टॉयलेट एक बेशकीमती संसाधन है. यहां जो मल-मूत्र जमा होता है, वो गंदगी या कचरा नहीं है. बल्कि इनमें बहुत बड़ी मात्रा में पोषक तत्व होते हैं. हमारे शरीर से निकलने वाली इन बेहद काम की चीजों को बेकार बहाने की जगह इन्हें उपयोगी संसाधन में बदला जा सकता है. जर्मनी में ऐसी ही एक कोशिश हो रही है.