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जर्मनी: रेलवे ड्राइवरों की हड़ताल से किस-किस को होगा नुकसान

इंसा व्रेडे
१० जनवरी २०२४

जर्मनी में रेलवे चालक तीन दिन की हड़ताल पर हैं. वेतन बढ़ाने और काम के घंटों को 38 से घटाकर 35 घंटे प्रति सप्ताह करने की मांग के समर्थन में हड़ताल की गई है. इससे डॉयचे बान को तो नुकसान होगा ही, उद्योग भी प्रभावित होंगे.

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जर्मन रेलवे नेटवर्क, पड़ोसी यूरोपीय देशों के लिए भी कई तरह के सामानों की आवाजाही का अहम जरिया है.
हड़ताल के कारण पूरे जर्मनी में मालगाड़ियों की आवाजाही प्रभावित होगी.तस्वीर: Bernd Thissen/dpa/picture alliance

रेलवे कर्मचारियों के यूनियन जीडीएल की इस हड़ताल में यात्री ट्रेनों के अलावा मालगाड़ी के चालक भी शामिल हैं. यह हड़ताल 10 से 13 जनवरी तक चलेगी. हड़ताल का असर केवल यात्रियों और सरकारी रेल कंपनी डॉयचे बान (डीबी) पर नहीं पड़ेगा. कच्चे माल और तैयार सामान की ढुलाई और आवाजाही रुकने से जर्मनी में कई कंपनियां भी प्रभावित होंगी.

इसके अलावा जर्मनी के पड़ोसी देशों में भी हड़ताल का असर महसूस किया जाएगा. डॉयचे बान रेलवे के माध्यम से जितनी माल ढुलाई करती है, उसका करीब 60 फीसदी भाग यूरोप के अलग-अलग हिस्सों में ले जाया जाता है. डिजिटल एंड ट्रांसपोर्ट मंत्रालय के मुताबिक, यूरोप में माल ढुलाई के 11 में से छह गलियारों का रास्ता जर्मनी से होकर गुजरता है. जैसा कि जर्मन इकॉनमिक इंस्टिट्यूट (आईडब्ल्यू) के थोमास पल्स कहते हैं, "जर्मनी, यूरोप में मालढुलाई का केंद्र है."

ट्रेन से माल ढुलाई बेहद जरूरी

जर्मनी में सामान का एक बड़ा हिस्सा, तकरीबन दो तिहाई भाग, सड़क के रास्ते ट्रांसपोर्ट किया जाता है. कुल सामान का लगभग पांचवां हिस्सा रेल के माध्यम से ले जाया जाता है. रेल से मालढुलाई बहुत अहम है. यातायात के विशेषज्ञ थोमास पल्स बताते हैं, "भले ही बाजार की भागीदारी देखने पर यह बहुत स्पष्ट ना हो, लेकिन रेल ट्रांसपोर्ट का बड़ा हिस्सा ऐसा है जिसे या तो किसी और माध्यम से नहीं ले जाया जा सकता या फिर ऐसा करने में बड़ी दिक्कतें आएंगी."

मसलन, स्टील और रसायन जैसे बड़े उद्योग परिवहन के लिए रेल पर निर्भर हैं. रेलवे द्वारा की जाने वाली कोयले की आपूर्ति के बिना ना तो स्टील उद्योग की भट्ठियां जलेंगी, ना ही बिजली पैदा करने वाले बिजलीघर. रसायन उद्योग में इस्तेमाल होने वाले कई तरह के खतरनाक सामानों को तो रेल से ले जाना कानूनी तौर पर अनिवार्य है क्योंकि इसमें कम जोखिम होता है. 

कोयला ले जा रही एक मालगाड़ी
कोयला आमतौर पर मालगाड़ियों या फिर जहाज से लाया-ले जाया जाता है. तस्वीर: Peter Endig/dpa/picture alliance

इसके अलावा कार उद्योग द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले उत्पाद और बनकर तैयार हुई गाड़ियां भी मालगाड़ियों से ही भेजी जाती हैं. ऐसे में ट्रेनों के रद्द होने पर क्या होता है? पल्स के मुताबिक, इतनी बड़ी संख्या में तैयार वाहनों को सड़क के रास्ते ले जाने के लिए पर्याप्त कार कैरियर ट्रक नहीं हैं.

बाकी यातायात मार्गों पर भी असर

रेलवे से माल ढुलाई के मामले में डॉयचे बान सबसे बड़ा सर्विस प्रोवाइडर है. बाजार में इसकी हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी है. इसके अलावा कई निजी कंपनियां भी हैं, जो माल ढुलाई सेवाओं में बाकी 50 फीसदी की हिस्सेदार हैं. रेलवे चालकों की हड़ताल का उनपर सीधा असर भले ना हो, लेकिन नतीजे उन्हें भी महसूस होंगे.

असोसिएशन ऑफ जर्मन ट्रांसपोर्ट कंपनीज के प्रबंध निदेशक मार्टिन हेंके बताते हैं, "हड़ताल जितनी लंबी चलेगी, समूची इंडस्ट्री के लिए नकारात्मक असर उतने ही ज्यादा व्यापक होंगे. इनमें वो रेल कंपनियां भी हैं, जिनके ड्राइवर हड़ताल में हिस्सा नहीं ले रहे हैं."

स्विच टावर ऑपरेटर
रेलवे यातायात में स्विच टावर ऑपरेटरों की भूमिका बेहद जरूरी है. तस्वीर: HRSchulz/IMAGO

डॉयचे बान में रेल नेटवर्क के कामकाज और मरम्मत का काम देखने वाले ट्रैक डिविजन्स और स्विट टावर के कर्मचारियों से भी हड़ताल में जुड़ने की अपील की गई है. हेंके का अनुमान है कि इसके कारण रेल नेटवर्क के कुछ हिस्सों में बिल्कुल भी यातायात नहीं होगा.

वह कहते हैं, "जैसे ही स्विच टावर के कर्मचारी हड़ताल में शामिल होंगे, सब कुछ रुक जाएगा. आपातकालीन परिवहन भी नहीं होगा. केंद्रीय यातायात नियंत्रण के बिना रेलवे ट्रैफिक होगा ही नहीं." पल्स यह भी जोड़ते हैं कि जेडीएल द्वारा पहले की गई हड़तालों में ऐसी स्थिति नहीं बन पाई थी.

बंदरगाहों पर कंटेनरों का जाम

हड़ताल के कारण माल ढुलाई शृंखला के बाकी हिस्से, जैसे कि बंरदगाह भी प्रभावित होंगे. पल्स आशंका जताते हैं, "जैसे ही बंदरगाहों पर कंटेनर रखने की जगह भर जाएगी, तो बड़ी दिक्कतें खड़ी हो जाएंगी." मसलन, हैम्बर्ग का बंदरगाह. यहां जहाजों से आने वाले ज्यादातर कंटेनर रेलवे के माध्यम से आगे की यात्रा पर भेजे जाते हैं.

पल्स कहते हैं कि इन्हें सड़क के रास्ते से भेजा जाना व्यावहारिक विकल्प नहीं है. वह बताते हैं, "शायद हमारे पास इसके लिए पर्याप्त ट्रक नहीं हैं. और अगर इतने ट्रक होते भी, तब भी हम उतने कंटेनरों के मुताबिक ट्रक नहीं भेज पाते, जितने आमतौर पर हैम्बर्ग बंदरगाह से रेल के रास्ते भेजे जाते हैं."

जर्मनी में कर्मचारियों की कमी पूरी कर रहे विदेशी ट्रेनी