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कुछ प्रजातियों को लुप्तप्राय बना रही हैं व्यस्त सड़कें

चार्ली एलन शील्ड
२७ मई २०२४

दुनिया में सड़क हादसे इतने बढ़ रहे हैं कि कुछ प्रजातियों पर अस्तित्व का संकट मंडराने लगा है. सड़कों का जाल पारिस्थिकी तंत्र के लिए खतरा बन रहा है. कुछ देश सड़कों को जानवरों के लिए सुरक्षित बनाने के उपाय खोज रहे हैं.

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Schweden | Nordisches Reh
दुनियाभर की सड़कों पर हर रोज लाखों जानवर हादसों का शिकार होते हैं.तस्वीर: IT4ALL/Pond5 Images/IMAGO

जब कोई फोन आता है, तो यह मायने नहीं रखता है कि वह सोने जा रही हैं या फिर खाना पका रही हैं. लॉरी स्पीकमैन तुरंत घटनास्थल के लिए रवाना होती हैं कि कहीं देर न हो जाए और मांस सड़ने लगे.

वह अलास्का मूज फेडरेशन में स्वयंसेवक हैं. उनके जिम्मे आने वाले कामों में एक यह भी है कि उन्हें करीब 100 पाउंड या 450 किलोग्राम के किसी भीमकाय जानवर को गाड़ी में लादना होता है. कई बार उन्हें यह काम अकेले ही करना पड़ता है और वह भी अक्सर आधी रात के बीच.

इसके बावजूद 'द मूज लेडी' के उपनाम से मशहूर स्पीकमैन जानती हैं कि सड़क पर मारा गया जानवर भी बेकार नहीं जाएगा, इसलिए इतनी मेहनत उचित है. फिर चैरिटी ने मरा जानवर जरूरतमंदों में बांट दिया.

उनके जेहन में उस बूढ़ी महिला की स्मृतियां भी हैं, जो भूख से बेहाल होकर चिल्ला रही थी. स्पीकमैन ने बताया, 'इस बात ने मुझे अपार संतुष्टि दी कि मैं उनकी मेज तक बेहतर खाना पहुंचा सकी.'

Indien | Wilde Elefanten
सड़कों के जाल ने हमारा जीवन तो आसान बनाया है, लेकिन जानवरों की रिहाइश और आवाजाही पर बहुत असर डाला है.तस्वीर: Manjunath Kiran/AFP/Getty Images

सड़कों पर फैला वन्य जीवों की मौत का जाल

इसमें कोई शक नहीं कि मांस का उपभोग कर लेने से अपशिष्ट की समस्या तो सुलझ जाती है, लेकिन इससे सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाने वाले जानवरों की पारिस्थितिकीपर पड़ने वाले व्यापक प्रभाव का समाधान नहीं निकलता.

ब्रिटेन में दुनिया की 69 प्रजातियों के डेढ़ सौ स्तनपायी जीवों पर अध्ययन किया गया. इसमें पता चला कि सड़क हादसे जानवरों की मौतों की सबसे बड़ी वजह हैं. शिकार और बीमारियों से भी ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं जानवरों के मरने की वजह हैं.

पर्यावरण पत्रकार और ग्रह और प्राणियों पर सड़कों के प्रभाव पर पुस्तक लिखने वाले बेन गोल्डफार्ब ने कहा, "हम अपने ग्रह के इतिहास में छठी व्यापक विलुप्ति का सामना कर रहे हैं और सड़क दुर्घटनाएं वास्तव में उसका एक बड़ा कारण हैं."

दुनिया में सड़कों का सबसे बड़ा जाल अमेरिका में है, जहां रोजाना करीब पांच लाख से ज्यादा जानवर गाड़ियों की चपेट में आकर मारे जाते हैं. वैश्विक स्तर पर ऐसे आंकड़े सहज उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन यह संख्या यकीनन अरबों में होगी.

गोल्डफार्ब ने कहा, "अमेरिका में हम ओसिलोट्स (लैटिन अमेरिकी बिल्ला) और फ्लोरिडा पैंथर्स तेजी से गंवा रहे हैं. ब्राजील में यही स्थिति मैन्ड वोल्व्स और जाइंट एंटईटर्स की है. मध्य पूर्व में एशियाई चीते विलुप्ति के कगार पर हैं."

