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समाजभारत

भारत में सड़क हादसों में जान गंवाते युवा

आमिर अंसारी
२६ मई २०२२

भारत में आये दिन होने वाले सड़क हादसों में सबसे ज्यादा युवाओं की जान जाती है. भारत सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक इन हादसों में बड़ी संख्या में लोग बुरी तरह घायल भी होते हैं.

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फाइल तस्वीर
फाइल तस्वीरतस्वीर: AP

सड़क हादसे दुनिया भर में और विशेष रूप से भारत में लोगों की मृत्यु, विकलांगता और अस्पताल में भर्ती होने के प्रमुख कारणों में से एक है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया भर में सड़क हादसों में मारे गए 10 लोगों में से कम से कम एक भारत से होता है.

भारत के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने "रोड एक्सिडेंट्स इन इंडिया-2020" नाम से एक रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2020 में कुल 1,20,806 घातक दुर्घटनाओं में से 43,412 राष्ट्रीय राजमार्गों पर, 30,171 राज्य राजमार्गों पर और 47,223 अन्य सड़कों पर हुईं. सबसे चिंताजनक बात ये है कि इन घातक दुर्घटनाओं में सबसे अधिक युवा चपेट में आए.

रिपोर्ट कहती है कि साल 2020 के दौरान राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 3,66,138 सड़क हादसे हुए जिसमें 1,31,714 लोगों की जान गई और 3,48,279 लोग घायल हुए. हर एक सौ सड़क हादसे में 36 लोगों की जान गई जो कि साल 2019 के 33 के मुकाबले कहीं अधिक है.

दुर्घटना की चपेट में आते युवा वर्ग

रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में सड़क हादसों की चपेट में आने वालों में 18-45 साल के आयु वर्ग युवा वाले वयस्कों का हिस्सा 69 प्रतिशत था. जबकि 18-60 वर्ष के कामकाजी आयु वर्ग के लोगों की हिस्सेदारी कुल सड़क दुर्घटनाओं में 87.4 प्रतिशत थी. रिपोर्ट में कहा गया, "साल 2020 में लगातार तीसरे साल सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों में बड़े पैमाने पर कामकाजी आयु वर्ग के युवा शामिल हैं."

2020 में सड़क दुर्घटना के कारण कुल 56,334 पुरुष और 1,551 महिला ड्राइवरों की मौत हो गई. सड़क परिवहन मंत्रालय ने कहा कि उसी वर्ष सड़क दुर्घटना के कारण कुल 35,552 पुरुष और 10,624 महिला यात्रियों की मौत हुई. पुरुष (42,923) और महिला (1179) ड्राइवरों की मौत युवा वर्ग समूह 18-45 में हुई.

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि साल 2020 में ट्रैफिक नियम उल्लंघन की श्रेणी के तहत ओवर स्पीडिंग के तहत 69.3 फीसदी लोगों की मौत हुई, जबकि गलत दिशा में गाड़ी चलाने से हुए हादसे में 5.6 फीसदी लोगों की जान गई.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में 30.1 प्रतिशत मौतें और 26 प्रतिशत चोटें हेलमेट का इस्तेमाल नहीं करने के कारण हुईं, इसी तरह 11 प्रतिशत से अधिक मौतें और चोटें सीट बेल्ट का उपयोग नहीं करने के कारण हुईं. कुछ छूटों को छोड़कर दोपहिया वाहनों पर सभी मोटर चालकों के लिए हेलमेट अनिवार्य है. लेकिन कई बार लोग बिना हेलमेट के ही गाड़ी चलाते हैं और अपनी जान जोखिम डालते हैं. इसी तरह से कार चालक और कार में सवार यात्रियों के लिए भी सीट बेल्ट लगाना जरूरी है.

मौत का कारण बनते सड़क हादसे

सड़क दुर्घटना से जीवन की हानि हो सकती है या सड़क का इस्तेमाल करने वालों को गंभीर चोटें या मामूली चोटें आ सकती हैं. एक दुर्घटना जिसके परिणामस्वरूप एक या एक से अधिक व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है उसे एक घातक दुर्घटना के रूप में परिभाषित किया जाता है. गंभीर चोट वाली दुर्घटनाओं को इस तरह से परिभाषित किया जाता है जिसमें एक या अधिक पीड़ितों को गंभीर चोट लगती है जिसके लिए अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत होती है.

सड़क पर होने वाले हादसे के कारण पीड़ित और उसके परिवार पर आर्थिक बोझ भी पड़ता है. असामयिक मौतों, चोटों और विकलांगताओं के कारण संभावित आय का नुकसान भी होता है.

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