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हमास के हमले के एक साल बाद कैसे हैं जर्मनी-इस्राएल के रिश्ते

क्रिस्टोफ श्ट्राक
८ अक्टूबर २०२४

जब जर्मनी के नेता जर्मन-इस्राएली संबंधों पर बोलते हैं, तो वे "राष्ट्र की प्राथमिकता" का जिक्र करना पसंद करते हैं. मगर इन नाटकीय हालात में "जर्मन राजनीति की एकजुटता" असल में कैसी नजर आती है?

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मार्च 2023 में बर्लिन आए इस्राएल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू, जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स के साथ.
7 अक्टूबर के हमले के बाद चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने बुंडेस्टाग में दोहराया कि इस्राएल की सुरक्षा जर्मनी के लिए "राष्ट्र की प्राथमिकता" हैतस्वीर: Chrisrtian Ditsch/epd

जर्मनी और इस्राएल का आपसी रिश्ता बहुत अनूठा है. बीते हफ्ते जर्मनी के रूढ़िवादी विपक्षी नेताओं ने राजधानी बर्लिन में एक कार्यक्रम का आयोजन किया, जहां यह संदेश दोहराया गया.

नॉर्बर्ट लामेर्ट, विपक्षी दल क्रिश्चिम डेमोक्रैटिक यूनियन (सीडीयू) के नेता और जर्मन संसद के निचले सदन बुंडेस्टाग के पूर्व अध्यक्ष हैं. उन्होंने कहा, "दुनिया में किसी भी और दो देशों के बीच ऐसा रिश्ता नहीं है." 75 साल के लामेर्ट सीडीयू से संबंधित 'कॉनराड आडेनाउअर फाउंडेशन' के अध्यक्ष हैं.

7 अक्टूबर 2023 को इस्राएल पर हमास के आतंकी हमले की पहली बरसी से कुछ दिन पहले फाउंडेशन ने जर्मनी और इस्राएल के खास रिश्ते पर आधारित एक "स्टडी डे" (जागरूकता दिवस) मनाने का फैसला किया. इस कार्यक्रम में शामिल हुए प्रतिभागियों ने जर्मनी की मौजूदा केंद्र सरकार की मुखरता से आलोचना की.

30 सितंबर को बर्लिन में हुए 'कॉनराड आडेनाउअर फाउंडेशन' के सम्मेलन की एक तस्वीर
7 अक्टूबर 2023 को हुए हमास के हमले की पहली बरसी पर जर्मनी की कंजरवेटिव सीडीयू पार्टी ने बर्लिन में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित कियातस्वीर: Tobias Koch/KAS

हमास के हमले में करीब 1,200 लोग मारे गए थे और 230 से ज्यादा लोगों को बंधक बना लिया गया था. जर्मनी, यूरोपीय संघ (ईयू) और अमेरिका समेत कई सरकारें हमास को आतंकवादी संगठन की श्रेणी में रखती हैं.

अंगेला मैर्केल की विरासत

नाजी दौर में हुए होलोकॉस्ट के दौरान  60 लाख यहूदियों की हत्या जर्मन इतिहास का ऐसा धब्बा है, जिसे कभी नहीं मिटाया जा सकता. होलोकॉस्ट से जिंदा बच पाए लोगों का देश बने इस्राएल के प्रति जर्मनी की "विशेष जिम्मेदारी" का सार बताते हुए जर्मनी के नेता इसके लिए "स्टाट्सरेजॉं" शब्द का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि, जर्मनी के संविधान 'बेसिक लॉ' में इस शब्द का कहीं जिक्र नहीं है.

