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पुलिस को चकमा देकर बचने के बाद भी भारी मुश्किल में इमरान खान

स्वाति मिश्रा
६ मार्च २०२३

तोशाखाना केस में इमरान खान की गिरफ्तारी वॉरंट से राहत पाने की कोशिश नाकाम हुई है. हालांकि 5 मार्च को उन्हें गिरफ्तार करने लाहौर पहुंची पुलिस टीम को खाली हाथ लौटना पड़ा था. इमरान पुलिस को चकमा देने में सफल हुए थे.

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पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को तोशाखाना केस में गिरफ्तारी से बचने के लिए अदालत से राहत नहीं मिली.
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को तोशाखाना केस में गिरफ्तारी से बचने के लिए अदालत से राहत नहीं मिली.तस्वीर: Arif Ali/AFP/Getty Images

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को तोशाखाना केस में गिरफ्तारी से बचने के लिए अदालत से राहत नहीं मिली. इस्लामाबाद की जिला और सेशंस अदालत ने उनके गैर-जमानती अरेस्ट वॉरंट को बरकरार रखा है. कोर्ट ने तोशाखाना केस में अदालती कार्यवाही से लगातार गैरहाजिर रहने पर 28 फरवरी को इमरान खान के लिए वॉरंट जारी किया था. पूर्व प्रधानमंत्री ने वॉरंट वापस लेने का आवेदन करते हुए कहा था कि इससे उन्हें अदालत में पेश होकर अपने बचाव का निष्पक्ष मौका मिलेगा. 6 मार्च को इस आवेदन पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इमरान की अपील खारिज कर दी और वॉरंट बरकरार रखा.

कोर्ट ने कहा कि इमरान खान ने अब तक अदालत के आगे आत्मसमर्पण नहीं किया है और ना ही निजी तौर पर हाजिर होने से जुड़ा कोई आवेदन ही पेश किया है. फैसले में यह भी कहा गया कि आरोपी ने कोर्ट में आकर भविष्य की तारीखों में हाजिर होने का कोई आश्वासन नहीं दिया है. कोर्ट ने यह भी कहा कि इमरान के पास 28 फरवरी को पेश होने का मौका था, लेकिन उन्होंने जानबूझकर ऐसा नहीं किया.

28 फरवरी को कोर्ट में क्या हुआ था?

इस दिन इमरान खान को चार मामलों में अलग-अलग अदालतों में पेश होना था. ये केस प्रतिबंधित फंडिंग, आतंकवाद, तोशाखाना और हत्या की कोशिश से जुड़े हैं. तोशाखाना केस में इस्लामाबाद सेशंस कोर्ट के भीतर आधिकारिक रूप से आरोप तय होने थे. पहले भी यहां दो बार आरोप तय होने की तारीख आगे बढ़ाई जा चुकी थी.

इस रोज इमरान खान के वकील ने सेशंस कोर्ट से अपील की कि उनके मुवक्किल को अदालत में पेश होने से छूट दी जाए क्योंकि उन्हें कई और अदालतों में हाजिर होना है. इमरान ने तोशाखाना केस में हाजिरी नहीं लगाई, लेकिन दो और मामलों में वो इस्लामाबाद जूडिशल कॉम्प्लैक्स पहुंचे थे और उन्हें जमानत भी मिल गई थी. मगर सेशंस कोर्ट ने उनके लिए गैरजमानती वॉरंट जारी करते हुए 7 मार्च को सुनवाई की अगली तारीख तय की.

इमरान पुलिस के हाथ नहीं आए

इसी वॉरंट प्रकरण पर 5 मार्च को इमरान और इस्लामाबाद-लाहौर पुलिस के बीच लुका-छिपी भी हुई. इस्लामाबाद पुलिस की एक टीम इमरान को गिरफ्तार करने लाहौर पहुंची. लाहौर पुलिस भी इस ऑपरेशन में साथ दे रही थी. लेकिन इमरान पुलिस के हाथ नहीं आए. इस्लामाबाद पुलिस के मुताबिक, कार्रवाई के लिए गई पुलिस टीम जब इमरान के कमरे में पहुंची, तो वो वहां मौजूद नहीं थे.

पुलिस का कहना है कि इमरान गिरफ्तारी से बच रहे हैं. इस बारे में ट्वीट करते हुए इस्लामाबाद पुलिस ने लिखा कि अदालती आदेश में बाधा डालने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी. ट्वीट में यह भी बताया गया कि इमरान को इस्लामाबाद लाया जाएगा. स्थानीय मीडिया खबरों के मुताबिक, गिरफ्तारी के लिए इमरान के घर पहुंची पुलिस टीम को समर्थकों के विरोध का भी सामना करना पड़ा. बताया जा रहा है कि इमरान के घर के बाहर जमा समर्थकों ने पुलिस टीम को अंदर नहीं घुसने दिया था.

