जर्मनी और यूरोप इलॉन मस्क की चुनौतियों से कैसे निपटेंगे
१० जनवरी २०२५इलॉन मस्क ने गुरुवार को जर्मनी की धुर दक्षिणपंथी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) की नेता एलिस वाइडेल के साथ एक्स पर ऑनलाइन चर्चा की थी. इसके पहले ही वो पार्टी को जर्मनी के भविष्य की "अकेली उम्मीद" बताते हुए अपना समर्थन दे चुके हैं. इतना ही नहीं उन्होंने जर्मनी के मौजूदा नेतृत्व को भी बुरा भला कहा है. एफएफडी को छोड़
जर्मनी की लगभग सभी पार्टियों ने मस्क के बयानों को जर्मन राजनीति में सीधा दखल बता कर उसकी आलोचना की है.
"अवैध चंदे" पर जर्मन एजेंसियों की नजर
इलॉन मस्क की एक्स पर वाइडेल के साथ हुई ऑनलाइन बातचीत एएफडी को "अवैध पार्टी चंदा" भी माना जा सकता है. ये बात लॉबी कंट्रोल के विशेषज्ञ ऑरेल एशमान ने डीडब्ल्यू की राजनीतिक संवाददाता गिलिया साउडेली से बातचीत में कही. उनका कहना है, "यहां अहम बात यह है कि बातचीत अपने आप में चंदा नहीं है, बल्कि एक्स प्लेटफॉर्म पर रीच बढ़ाना पार्टी के लिए चंदा बनेगा."
प्लेटफॉर्म पर कंटेंट की रीच बढ़ाना एक सर्विस है जिसके लिए आम तौर पर लोगों से पैसे लिए जाते हैं. इससे पहले इलॉन मस्क के कंटेंट की रीच अकसर बढ़ाई जाती है और उनकी सामग्री की रीच, "उतने ही फॉलोअर वाले अकाउंट की तुलना में बहुत ज्यादा होती है जो एक्स के मालिक नहीं हैं."
विशेषज्ञों की दलील है कि यह सेवा इस बातचीत के जरिए एएफडी पार्टी को मुफ्त में दी गई है. एशमान ने कहा, "यह पार्टी के लिए चंदा होगा और जर्मनी में यूरोपीय संघ के बाहर की कंपनी से चंदा लेना गैरकानूनी है."
एक्स से हट सकती है जर्मन सरकार
शुक्रवार को जर्मन सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि सरकार एक्स प्लेटफॉर्म पर अपना अकाउंट बंद करने पर चर्चा कर रही है. सरकार को एक्स के अल्गोरिदम से चिंता है. वाइडेल और इलॉन मस्क की एक्स पर बातचीत के एक दिन बाद ही सरकार के प्रवक्ता ने यह जानकारी दी है.
प्रवक्ता ने कहा कि एक्स और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में अल्गोरिदम है जो "एक शांत, निष्पक्ष और संतुलित संवाद को बढ़ावा नहीं देते हैं बल्कि उग्र और ध्रुवीकरण की तरफ जाते हैं."
जर्मनी की 60 यूनिवर्सिटियां एक्स से दूर हुईं
शुक्रवार को जर्मनी की दर्जनों यूनिवर्सिटियों ने कहा कि अब वे सोशल नेटवर्क एक्स का इस्तेमाल नहीं करेंगी. यूनिवर्सिटियों ने इसके लिए नैतिक कारणों का हवाला दिया है.
60 से ज्यादा यूनिवर्सिटियों और शिक्षा संस्थानों ने संयुक्त बयान जारी कर कहा है कि एक्स उनके सिद्धांतों के हिसाब से अब उपयुक्त नहीं है.
उनका कहना है, "प्लेटफॉर्म की मौजूदा दिशा संस्थान से जुड़े बुनियादी मूल्यों के हिसाब से उपयुक्त नहीं है, जिनमें दुनिया के लिए खुलापन, वैज्ञानिक एकीकरण, पारदर्शिता और लोकतांत्रिक संवाद शामिल हैं." रिसर्चरों का कहना है कि यह साइट अब गलत जानकारी देने वालों का स्वर्ग बन गई है.
यूरोपीय संघ की छानबीन
जर्मनी में अगले महीने 23 तारीख को संघीय चुनाव होने हैं. अब यूरोपीय आयोग इस बात की जांच कर रहा है कि क्या चुनाव से पहले किसी तरह की कोई गलत जानकारी प्रसारित करने की कोशिश हुई है. इसके लिए आयोग एक्स प्लेटफॉर्म पर वाइडेल और मस्क की चर्चा की भी छानबीन कर रहा है. यूरोपीय संघ का डिजिटल सर्विस एक्ट (डीएसए) चुनावों को प्रभावित करने के लिए नफरती भाषण या जान बूझ कर खबरों से छेड़छाड़ करने जैसी अवैध सामग्री से निपटता है.