उन्होंने कहा कि सड़क हादसों के शिकार पक्षियों और कीट-पतंगों का तो संज्ञान भी नहीं लिया जाता, जबकि स्थानीय पारितंत्र के लिए वे भी कम उपयोगी नहीं हैं.

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सड़क हादसों के शिकार पक्षियों और कीट-पतंगों का तो संज्ञान भी नहीं लिया जाता.तस्वीर: Amir Cohen/REUTERS

भोजन और अस्तित्व की राह में अवरोध

हालांकि, सड़कें वन्य जीवों के सामने केवल दुर्घटनाओं का खतरा ही नहीं बढ़ा रही हैं. सड़कों के फैले जाल ने उन तमाम जानवरों पर बंदिशें लगा दी हैं, जिनका जीवन ही दौड़ने-भागने से जुड़ा रहा है.

हिरण, एल्क, मूज और प्रोघॉर्न एंटलोप्स ऐसे जानवरों में शुमार हैं, जो खाने की तलाश में अपने मौसमी रिहाइश से सैकड़ों मील दूर तक का फासला तय करते हैं. वायोमिंग में वैज्ञानिकों ने अवलोकन किया है कि राजमार्गों पर निरंतर यातायात की वजह से हिरन उन्हें पार नहीं कर पाते.

गोल्डफार्ब के अनुसार इसके चलते कुछ वर्षों से झुंड का 40 प्रतिशत हिस्सा भुखमरी को अभिशप्त हुआ. जलवायु परिवर्तन के कारण सूखे की बढ़ती आवृत्ति भी सड़कों पर मौत के मामले बढ़ा रही है.

ऑस्ट्रेलिया जैसे गर्म देशों में शोधकर्ताओं ने पाया कि सूखे के दौरान सड़कों पर जानवरों की मौत के मामलों में बढ़ोतरी देखी जाती है, क्योंकि कंगारू जैसे जानवर भोजन और पानी की तलाश में अपरिचित स्थानों की ओर भी कूच कर जाते हैं.

Australien | Rotes Riesenkänguru
तस्वीर: A. Trepte/blickwinkel/IMAGO

लॉस एंजिलिस के निकट रहने वाले माउंटेन लायंस का दायरा सड़कों ने इतना सीमित कर दिया है कि जानवरों को अपने करीबी पारिवारिक सदस्यों के बीच ही भरण-पोषण के लिए विवश होना पड़ रहा है.

गोल्डबार्फ का कहना है, "परिणामस्वरूप उनमें आनुवांशिक गड़बड़ियों का प्रकोप शुरू हो गया है. हमारे राजमार्ग जानवरों के डीएनए को प्रभावित कर रहे हैं. यह बहुत ही हैरान करने वाली बात है."

कारों से होने वाले उत्सर्जन से इतर भी सड़कें स्थानीय पर्यावरण को व्यापक रूप से प्रदूषित करती हैं. टायरों के हिस्से जलराशियों में मिलकर मछलियों के लिए घातक सिद्ध होते हैं.

डी-आइसिंग एजेंट के रूप में उपयोग किए जाने वाले रोड सॉल्ट ने नदियों और झीलों को दूषित कर दिया है, जिससे वे खारी हो गई हैं और जलीय पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंच रहा है.

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तस्वीर: Robin Loznak/ZUMA/picture alliance

वन्य जीव हितैषी क्रॉसिंग

हाल के दशकों में एक के बाद एक कई अमेरिकी राज्यों ने सड़क हादसों में मारे गए जानवरों के उपभोग की इजाजत देने वाले कानून बनाए हैं. वेस्ट वर्जीनिया में हर साल रोडकिल फेस्टिवल आयोजित किया जाता है, जिसके मेन्यू में आपको इगुआना नाचो से लेकर एल्क फहीता, हिरण की आंतें और गिलहरी की ग्रेवी जैसे व्यंजन मिल जाएंगे.

हालांकि, ये उपाय तो बस इसमें कारगर हैं कि खाने की बर्बादी न हो और किसी जानवर की लाश कचरे में न सड़े. पर कुछ और उपाय भी हैं, जिनसे सुनिश्चित किया जा सकता है कि जानवर सड़क हादसों के शिकार ही न हों.

