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झारखंड में जानलेवा अवैध खनन

२ फ़रवरी २०२२

झारखंड में छोड़ दी गई खदानों में अवैध खनन हो रहा है और लोगों की जान भी जा रही है. ताजा मामला धनबाद का है जहां एक ऐसी ही छोड़ी हुई खदान के धंस जाने से पांच लोगों की जान चली गई है.

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फाइल तस्वीरतस्वीर: Getty Images/AFP/X. Galiana

मामला धनबाद जिले के गोपीनाथपुर स्थित सरकारी कंपनी ईस्टर्न कोलफील्ड्स (ईसीएल) की एक खुली खदान का है. मंगलवार एक फरवरी को खदान के एक हिस्से के धंस जाने के बाद पांच लोगों की जान चली गई. इनमें चार महिलाएं थीं.

कंपनी आधिकारिक रूप से इस खदान पर खनन बंद कर चुकी है लेकिन इस तरह की छोड़ी हुई खदानों पर यहां भी अब अवैध खनन होता है. स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि पांचों व्यक्ति खदान से कोयला निकालने गए थे ताकि थोड़ा कोयला घर में ईंधन की तरह इस्तेमाल कर सकें और थोड़ा बाजार में बेच सकें.

15 मौतों की आशंका

लेकिन खदान का एक हिस्सा अचानक धंस गया और पांचों उसमें फंस गए. जानकारी मिलने पर प्रशासन के अधिकारी वहां पहुंचे और बचाव कार्य शुरू करवाया. तीन महिलाओं और एक पुरुष के शव बरामद हुए. एक महिला को जीवित निकाला गया और इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया लेकिन बाद में उसकी भी मृत्यु हो गई.

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झारखंड की एक खुली खदान में अवैध रूप से कोयला बटोरे जाने की तस्वीरतस्वीर: picture-alliance/AP Photo/K. Frayer

एक दिन पहले जब खदान का एक हिस्सा धंसा था उस दिन ऐसी ही घटनाएं धनबाद जिले में ही दो और स्थानों पर हुई थीं. पहली घटना कापासारा में ईसीएल की ही एक और खदान में और दूसरी घटना एक और सरकारी कंपनी भारत कोकिंग कोल (बीसीसीएल) की छाछ विक्टोरिया खदान में हुई.

तीनों खदानों पर खनन बंद हो चुका है. हादसों में तीनों स्थानों पर कुल मिला कर कई लोगों के फंसे होने की खबर आई थी. गोपीनाथपुर के अलावा बाकी दोनों स्थानों से तो ताजा जानकारी अभी मिल भी नहीं पाई है.

अक्सर होते हैं ऐसे हादसे

कंपनियों ने कहा है कि इन खदानों में खनन बंद कर दिया गया था इसलिए उन्हें नहीं मालूम कि वहां कितने लोग फंसे हुए हो सकते हैं. प्रशासन को भी फंसे हुए लोगों की सही संख्या का अंदाजा अभी तक नहीं लग पाया है. स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि कम से कम 15 लोगों की मौत हो चुकी है.

बचाव कार्य अभी भी चल रहा है. नवंबर 2021 में बोकारो में ऐसा ही हादसा हुआ था जिसमें एक छोड़ी हुई खदान में चार लोग फंस गए थे. उन्हें काफी समय तक खदान से निकाला नहीं जा सका और मृत मान लिया गया, लकिन बाद में चारों किसी तरह अपने अपने घर पहुंच गए.

ये हादसे दिखाते हैं कि खदानें जब बंद कर दी जाती हैं तब कोयला कंपनियां और प्रशासन वहां लोगों के अवैध प्रवेश को रोकने के पुख्ता इंतजाम नहीं करते हैं, जिनसे इस तरह के हादसे रोके जा सकें.

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