सोशल मीडिया साइट एक्स 2023 से ही डीएसए के तहत जांच के दायरे में है. इस पर अवैध सामग्रियों को फैलाने का संदेह तो है ही इसके साथ ही सूचनाओं के साथ छेड़छाड़ को रोकने में यह कितना कारगर है यह भी देखा जा रहा है.
यूरोप की राजनीति में कितनी दखल दे रहे हैं मस्क
अमेरिका में पिछले साल डॉनल्ड ट्रंप को राष्ट्रपति बनने में खुले तौर पर समर्थन देने के बाद मस्क ने अब ब्रिटेन में दक्षिणपंथी रिफॉर्म पार्टी और जर्मनी की एएफडी को एक्स पर समर्थन देना शुरू कर दिया है.
पिछले महीने मस्क ने एक्स पर लिखा, "जर्मनी में पारंपरिक राजनीतिक पार्टियां पूरी तरह से नाकाम रही हैं. एएफडी जर्मनी के लिए अकेली उम्मीद है." आप्रवासी और इस्लाम विरोधी एएफडी को जर्मन सुरक्षा सेवाओं ने दक्षिणपंथी चरमपंथी घोषित किया है. इस पार्टी ने जर्मनी में एक डर पैदा किया है और देश की कोई पार्टी उसके साथ काम करने को तैयार नहीं है. जर्मनी के राजनीतिक दल एएफडी को खतरनाक और अलोकतांत्रिक मानते हैं.
पिछले दिनों माग्देबुर्ग की क्रिसमस मार्केट में जब एक सऊदी डॉक्टर ने पांच लोगों की हत्या कर दी तो मस्क ने जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स को एक्स पर, "अक्षम बेवकूफ" कहा और उनसे इस्तीफा देने को कहा.
यूरोपीय संघ का डिजिटल सर्विस एक्ट (डिजिटल सर्विस एक्ट)
एक्स और मेटा जैसे बड़े ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के लिए डीएसए नियम बनाता है. इनमें वो प्लेटफॉर्म शामिल हैं जिनके यूरोपीय संघ में प्रतिमाह 4.5 करोड़ से ज्यादा यूजर हैं. इनमें ऐप स्टोर कंपनियां जैसे एप्पल और अल्फाबेट भी शामिल हैं. इसका प्रमुख मकसद अवैध और नुकसानदेह ऑनलाइन गतिविधियों और गलत सूचनाओं को फैलने से रोकना है. इलॉन मस्क की एक्स पहली कंपनी थी जिसकी अवैध सामग्रियों के लिए डीएसए के तहत दिसंबर, 2023 में जांच शुरू की गई.
इसके तहत डीएसए के उल्लंघन पर किसी कंपनी पर उसके वैश्विक सालाना टर्नओवर का 6 फीसदी तक जुर्माना लगाया जा सकता है. इतना ही नहीं इसके लिए बताए उपायों को लागू करने में देरी करने पर प्रतिदिन के टर्नओवर का 5 फीसदी हिस्सा भी जुर्माने के तौर पर वसूला जा सकता है.
अगर उल्लंघन जारी रहता है और यूजरों को नुकसान पहुंचता है तो आयोग कंपनी को अपनी सेवाएं निलंबित करने के लिए भी कह सकता है. आयोग ने मेटा और चीन के अलीएक्सप्रेस, टेमू और टिकटॉक के खिलाफ भी मामले दर्ज किए हैं. इनमें से सभी मामले अभी खुले हुए हैं, सिवाए टिकटॉक के खिलाफ दर्ज हुआ एक मामला बंद हुआ है. इसमें कंपनी ने यूरोपीय संघ की चिंता दूर करने के लिए जरूरी उपाय कर दिए थे.
गुरुवार को आयोग ने क्या किया
यूरोपीय संघ के 15 कर्मचारी डीएसए को लागू करने की जिम्मेदारी उठाते हैं. ये सभी आयोग के ब्रसेल्स और स्पेन के दफ्तरों में काम करते हैं. यूरोपीय संघ के उद्योग आयुक्त थियरे ब्रेटन ने पहले ही वाइडेल को ध्यान दिला दिया था कि एक्स के बारे में डीएस के नियमों का मकसद चुनाव के इर्द गिर्द लोकतंत्र की रक्षा है. वरिष्ठ अधिकारियों ने भी मस्क से मिल रही चुनौती को स्वीकार किया है और इस बात पर जोर दिया है कि डीएसए अपना काम करेगा.
यूरोपीय आयोग के लोकतंत्र, न्याय और कानून का शासन और उपभोक्ता सुरक्षा आयुक्त मिषाएल मैक्ग्राथ का कहना है, "मिस्टर मस्क अपनी राय यूरोपीय संघ में ऑनलाइन और ऑफलाइन देने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन कानूनी सीमा के अंदर."
एनआर/एमजे (रॉयटर्स, एएफपी)