दुनिया भर में इंसानी संस्कृति का अटूट हिस्सा हैं पेड़
पेड़ पशु-पक्षियों को आश्रय देते हैं, जमीन को उर्वर बनाए रखते हैं और ग्रीनहाऊस गैसों को सोखकर जलवायु संकट से हमें बचाते हैं. दुनिया भर की अलग-अलग संस्कृतियों में पेड़ों को पावन माना गया है. देखिए, कहां-कैसा है यह रिश्ता.
आयरलैंड में परियों वाला पेड़
आयरलैंड में हॉथ्रोन के पेड़ों को बहुत प्राचीन और पवित्र माना जाता है. आयरिश इन्हें काटना अपशगुन मानते हैं. ऐसा विश्वास है कि इन पर परियां रहती हैं, और इन्हें काटने वालों की किस्मत फूट जाती है. हालांकि, मई और जून के आसपास जब इन पर सफेद फूल आते हैं, तो लोग इसकी डालियां घर ले आते हैं और उन्हें अंडे के छिलकों और फूलों से सजाते हैं.
अमेजन में 'मदर ऑफ ऑल ट्री'
अमेजन जंगल में 'समाऊमा' को "सब पेड़ों की मां" कहा जाता है. यह संज्ञा इसके आकार की वजह से मिली है. इस पेड़ की ऊंचाई करीब 197 फीट होती है. पेड़ को 'कपोक' के नाम से भी जाना जाता है. लोग मानते हैं कि समाऊमा दुनिया को दिव्य ब्रह्मांड से जोड़ता है. लंबाई के कारण जब भी इसके तने पर कोई वार होता है तो आवाज पूरे जंगल में गूंजती है. अमेजन में अवैध कटाई और आगजनी, समाऊमा के लिए लगातार खतरा बनी हुई है.
शांति का प्रतीक: गाफ वृक्ष
अरब की सूखी, रेतीली जमीन पर गाफ किसी वरदान से कम नहीं. भारत में लोग इसे खेजड़ी या संगरी के नाम से जानते हैं. लोग इसकी पत्तियां खाते हैं और पशु टहनियां पसंद करते हैं. इसका दवाई के तौर पर भी कहीं-कहीं इस्तेमाल किया जाता है. संयुक्त अरब अमीरात(UAE) में इसे गिराने पर सख्त पाबंदी है. यह देश का राष्ट्रीय वृक्ष है जो स्थिरता और शांति का प्रतीक है.
केन्या के पवित्र जंगल
पवित्र मियकेंदा काया जंगल करीब 200 किलोमीटर में फैला है. यहां मियकेंदा निवासी अपने काया यानी गांवों में 16वीं सदी से रह रहे थे. लेकिन 1940 के दशक से शहरों की ओर पलायन करने लगे. आजकल बाढ़ और भूस्खलन से जंगल को नुकसान पहुंचा है. लोगों का मानना है कि ऐसा यहां चालू खदानों की वजह से हो रहा है. आज बुजुर्गों का एक समूह कब्रों और पुराने इतिहास को बचाये रखने के लिए यहां डटा हुआ है.
भारत का बोधिवृक्ष
बिहार के बोधगया में मौजूद बोधिवृक्ष बौद्ध धर्म के केंद्र बिंदु की तरह है. माना जाता है कि 49 दिन ध्यान लगाने के बाद इसी पेड़ के नीचे बुद्ध को बुद्धत्व प्राप्त हुआ था. यही कारण है कि बौद्ध मठों में बोधि वृक्ष लगाने की परंपरा है. आज असली बोधि वृक्ष तो नहीं बचा, लेकिन बोधगया में मौजूदा बोधि वृक्ष को असली वृक्ष की पीढ़ी का माना जाता है, इसलिए बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए इसका खास महत्व है.
'पीपल देवता'
हिंदू धर्म में मान्यता है कि पीपल में विष्णु देवता का वास होता है. इसलिए इसे पवित्र पेड़ माना जाता है और अमूमन नहीं काटा जाता. पीपल साल के ज्यादातर महीने हरा-भरा रहता है, उन इलाकों में भी जहां औसत बारिश होती है. पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में इसका इस्तेमाल सांस और पेट से जुड़े विकारों में होता है. रिपोर्ट- बियाट्रिस क्रिस्टोफारो