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समाज

दिल्ली दंगों ने और बढ़ाई दूरियां

१७ मार्च २०२०

दिल्ली के हिंसाग्रस्त यमुना विहार में कुछ हिंदू मुसलमानों को काम पर रखने और व्यापारियों से लेनदेन का बहिष्कार कर रहे हैं. दूसरी ओर मुसलमानों का कहना है कि कोरोना वायरस की वजह से उन्हें काम मिलने में दिक्कत हो रही है.

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Indien Fotoreportage aus Neu Delhi nach den Ausschreitungen
तस्वीर: DW/T. Godbole

दिल्ली के यमुना विहार में पेंट और हार्डवेयर की दुकान चलाने वाले यश ढींगरा कहते हैं, "मैंने मुसलमानों के साथ काम नहीं करने का फैसला किया है. मैंने कुछ मजदूरों की पहचान की है, जो हिंदू हैं." 23 फरवरी को इसी इलाके में दंगे भड़क गए थे. नागरिकता कानून को लेकर विरोध और समर्थन के दौरान दंगे भड़क गए थे. पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक इन दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी और 200 लोग घायल हुए थे. ढींगरा कहते हैं कि इस अशांति ने हमेशा-हमेशा के लिए यमुना विहार को बदल दिया है. इलाके के मकान और दुकान जल गए हैं. दंगों के दौरान पथराव भी हुए जिसके निशान अब भी दिखाई पड़ते हैं. उनके मुताबिक इलाके के ज्यादातर हिंदू निवासी मुसलमान कर्मचारियों का बहिष्कार कर रहे हैं, जिनमें खाना बनाने वाले, मैकेनिक और फल विक्रेता तक शामिल हैं. ढींगरा कहते हैं, "हमारे पास यह दिखाने के लिए सबूत है कि मुसलमानों ने हिंसा शुरू की थी और अब वे हम पर यह आरोप लगा रहे हैं. यह उनका पैटर्न है क्योंकि वे आपराधिक सोच वाले हैं."उत्तर पूर्वी दिल्ली के 8 स्थानों पर 25 हिंदुओं से इंटरव्यू में यही विचार दोहराए गए. कई लोगों का इन दंगों में आर्थिक नुकसान हुआ है और कई दंगों के दौरान घायल भी हुए हैं. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने 30 मुसलमानों से भी इस मुद्दे पर बात की, ज्यादातर ने कहा कि हिंदुओं ने उनके साथ काम ना करने का फैसला किया है.

Indien Neu Delhi | Unruhen durch Proteste für und gegen neues Gesetz zur Staatsbürgerschaft
तस्वीर: Reuters/A. Abidi

45 साल की सुमन गोयल पिछले 23 साल से मुसलमान पड़ोसी के साथ रहती आई हैं, उनका कहना है कि दंगों ने उन्हें सदमे की स्थिति में पहुंचा दिया है. वह कहती हैं, "अपनेपन का एहसास खोना अजीब है, आप घर से बाहर निकले और मुस्लिम महिला को देखकर मुस्कुराने से बचें. उन्हें भी ऐसा ही लग रहा होगा लेकिन बेहतर यही है कि दूरी बनाएं रखें.” भजनपुरा में जूते की दुकान चलाने वाले मोहम्मद तसलीम कहते हैं कि उनकी दुकान हिंसा की वजह से जल गई. वह कहते हैं कि उनकी दुकान का मालिक हिंदू था और उसने बाद में उसे खाली कराकर हिंदू कारोबारी को दे दिया गया. तसलीम कहते हैं, "यह सिर्फ इसलिए किया गया क्योंकि मैं मुस्लिम था." कई मुसलमानों का कहना है कि हमले कट्टरपंथ हिंदुओं के द्वारा किये गए थे क्योंकि देशभर में लाखों लोग नए नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध कर रहे हैं. दिल्ली में इकोनॉमिक थिंक टैंक में रिसर्च असिस्टेंट आदिल कहते हैं, "हमारे लिए यह बात नॉर्मल हो गई है. पेशा, नौकरी और व्यवसाय हमारे लिए कोई प्राथमिकता नहीं है. अब हमारी प्राथमिकता सुरक्षित और हमारे जीवन की रक्षा करना है." दिन के समय में हिंसाग्रस्त इलाकों की गलियों में हिंदू-मुसलमान एक दूसरे से कन्नी काटते हैं और रात को जब हिंसा का खतरा ज्यादा होता है तो बैरिकेड लगा दिए जाते हैं और सुबह उन्हें हटा दिया जाता है. कुछ इलाकों में स्थायी बैरिकेड भी लगा दिए गए हैं.

एए/सीके (रॉयटर्स) 

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