5 मार्च को लाहौर के अपने घर से समर्थकों को संबोधित करते हुए इमरान खान ने अपनी जान पर खतरा बताया है. उन्होंने कहा है कि वह चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखकर इसकी जानकारी देंगे. यह तस्वीर नवंबर 2022 में उनपर हुए हमले के बाद की है.
5 मार्च को लाहौर के अपने घर से समर्थकों को संबोधित करते हुए इमरान खान ने अपनी जान पर खतरा बताया है. उन्होंने कहा है कि वह चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखकर इसकी जानकारी देंगे. यह तस्वीर नवंबर 2022 में उनपर हुए हमले के बाद की है. तस्वीर: Pakistan Tehreek-e-Insaf /AP/picture alliance

गिरफ्तारी से बचने के बाद घर पर दिखे इमरान

पुलिस के इमरान खान के घर से खाली हाथ लौटने के कुछ ही देर बाद पूर्व पीएम ने लाहौर के अपने उसी घर पर समर्थकों को संबोधित किया. उन्होंने अपनी जान पर खतरे का अंदेशा जताया. उन्होंने कहा कि तोशाखाना मामले में अदालती कार्यवाही का टीवी पर प्रसारण होना चाहिए.

इस भाषण के बाद "पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रेगुलेटरी अथॉरिटी" (पीईएमआरए) ने सैटेलाइट न्यूज चैनलों के इमरान के भाषण का प्रसारण करने पर प्रतिबंध लगा दिया. रेगुलेटर बॉडी के मुताबिक, इमरान सरकारी संस्थानों और अधिकारियों पर बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं, सेना की छवि खराब कर रहे हैं और भड़काऊ भाषणों से नफरत भड़का रहे हैं.

क्या है तोशाखाना केस?

तोशाखाना, कैबिनेट डिवीजन के अंतर्गत एक विभाग है. इसका गठन 1974 में हुआ था. इसमें राष्ट्राध्यक्षों, सांसदों, नौकरशाहों और अधिकारियों को विदेशी राष्ट्राध्यक्षों या प्रतिनिधियों से मिले तोहफे जमा किए जाते हैं. द्विपक्षीय मुलाकातों में नेताओं के बीच तोहफों के आदान-प्रदान की परंपरा है. नियम के मुताबिक, विदेशी दौरों पर राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री जैसे संवैधानिक-आधिकारिक पद पर बैठे लोगों को अगर कीमती तोहफे मिलें, तो वहां के पाकिस्तानी दूतावास के अधिकारी उन तोहफों को लेकर उनका रिकॉर्ड तैयार करते हैं.

पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, तोहफे की कीमत स्थानीय मुद्रा में 30 हजार तक या इससे कम होने पर पाने वाला उसे रख सकता है. लेकिन इससे ज्यादा कीमत के तोहफे तोशाखाना में जमा किए जाते हैं. अगर रिसीवर कीमती तोहफे रखना चाहे, तो उसे तोशाखाना की इवैल्यूएशन कमिटी द्वारा आंकी गई तोहफे की कीमत का एक तय हिस्सा जमा करना होता है. आरोप है कि प्रधानमंत्री रहते हुए इमरान खान ने खुद को मिले जिन तोहफों को अपने पास रखा, उनके ब्योरे साझा नहीं किए. ना ही इन तोहफों की बिक्री से हुई कमाई की जानकारी दी.

चुनाव आयोग पहुंचा था अदालत

इस संबंध में 2021 में पाकिस्तान इंफॉर्मेशन कमीशन (पीआईसी) ने एक आवेदन मंजूर करते हुए तोशाखाना को निर्देश दिया था कि वह बतौर पीएम इमरान खान को मिले तोहफों, हर तोहफे का ब्योरा और इमरान ने कौन से तोहफे अपने पास रखे, ये जानकारियां सार्वजनिक करे. उस वक्त संबंधित कैबिनेट डिवीजन ने पीआईसी के आदेश को अदालत में चुनौती दी थी. उसकी दलील थी कि तोशाखाना के ब्योरे गोपनीय हैं और इस संबंध में कोई भी जानकारी सार्वजनिक करने से अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर असर पड़ सकता है.

पिछले साल इमरान को पद से हटाए जाने के बाद इस मामले ने और तूल पकड़ा. अगस्त 2022 में सत्तारूढ़ "पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज" (पीएमएल-एन) ने चुनाव आयोग का रुख किया और अपील की कि इमरान को किसी भी सार्वजनिक पद पर नियुक्त होने के अयोग्य करार दिया जाए. अक्टूबर 2022 में चुनाव आयोग ने फैसला सुनाया कि इमरान ने तोहफों से जुड़ी गलत जानकारी दी. आयोग ने संविधान के आर्टिकल 63 (1)(पी) के आधार पर इमरान को डिस्क्वॉलिफाई कर दिया. इसके बाद चुनाव आयोग ने इस्लामाबाद सेशंस कोर्ट से आपराधिक कानून के तहत इमरान पर कार्रवाई की दरख्वास्त की थी.

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