कड़ी सुरक्षा वाली जेल में बंद हैं.

अमृतपाल को पिछले साल गिरफ्तार किया गया था, जब उन्होंने और उनके सैकड़ों समर्थकों ने एक पुलिस थाने पर हमला कर दिया था. यह हथियारबंद भीड़ अमृतपाल के एक सहयोगी को छुड़वाना चाहती थी.

अमृतपाल सिंह को खालिस्तान समर्थक बताया जाता है और उनपर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) समेत 16 मामले दर्ज हैं.

खालिस्तान आंदोलन पिछले साल भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक विवाद की वजह बना था, जब कनाडा ने भारतीय खुफिया एजेंसी पर एक सिख नेता की हत्या के आरोप लगाए और अमेरिका में एक सिख नेता की हत्या की साजिश नाकाम हो गई. इन दावों को भारत सरकार ने खारिज कर दिया था.

अब जब अमृतपाल चुनाव जीत गए हैं तो उनके गांव में एक समर्थक सरबजीत सिंह ने कहा, "जीत से सरकार को संदेश जाता है."

अमृतपाल के समर्थकों का कहना है कि वह सिख नैतिक मूल्यों को बनाए रखने और पंजाब के युवाओं की प्रमुख समस्याओं जैसे बेरोजगारी, नशीली दवाओं की लत के खिलाफ अभियान चलाते हैं.

42 साल के सरबजीत सिंह पेशे से बिल्डर और गांव के नेता हैं. उन्होंने कहा, "पूरे पंजाब में सबसे बड़ी समस्या ड्रग्स की है. मुझे उम्मीद है कि वह जल्द ही जेल से बाहर आएंगे और अपना अभियान फिर से शुरू करेंगे."

समस्या सुलझाएंगे अमृतपाल?

अमृतपाल की जीत के बाद से ही उनके घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा है. लोगों को उम्मीद है कि वह अपने समुदाय की समस्याओं को हल करेंगे. अमृतपाल के पिता तरसेम सिंह ने कहा कि उनका बेटा केवल पंजाब के युवाओं को उनके धर्म में वापस लौटने में मदद करना चाहता था.

63 साल के तरसेम सिंह ने कहा, "हमारी युवा पीढ़ी का ध्यान हमारी संस्कृति से भटक रहा है और मेरा बेटा उन्हें वापस लाने की कोशिश कर रहा है."

अमृतपाल को अलगाववादी कहे जाने पर तरसेम सिंह कहते हैं, "उसे सिर्फ इसलिए अलगाववादी और धार्मिक कट्टरपंथी कहा गया क्योंकि वह लोगों के अधिकारों की बात कर रहा था."

अमृतपाल को पिछले साल गिरफ्तार किया गया था, जब उन्होंने और उनके सैकड़ों समर्थकों ने एक पुलिस थाने पर हमला कर दिया था
अमृतपाल को पिछले साल गिरफ्तार किया गया था, जब उन्होंने और उनके सैकड़ों समर्थकों ने एक पुलिस थाने पर हमला कर दिया थातस्वीर: Narinder Nanu/AFP via Getty Images

पंजाब की फरीदकोट सीट से इंदिरा गांधी के हत्यारे बेअंत सिंह के बेटे की जीत हुई है. बेअंत सिंह के बेटे सरबजीत सिंह खालसा ने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार को हराकर जीत हासिल की है.

इन दोनों की जीत ऐसे मौके पर हुई पर जब ऑपरेशन ब्लू स्टार को हुए 40 साल हो पूरे हो गए हैं. ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर 6 जून को दल खालसा और कुछ सिख संगठनों ने अमृतसर बंद का एलान किया है. इस एलान के बाद अमृतसर पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं.

अमृतपाल की जीत के बाद मंगलवार को उनकी मां बलविंदर कौर ने समर्थन और प्यार के लिए मतदाताओं का शुक्रिया अदा किया. कौर ने पत्रकारों से कहा, "हमारी जीत शहीदों को समर्पित है."

सिख धर्म के वास्ते

इस बार के चुनाव में कई युवा उम्मीदवार चुनाव जीते हैं. वहीं अमृतपाल के कुछ समर्थकों ने इस बात पर जोर दिया कि हालांकि उनका समुदाय केंद्र से नाराज था और अमृतपाल इसलिए जीते क्योंकि उन्होंने सिख धर्म और उसके गौरव को बढ़ावा दिया, लेकिन वे अलगाव नहीं चाहते थे.

28 साल के विनाद सिंह ने कहा, "यहां (खालिस्तान की) कोई मांग नहीं है. असल मुद्दे कुछ और हैं और सरकार उन्हें सुलझाने के लिए कुछ नहीं कर रही है."

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लेकिन सरबजीत सिंह खालसा अपनी जीत के अलग कारण बता रहे हैं. उन्होंने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "शहीद बेअंत सिंह के बेटे होने के नाते मुझे उनके नाम पर वोट मिला है."

उन्होंने कहा, "मेरी जीत और अमृतपाल की जीत यह संदेश देती है कि अभी भी ऐसे लोग हैं जो सिख मानसिकता और सिख धर्म के लिए लड़ने के लिए मौजूद हैं." साथ ही उन्होंने कहा, "लेकिन मैं पंजाब में जो भी करूंगा, लोकतांत्रिक तरीके से और कानूनी दायरे में रहकर करूंगा."

जेल में बंद उम्मीदवार ने उमर अब्दुल्ला को हराया 

एक और हैरानी भरा नतीजा जम्मू-कश्मीर से आया. जम्मू-कश्मीर की बारामूला लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार इंजीनियर राशिद ने दो बड़े नेताओं को हराकर सबको हैरान कर दिया. शेख अब्दुल राशिद उर्फ इंजीनियर राशिद इस वक्त दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं. उन पर टेरर फंडिंग के आरोप हैं. 

इंजीनियर राशिद का मुकाबला जम्मू-कश्मीर के दो कद्दावर नेता उमर अब्दुल्ला और सज्जाद लोन से था. उन्होंने दो लाख से अधिक वोटों से उमर अब्दुल्ला को हराया. राशिद दो बार विधायक भी रह चुके हैं. राशिद को जीत की बधाई उमर अब्दुल्ला ने भी दी थी.

रिपोर्ट: आमिर अंसारी (एएफपी)