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मानवाधिकारइस्राएल

क्या है सफेद फॉस्फोरस, जिसके इस्तेमाल का इस्राएल पर लगा आरोप

१३ अक्टूबर २०२३

मानवाधिकार संगठन "ह्यूमन राइट्स वॉच" ने इस्राएल पर सफेद फॉस्फोरस इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है. यह एक बेहद ज्वलनशील पदार्थ है, जो लोगों को झुलसा सकता है. आम लोगों पर इसका इस्तेमाल प्रतिबंधित है.

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7 अक्टूबर को हमास के आतंकियों ने इस्राएल पर हमला किया और भीषण मारकाट मचाई. इसके बाद इस्राएल ने गाजा पर भारी बमबारी शुरू की, जिसमें अबतक 1,500 से ज्यादा फलीस्तीनी मारे गए हैं.
7 अक्टूबर को हमास के आतंकियों ने इस्राएल पर  हमला किया और भीषण मारकाट मचाई. उन्होंने इस्राएल में 1,200 से ज्यादा लोगों की हत्या की. इसके बाद इस्राएल ने गाजा पर भारी बमबारी शुरू की, जिसमें अबतक 1,500 से ज्यादा फलीस्तीनी मारे गए हैं. तस्वीर: हवाई हमलों में क्षतिग्रस्त हुई गाजा की एक इमारततस्वीर: Mohammed Abed/AFP/Getty Images

मानवाधिकार संगठन "ह्यूमन राइट्स वॉच" (एचआरडब्ल्यू) ने कहा है किइस्राएल ने गाजा और लेबनान में अपनी सैन्य कार्रवाई के दौरान इस रसायन का इस्तेमाल किया. एचआरडब्ल्यू के मुताबिक, उसने 10 और 11 अक्टूबर को लिए गए कुछ वीडियो की छानबीन की है, जो दिखाते हैं कि आर्टिलरी की मदद से कई बार हवा में सफेद फॉस्फोरस दागा गया.

7 अक्टूबर को हमास के आतंकियों ने इस्राएल पर  हमला किया और भीषण मारकाट मचाई. उन्होंने इस्राएल में 1,200 से ज्यादा लोगों की हत्या की. इसके बाद इस्राएल ने गाजा पर भारी बमबारी शुरू की, जिसमें अबतक 1,500 से ज्यादा फलीस्तीनी मारे गए हैं.

गाजा, दुनिया की सबसे सघन आबादी वाले इलाकों में है. एचआरडब्ल्यू ने अपने बयान में कहा है कि यहां सफेद फॉस्फोरस के इस्तेमाल से आम लोगों के लिए जोखिम काफी बढ़ गया है. संगठन ने यह भी कहा कि आम लोगों को गैरजरूरी जोखिम में डालने से अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का भी उल्लंघन हुआ है.

अपना सामान लेकर सुरक्षित इलाकों की ओर जाते गाजा के कुछ लोग
इस्राएल द्वारा किए जा रहे हवाई हमलों के बाद सुरक्षित इलाकों की ओर जाते गाजा के लोग. इस्राएल ने गाजा के 10 लाख से ज्यादा लोगों को तत्काल घर छोड़ने की चेतावनी दी है. तस्वीर: Mahmud Hams/AFP/Getty Images

घटना का ब्योरा

संगठन ने अपने बयान में कुछ घटनाओं का भी जिक्र किया है. उसका कहना है कि उसने गाजा के अल-मीना इलाके में रहने वाले दो लोगों का इंटरव्यू लिया. उन्होंने हवाई हमले का जो ब्योरा दिया, वह सफेद फॉस्फोरस के इस्तेमाल से मेल खाता है. दोनों लोगों ने एचआरडब्ल्यू को बताया कि उन्होंने हवाई हमले के दौरान सफेद सी लकीरों को जमीन की ओर बढ़ते देखा. उन्होंने तेज गंध आने की भी बात कही.

इनमें से एक चश्मदीद ने घटना का एक वीडियो भी बनाया, जिसकी एचआरडब्ल्यू ने पड़ताल की. संगठन ने बताया है कि उसने हमले में 155एमएम वाइट फॉस्फोरस आर्टिलरी प्रोजेक्टाइल्स की पहचान की है. संगठन के मुताबिक, उसने इस घटना से जुड़े कुछ अन्य वीडियो की भी पुष्टि की है. एचआरडब्ल्यू ने इस्राएल-लेबनान सीमा के पास भी ऐसी ही घटना का आरोप लगाया है.

लामा फकीह, एचआरडब्ल्यू की मध्यपूर्व और उत्तरी अफ्रीका की निदेशक हैं. उन्होंने कहा, "जब कभी भी वाइट फॉस्फोरस, नागरिक आबादी के भीड़-भाड़ वाले इलाकों में इस्तेमाल किया जाता है, तो इसके कारण दर्दनाक रूप से झुलसने और जीवनभर की तकलीफ का जोखिम पैदा होता है."

फकीह ने यह भी कहा कि जब शहरी आबादी वाले इलाकों में वाइट फॉस्फोरस हवा में दागा जाता है, तो इसका असर गैरकानूनी तौर पर अंधाधुंध हो सकता है. घर जल सकते हैं और लोगों को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंच सकता है.

