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राजनीतिहांगकांग

हांग कांग को कितना बदल गई चीनी कार्रवाई

विलियम यांग
२० जून २०२२

तीन साल पहले हांग कांग में प्रत्यर्पण विधेयक के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था. इस विरोध प्रदर्शन पर चीन की जिस तरह की प्रतिक्रिया हुई, उसने यहां के लोगों और इस शहर को बदल कर रख दिया.

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Großbritannien | Hongkong Protest in London
तस्वीर: May James/SOPA Images via ZUMA Press/picture alliance

हांग कांग में 2019 में हुए विरोध प्रदर्शनों को तीन साल हो गए. वे विरोध प्रदर्शन यूं तो एक विवादास्पद प्रत्यर्पण कानून के विरोध में शुरू हुए थे लेकिन देखते ही देखते यह हांग कांग सरकार की चीन समर्थक नीतियों के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन बन गया.

12 जून को इसकी वर्षगांठ पर हजारों लोग लंदन में इकट्ठा हुए और "हांग कांग को आजाद करो, हमारे समय की क्रांति” जैसे आंदोलन से निकले नारे लगाए. कनाडा के वैंकूवर शहर में सैकड़ों प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच ठीक वैसी ही झड़प हुई, जैसी कि तीन साल पहले हुई थी.

ऐसे ही प्रदर्शन अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और ताइवान के दर्जनों शहरों में आयोजित हुए. प्रदर्शनकारी नारेबाजी करते हुए उन गीतों को गा रहे थे जिन्हें हांग कांग में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत प्रतिबंधित किया गया है. यह कानून विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए ही लागू किया गया था.

हालांकि तीसरी बरसी पर हांग कांग में इस तरह के प्रदर्शन आयोजित नहीं हो सके.

जॉर्जटाउन सेंटर फॉर एशियन लॉ में हांग कांग फेलो एरिक लाई कहते हैं, "हांग कांग में बड़े पैमाने पर अहिंसक और शांतिपूर्ण प्रदर्शन हुआ करता था और यह इसकी खासियत थी लेकिन अधिकारियों ने जब राष्ट्रीय सुरक्षा कानून और कोरोना वायरस की वजह से लागू पाबंदियों के नाम पर आंदोलन के दमन का रास्ता अपनाया तो प्रदर्शनकारी भड़क उठे.”

डीडब्ल्यू से बातचीत में एरिक लॉ कहते हैं, "सड़कों पर प्रदर्शन और अहिंसक गतिविधियां हांग कांग के लोगों के लिए सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ अपने विरोध को दर्शाने का सबसे अच्छा तरीका थीं लेकिन अब वो ऐसा नहीं कर पाएंगे.”

हांग कांग की सिविल सोसाइटी हमेशा के लिए बदल गई.

2019 में हांग कांग सरकार ने प्रत्यर्पण विधेयक प्रस्तावित किया था जिसका बड़े पैमाने पर विरोध हुआ. इस विधेयक के जरिए ‘भगोड़े' लोगों के खिलाफ चीन की मुख्य भूमि पर मुकदमा चलाने का प्रावधान था जो कि हांग कांग की न्यायिक स्वतंत्रता के पूरी तरह खिलाफ था. कई महीने तक विरोध प्रदर्शन होते रहे. बीच-बीच में प्रदर्शनकारियों और दंगा पुलिस के बीच हिंसक झड़पें भी हुईं. करीब दस हजार लोगों को गिरफ्तार किया गया और हांग कांग की पुलिस पर ये आरोप लगे कि उसने कई बार प्रदर्शनकारियों पर अत्यधिक बल प्रयोग किया. आखिरकार विधेयक को अक्टूबर 2019 में वापस ले लिया गया.

लेकिन जुलाई 2020 में हांग कांग ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून बनाया जिसके तहत अलगाव, तोड़-फोड़ आतंकवाद और विदेशी शक्तियों से सांठ-गांठ जैसी आपराधिक गतिविधियों के खिलाफ मुकदमे चलाए जा सकते थे. उसके बाद से विपक्षी सांसदों को सदन से बाहर कर दिया गया, लोकतंत्र समर्थक मीडिया घरानों को बंद होने के लिए मजबूर कर दिया गया और सौ से ज्यादा विरोधी लोगों और एक्टिविस्ट्स को गिरफ्तार कर लिया गया.

