भारत: 2022 में अदालतों के अहम फैसले
साल 2022 में देश के सुप्रीम कोर्ट से लेकर राज्यों के हाई कोर्ट ने कई अहम फैसले दिए. एक नजर ऐसे ही कुछ फैसलों पर.
हिजाब पर विभाजित फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने हिजाब पर बंटा हुआ फैसला सुनाया. मामला कर्नाटक सरकार द्वारा राज्य के सरकारी कॉलेजों में हिजाब पर लगाए गए प्रतिबंध का था. मार्च में कर्नाटक हाई कोर्ट ने प्रतिबंध के फैसले को सही ठहराया था और फिर हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 26 अपीलें दायर की गई थीं. अब नए साल पर इस मामले की सुनवाई बड़ी बेंच करेगी.
अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट केस में मौत की सजा
2008 में अहमदाबाद में हुए धमाकों के 49 दोषियों में से 38 को मौत की सजा सुनाई गई. ट्रायल कोर्ट ने दोषियों पर प्रति व्यक्ति 2.85 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया.
हरियाणा में आरक्षण का मुद्दा
हरियाणा में निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण के कानून पर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने फिर से सुनवाई शुरू कर दी है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार के कानून को निरस्त करने पर हाई कोर्ट को दोबारा सुनवाई करने को कहा था.
अंगदान पर कोर्ट का फैसला
दिल्ली हाई कोर्ट ने अंगदान पर दिए एक फैसले में कहा कि पति या पत्नी कानूनी प्रक्रियाओं के मुताबिक अंग दान करना चाहती है तो उसे अपने पार्टनर से इसकी अनुमति लेने की जरूरत नहीं है. अंगदान करने के लिए पति या पत्नी को अनापत्ति प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं होगी.
मर्जी से देहव्यापार अपराध नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में एक ऐतिहासिक फैसले में वेश्यावृत्ति को "पेशे" के रूप में मान्यता दी. कोर्ट ने कहा कि सेक्स वर्कर्स कानून के तहत सम्मान और समान सुरक्षा की हकदार हैं.
33 हफ्तों के भ्रूण के गर्भपात की इजाजत
दिल्ली हाई कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में एक 26 साल की महिला को अपने 33 हफ्तों के भ्रूण के गर्भपात की इजाजत दी. महिला ने अपनी याचिका में कहा था कि भ्रूण में दिमागी असामान्यताएं नजर आ रही हैं और इसलिए उसे गर्भपात की इजाजत दी जाए. कानूनी तौर पर देश में गर्भपात की अनुमति देने के लिए 24 हफ्तों की ऊपरी सीमा है.