हमास पर इस्राएल के जवाबी हमले के बीच गाजा के लोग घर छोड़ रहे हैं.
जर्मनी, यूरोपीय संघ और अमेरिका समेत कई देशों ने हमास को आतंकवादी संगठन का दर्जा दिया हुआ है. हमास ने जिस क्रूर और भीषण तरीके से इस्राएली आम नागरिकों को निशाना बनाया, उसकी बड़े स्तर पर निंदा हो रही है. तस्वीर: हमास पर इस्राएल के जवाबी हमले के बीच गाजा के लोग घर छोड़ रहे हैं. तस्वीर: Mohammed Salem/REUTERS

क्या है सफेद फॉस्फोरस?

सफेद फॉस्फोरस, फॉस्फेट पत्थरों से बनाया गया एक कृत्रिम पदार्थ है. यह काफी ज्वलनशील होता है. वातावरण में मौजूद ऑक्सीजन के संपर्क में आने पर यह जल उठता है. ऑक्सीजन के संपर्क में आकर यह करीब 815 डिग्री सेल्सियस तक का ताप पैदा कर सकता है. ज्वलनशील हथियार की तरह इस्तेमाल करने पर यह तेज गर्मी और आग पैदा करता है और तबतक जलता रहता है, जब तक कि यह खत्म ना हो जाए. इसके लिए इसे बस ऑक्सीजन की जरूरत है.

यह वसा में काफी घुलनशील होता है, इसलिए अगर किसी इंसान पर पड़े, तो बहुत जोर से झुलसाता है. मांस की परत जल जाती है. त्वचा से होते हुए खून के बहाव में मिलकर यह अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है. ऑर्गन फेलियर की भी नौबत आ सकती है.

अगर व्हाइट फॉस्फोरस का अंश बचा रह जाए, तो पट्टी हटाने के बाद भी हवा के संपर्क में आकर ये फिर से सुलग सकता है. व्हाइट फॉस्फोरस के कारण मांसपेशियों के ऊत्तक प्रभावित हो सकते हैं और पीड़ित विकलांग हो सकता है. फॉस्फोरस बमों की आग पानी से नहीं बुझती. इसके लिए रेत छिड़कने जैसे तरीके इस्तेमाल किए जाते हैं.

हमास के हालिया हमले में 1,200 इस्राएली मारे गए हैं.
हमास के आतंकियों के साथ मुठभेड़ में मारे गए एक फ्रेंच-इस्राएली सैनिक के अंतिम संस्कार में ताबूत उठाकर जा रहे इस्राएली सैनिक. तस्वीर: Ronbaldo Schemidt/AFP/Getty Images

क्या यह प्रतिबंधित है?

ओट के लिए धुआं बनाने, रोशनी करने, लक्ष्य की निशानदेही या बंकरों और इमारतों को जलाने के लिए सफेद फॉस्फोरस युद्ध सामग्री के तौर लड़ाइयों में इस्तेमाल होती रही है. हालांकि इसे आम लोगों पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.

संयुक्त राष्ट्र के "दी कन्वेंशन ऑन सर्टन कन्वेंशनल वेपन्स" (सीसीडब्ल्यू) में खास तरह के हथियारों का इस्तेमाल प्रतिबंधित है. कई ऐसी युद्ध सामग्रियां हैं, जो वैसे तो सैन्य उद्देश्य से सीमित लक्ष्यों के लिए इस्तेमाल हो सकती हैं, लेकिन उन्हें आम लोगों पर नहीं इस्तेमाल किया जा सकता.  

सीसीडब्ल्यू प्रोटोकॉल्स की तीसरी श्रेणी "आग लगाने वाले" (इन्सेंडियरी) हथियारों से जुड़ी है. इसका मतलब, ऐसे हथियार या युद्ध सामग्री जो उत्तेजक होते हैं. सफेद फॉस्फोरस, इसी श्रेणी के अंतर्गत आता है. सीसीडब्ल्यू के मुताबिक, नागरिकों के बीच स्थित सैन्य ठिकानों के खिलाफ भी इसके इस्तेमाल पर रोक है. आबादी वाले इलाकों में इन्सेंडियरी हथियारों को हवा में छोड़ने पर भी प्रतिबंध है. हालांकि इस्राएल ने इसपर दस्तखत नहीं किए हैं.

पहले भी लगे हैं आरोप

एचआरडब्ल्यू पहले भी इस्राएल पर आबादी वाले इलाकों में सफेद फॉस्फोरस के इस्तेमाल का आरोप लगा चुका है. मार्च 2009 में अपनी एक विस्तृत रिपोर्ट में संगठन ने इस्राएल द्वारा गाजा में व्हाइट फॉस्फोरस के गैरकानूनी इस्तेमाल की बात कही थी. उस रिपोर्ट का शीर्षक था, "रेन ऑफ फायर," यानी आग की बारिश. इस रिपोर्ट का संदर्भ 22 दिन तक गाजा में चले इस्राएल के सैन्य अभियान से है. 27 दिसंबर, 2008 से 18 जनवरी, 2009 तक यह संघर्ष चला था.

यूक्रेन में जारी युद्ध के बीच राष्ट्रपति जेलेंस्की ने भी रूस पर फॉस्फोरस बमों के इस्तेमाल का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि रूसी सेना ने यूक्रेन में नागरिकों के खिलाफ फॉस्फोरस बम इस्तेमाल किए.

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स्वाति मिश्रा (एचआरडब्ल्यू, रॉयटर्स, डीपीए)