Hongkong Protest Menschenrechte
तस्वीर: Tyrone Siu/REUTERS

हाल ही में एक स्थानीय रेडियो कार्यक्रम में हांग कांग की मुख्य कार्यकारी कैरी लैम ने कहा कि प्रत्यर्पण विधेयक लाने का उन्हें कोई अफसोस नहीं है. हांग कांग के साउथ चाइन मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक लैम का कहना था, "मुझे नहीं लगता कि इस बारे में सरकार ने कोई गलत काम किया था.”

लैम अगले कुछ हफ्तों में अपना पद छोड़ने वाली हैं और उनकी जगह पूर्व सुरक्षा प्रमुख जॉन ली लेने वाले हैं. लाई कहते हैं, "ऐसा लगता है कि चीफ इक्जीक्यूटिव बनने के बाद जॉन ली और ज्यादा सेंसरशिप लागू करेंगे ताकि समाज के हर विरोधी वर्ग को नियंत्रित किया जा सके.”

नॉत्रे दाम विश्वविद्यालय में क्योफ स्कूल ऑफ ग्लोबल आर्ट्स की फेलो मैगी शुम को उम्मीद है कि चीन की तरफ से और ज्यादा कड़ी नीतियां सामने आएंगी. डीडब्ल्यू से बातचीत में वो कहती हैं, "चीन साफतौर पर संदेश देना चाहता है कि वो उसका मुख्य लक्ष्य राष्ट्रीय सुरक्षा है. ऐसा लगता है कि हांग कांग का भविष्य यही होगा. वो यहां की पहचान खत्म कर देंगे और जो लोग चीन की देशभक्ति को स्वीकार नहीं करेंगे उन्हें पीटा जाएगा. प्रदर्शनों के दौरान और उसके बाद जिस तरह का दमनकारी रवैया अपनाया गया, वो जारी रहेगा.”

चीन की ताकत

एरिक लाई के मुताबिक 2019 में बड़े पैमाने पर हुए विरोध प्रदर्शनों के चलते चीन की सरकार दहशत में आ गई थी और इसीलिए उसने हांग कांग की अर्ध-स्वायत्तशासी कानूनी स्थिति पर अपना नियंत्रण बढ़ाने की कोशिशें शुरू कर दीं. वह कहते हैं, "उस वक्त चीन के लिए सबसे बड़ा परेशानी का सबब यही था कि हांग कांग में हो रहे प्रदर्शन अहिंसक और शांतिपूर्ण थे. वो भी तब जब प्रदर्शन में लाखों लोग शामिल थे. इसके अलावा जिस तरह से इस शांतिपूर्ण और अहिंसक आंदोलन के लिए विदेशों से समर्थन लेने की कोशिशें हो रही थीं, उससे भी चीन परेशान था.”

लाई आगे कहते हैं, "राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू होने से पहले विदेशों में इस तरह के अहिंसक प्रदर्शन को रोकने वाला कोई कानून नहीं था. इससे यह स्पष्ट है कि यह कानून लाया ही इसीलिए गया ताकि देश के भीतर या बाहर अहिंसक विरोध प्रदर्शनों पर नकेल लगाई जा सके.”

मैगी शुम भी इस बात से सहमत हैं. वो कहती हैं, "निश्चित तौर पर डर है, खासतौर पर जिस तरह से एप्पल डेली और स्टैंड न्यूज जैसी मीडिया कंपनियों को निशाना बनाया गया. यह सिर्फ कानून ही नहीं है बल्कि कानून के इर्द-गिर्द आने वाला तंत्र भी है.”

शुम कहती हैं कि हांग कांग के नागरिक समाज पर हर तरीके से नकेल कसने के अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का उद्देश्य यह भी है कि वो यहां के लोगों को शेष दुनिया से अलग-थलग कर दे. वह कहती हैं, "प्रदर्शनों के शुरुआत में विदेशों में रह रहे हांग कांग के तमाम लोगों ने क्राउडफंडिंग और कई अन्य तरह की मदद भेजकर प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया. कई लोगों ने प्रदर्शनकारियों की बातों को दुनिया के अन्य देशों में पहुंचाने की कोशिश की. लेकिन जब से राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू हुआ है, दूसरे देशों में रह रहे हांग कांग के लोगों को भी निशाना बनाया जा रहा है. इसलिए उन लोगों के सामने भी चुनौतीपूर्ण स्थिति आ गई है.”

अमरीकी चैनल सीएनबीसी को पिछले हफ्ते दिए इंटरव्यू में कैरी लैम ने कहा था कि उन्हें लगता था कि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के क्रियान्वयन के साथ-साथ चुनाव प्रणाली में सुधार "हांग कांग की स्थिरता और समृद्धि को सुनिश्चित करने के लिए बेहद जरूरी थे.”