सड़कों के ऊपर या नीचे सुरंग, पुल और कॉरिडोर बनाना भी जानवरों की सुरक्षित आवाजाही में मददगार हो सकता हैं और उनकी बस्तियों को सड़कों से जोड़ सकता है. इन्हें वन्य जीव गलियारों के तौर पर जाना जाता है, जो कई आकार-प्रकार के हो सकते हैं.

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राजमार्गों पर बने पुल जानवरों की आवाजाही के लिए सुरक्षित मार्ग उपलब्ध करा रहे हैं.तस्वीर: picture alliance / juniors/wildlife

इसमें ग्रीन ब्रिज भी एक विकल्प हो सकते हैं, जो हिरनों और भालुओं की सु्रक्षित आवाजाही में मददगार बनें. सुरंगें लोमड़ियों और बिज्जुओं के लिए उपयोगी हो सकती हैं. अब दुनियाभर में इसके उदाहरण देखे जा सकते हैं. जैसे नॉर्वे में बी-हाईवे से लेकर ऑस्ट्रेलिया में क्रिसमस आइलैंड पर रेड क्रैब ब्रिज और न्यूजीलैंड के ऑकलैंड में ब्लू पेंगुइन अंडरपास.

अमेरिका के दक्षिणपूर्वी राज्य वर्जीनिया में परिवहन विभाग में वन्य जीव शोध वैज्ञानिक ब्रिजेट डोनाल्डसन ने कहा, 'मैं जिस शरह में रहती हूं, वहां हमारी एक सड़क के नीचे सैलामैंडर सुरंग थी, जिसके पास कुछ बाड़ेबंदी भी थी. इससे सैलामैंडर को सुरंग तक पहुंचने में मदद मिलती है. इससे उन्हें उन नम जमीनों की राह मिल जाती, जिसे वे मौसमी सुविधा के हिसाब से उपयोग करते हैं.'

डोनाल्डसन और उनकी टीम ने यह भी पाया कि विभिन्न क्रॉसिंगों पर एक मील तक आठ फुठ ऊंची वाइल्डलाइफ बाड़ लगाकर बहुत सारे जानवरों को कारों की चपेट में आने से बताया जा सकता है.

डोनाल्डसन ने बताया, "हमने जानवरों को लगने वाली टक्कर के मामलों में 92 प्रतिशत की कटौती देखी. खासतौर से इन जगहों पर हिरनों को लगने वाली टक्करों के मामले में." गोल्डफार्ब के अनुसार उचित डिजाइन के साथ तैयार किए गए क्रॉसिंग और बाड़ेबंदी सड़क हादसों को अमूमन 80 प्रतिशत तक घटाने में सक्षम हो सकती है.

पारिस्थितिकीय रूप से संवेदनशील सड़कें

दुनिया में फिलहाल 36 मिलियन किलोमीटर लंबी सड़कें मौजूद हैं, जिसमें साल 2050 तक और 25 मिलियन किलोमीटर का इजाफा होने का अनुमान है. गोल्डफार्ब की दलील है कि वैश्विक स्तर पर सड़कों के इतने व्यापक स्तर पर विस्तार को पारिस्थितिकीय संवेदनाओं को ध्यान में रखते हुए आकार दिया जाए.

Norwegen Oslo | "Bee Highway"
नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में महत्वपूर्ण परागणकों की सुरक्षा करने के लिए बी-हाइवे यानी मधुमक्खी राजमार्ग बनाया है.तस्वीर: Pierre-Henry Deshayes/AFP/Getty Images

इसमें कुछ विशेष बस्तियों को बख्श दिया जाए, कम और अधिक गुणवत्ता की सड़कें बनाई जाएं. वाइल्डलाइफ क्रॉसिंग बनाए जाएं और इस प्रकार का निर्माण किया जाए, ताकि जानवरों की सुरक्षित एवं सुगम आवाजाही संभव हो सके.

उन्होंने कहा, 'तमाम नई परियोजनाएं उन विकासशील देशों में हैं, जो जैव विविधता के हॉट स्पॉट हैं.' पुरानी गलतियों का हवाला देते हुए गोल्डफार्ब ने कहा, 'मेरे हिसाब से इन देशों को अपना बुनियादी ढांचा विकसित करते हुए यह याद रखना चाहिए कि वे उन गलतियों से बचें, जो हमने उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी यूरोप में की हैं.'

आरएम/वीएस