जर्मन विदेश नीति के मूल में है इस्राएल की सुरक्षाः जर्मनी

मार्च 2008 में तत्कालीन चांसलर और सीडीयू नेता अंगेला मैर्केल इस्राएली संसद को संबोधित करने वाली पहली विदेशी राष्ट्राध्यक्ष बनीं. अपने संबोधन में मैर्केल ने जोर दिया कि "मुझसे पहले हर एक जर्मन सरकार और हर एक जर्मन चांसलर इस्राएल की सुरक्षा के लिए जर्मनी की विशेष ऐतिहासिक जिम्मेदारी के प्रति समर्पित था. जर्मनी की वह ऐतिहासिक जवाबदेही, मेरे देश की प्राथमिकता का हिस्सा है." इसका मतलब कि उनके लिए "बतौर जर्मन चांसलर इस्राएल की सुरक्षा अटल है."

18 मार्च 2008 की इस तस्वीर में जर्मनी की तत्कालीन चांसलर अंगेला मैर्केल इस्राएली संसद को संबोधित कर रही हैं.
मार्च 2008 में जर्मनी की तत्कालीन चांसलर अंगेला मैर्केल इस्राएली संसद को संबोधित करने वाली पहली विदेशी राष्ट्राध्यक्ष बनींतस्वीर: dpa-Zentralbild/picture alliance

जर्मनी में सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी (एसपीडी) के नेतृत्व में ग्रीन्स और फ्री डेमोक्रैट्स (एफडीपी) की वर्तमान गठबंधन सरकार ने 2021 में दस्तखत किए: "इस्राएल की सुरक्षा हमारे लिए राष्ट्र की एक प्राथमिकता है." इस्राएल को झकझोर कर रख देने वाले 7 अक्टूबर 2023 को हुए आतंकी हमले के बाद से ही जर्मन राजनेता लगातार "राष्ट्र की प्राथमिकता" (रीजन ऑफ स्टेट) का उल्लेख कर रहे हैं.

इनमें चांसलर ओलाफ शॉल्त्स भी हैं, जिन्होंने हमले के बाद बुंडेस्टाग में दिए गए अपने बयान में जोर दिया, "इस घड़ी जर्मनी के लिए केवल एक ही जगह है. वह जगह है, इस्राएल के साथ (पक्ष में). हमारा यही तात्पर्य होता है जब हम कहते हैं कि: इस्राएल की सुरक्षा जर्मनी के लिए राष्ट्र की प्राथमिकता है."

जर्मनी-इस्राएल रिश्तेः 'एक स्थायी जिम्मेदारी'

हालांकि, बीते एक साल में सरकार के कई राजनीतिक फैसलों ने इस्राएल को परेशान किया है. इसका एक उदाहरण है, मध्यपूर्व पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों में जर्मनी की गैर-मौजूदगी. योजेफ शूस्टर 'सेंटर काउंसिल ऑफ ज्यूज इन जर्मनी' के प्रमुख हैं. 30 सितंबर को हुए 'कॉनराड आडेनाउअर फाउंडेशन' के सम्मेलन में उन्होंने अपनी निराशा जताई.

उन्होंने कहा कि "राष्ट्र की प्राथमिकता" का उद्धरण "इस्राएल के लिए खड़े होने के बारे में" होना चाहिए. उन्होंने कहा कि जर्मन राजनीति में यह भाव घट रहा है. शूस्टर ने कहा कि इसे लेकर लगातार संशय बढ़ रहा है. इस संदर्भ में उन्होंने खासतौर पर ग्रीन पार्टी की नेता और विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक की ओर इशारा किया.

जर्मनी: बढ़ रही है यहूदी-विरोधी भावना, "खासकर मुस्लिमों में"

शूस्टर लंबे समय से जर्मन लीडरों की आलोचना करते आए हैं. इसी साल जुलाई में एक नए यहूदी प्रार्थना स्थल 'सिनेगॉग' का उद्घाटन करते हुए अपने भाषण में शूस्टर ने इस तथ्य पर खेद जताया कि बुंडेस्टाग में संसदीय समितियां अब तक यहूदी विरोध (ऐंटी सेमिटिज्म) के खिलाफ और जर्मनी में यहूदी तौर-तरीके से जीवन की रक्षा के लिए प्रस्ताव लाने पर सहमत नहीं हुई हैं. इस उद्घाटन समारोह में बेयरबॉक भी मौजूद थीं. चांसलर शॉल्त्स को भी शरीक होना था, लेकिन आयोजन से कुछ ही समय पहले उन्होंने अपने कार्यक्रमों का हवाला देते हुए आना रद्द कर दिया.

शूस्टर ने कहा कि यह "शर्मनाक" है कि 7 अक्टूबर को हुए हमले के एक साल बाद भी ऐसा प्रस्ताव पारित नहीं हुआ है. जर्मनी की वर्तमान सामाजिक सोच का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में यहूदी विरोधी हमले बढ़ हैं और हालिया सर्वेक्षण दिखाते हैं कि जर्मन आबादी में इस्राएल के लिए समर्थन घट रहा है. उन्होंने कहा कि यहूदी संस्थानों के खिलाफ पहले से ज्यादा विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, ग्रैफिटी बनाई जा रही है और अन्य तरह के हमले भी हो रहे हैं.

'कॉनराड आडेनाउअर फाउंडेशन' के सम्मेलन में कुछ यहूदी प्रतिभागियों ने अपने हालिया अनुभवों की आपबीतियां साझा कीं. रिकार्दा लूक की बेटी शनी लूक का 7 अक्टूबर को हमास ने अपहरण किया और बाद में उनकी हत्या कर दी. कार्यक्रम में रिकार्दा लूक ने इस्राएल की मौजूदा स्थितियों पर अपने खयाल, अपने डर और भविष्य के लिए अपनी उम्मीदें साझा कीं. हालांकि, उन्होंने जोर दिया कि सबसे ज्यादा वह तस्वीर याद रखनी चाहिए, जिनमें उनकी बेटी बेहद खुश है.

मिथक जो बनते हैं यहूदी विरोध की वजह

इस्राएल-हमास संघर्ष का जर्मनी पर क्या असर पड़ेगा?

जिस इमारत में सम्मेलन का आयोजन हो रहा था, उसमें घुसते समय प्रतिभागियों का सामना फलस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारियों से हुआ, जिनकी संख्या करीब 20 थी. उनमें से कुछ ने खुद को जंजीरों से बांध रखा था और कॉन्फ्रेंस के सदस्यों के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल कर रहे थे. उन्हें "नाजी" या "हत्यारा" कह रहे थे. बाद में कुछ देर के लिए प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया.

कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने के लिए जो लोग इमारत में प्रवेश कर रहे थे, उनमें एक जर्मनी में इस्राएल के राजदूत रॉन प्रोजोर भी थे. वह पहले से कहीं ज्यादा मुखरता से जर्मनी की राजनीतिक दिशा की आलोचना करते हैं. प्रोजोर ने "राष्ट्र की प्राथमिकता" का जिक्र किया, जिसे किसी भी अन्य देश ने इस अर्थ या भाव के साथ इस्तेमाल नहीं किया है.

प्रोजोर ने कहा कि हमास ने "यहूदी देश को नष्ट करने के लक्ष्य को अपने लिए 'राष्ट्र की प्राथमिकता' चुना है." उन्होंने जोर दिया कि आतंकवादी हमले के बाद शॉल्त्स ने फिर से पुष्टि की थी कि जर्मनी केवल इस्राएल के पक्ष में ही खड़ा हो सकता है, इसलिए इस आश्वासन पर अमल भी किया जाना चाहिए. उन्होंने इस्राएल के प्रति आलोचनात्मक यूएन प्रस्तावों पर जर्मनी के रुख की आलोचना की. यह कहते हुए कि जर्मनी इन प्रस्तावों पर बार-बार गैर-हाजिर रहा, प्रोजोर ने घोषणा की, "हमारे दोस्त, प्रस्तावों पर मतदान में हिस्सा ना लेना सहयोग नहीं है."