1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

10 लाख साल पहले भी रेगिस्तान में रहा है आदिमानव

२० जनवरी २०२५

हमारे पूर्वज होमो इरेक्टस गर्म और सूखे रेगिस्तान का सामना करने में लाखों साल पहले सक्षम हो गए थे. तो फिर क्या आधुनिक मानव से पहले भी लोग गर्म हवाओं और तपती रेत के बीच रहते थे.

https://p.dw.com/p/4pNzY
फ्रांस के आर्कियोलॉजी म्यूजियम में होमो इरेक्टस का मॉडल
10 लाख साल पहले होमो इरेक्टस के रेगिस्तानी इलाकों में रहने के सबूत मिले हैंतस्वीर: Pierre Andrieu/AFP

बियाबान की परिभाषा में बेहद गर्म और ठंडे इलाके दोनों आते हैं. इन जगहों पर इंसानों का रहना या तो संभव ही नहीं या फिर बेहद मुश्किल है. हालांकि आज ऐसी कम ही जगहें बची हैं जहां इंसान ने घर ना बना लिया हो. जब आबादी और संसाधन की लड़ाई आज के जैसी नहीं थी, देशों की सीमाएं और पासपोर्ट नहीं थे तब किन इलाकों में लोग रहते थे और किस आधार पर या कैसे? विज्ञान यह गुत्थी सुलझाने में लगा है.

हरे भरे, पानी से भरपूर और अच्छी जलवायु ने ही कुछ खास जगहों पर इंसानों की आबादी को फलने फूलने का मौका दिया. मगर रेगिस्तान तो ऐसा है नहीं तो फिर इंसान रेगिस्तान में क्यों गया होगा? अब तक माना जाता था कि होमो सेपिएंस यानी आधुनिक मानव ही रेगिस्तान में रहना सीख सका. हालांकि, एक नई रिसर्च के बाद दावा किया गया है कि होमो इरेक्टस भी रेगिस्तान में रहता था.

होमो इरेक्टस और उसके खोपड़ी का मॉडल
वैज्ञानिकों ने एक नई रिसर्च के बाद दावा किया है कि होमो इरेक्टस ने खुद को सूखे रेगिस्तानी इलाकों में रहने के लिए तैयार कर लिया थातस्वीर: Wissenschaftliche Rekonstruktionen: W.Schnaubelt/N.Kieser (Wildlife Art) für Hessisches Landesmuseum Darmstad/dpa/picture alliance

रेगिस्तान में रहता था होमो इरेक्टस

होमो इरेक्टस आदिमानवों में हमारा वह पूर्वज है जिसने सीधे खड़े हो कर दो पैरों पर चलना शुरू किया. नई रिसर्च रिपोर्ट के नतीजे में दावा किया गया है कि होमो इरेक्टस करीब 10 लाख साल पहले रेगिस्तान में रहता था.रिपोर्ट के प्रमुख लेखक जूलियो मर्केडर फ्लोरिन ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा कि जब विस्तृत मानव परिवार के पहले सदस्य ने रेगिस्तान या फिर उष्णकटिबंधीय जंगलों में रहने लायक खुद को बना लिया वह समय, "मानव अस्तित्व के इतिहास और चरम वातावरणों में विस्तार का निर्णायक बिंदु था."

इंडोनेशिया में रहते थे 3.3 फुट के इंसान

वैज्ञानिक लंबे समय तक यही मानते रहे कि होमो सेपिएंस ही इस तरह के वातावरणों में खुद को ढाल कर वहां लंबे समय तक रहने लायक बन सका. होमो सेपिएंस की उत्पत्ति करीब 3 लाख साल पहले हुई थी. कपियों के वंश से आगे बढ़ जो शुरुआती आदि मानव की प्रजातियां थीं उनके बारे में यही माना जाता है कि वे जंगल, घास के मैदान और गीले दलदली इलाकों जैसे कम मुश्किल इकोसिस्टम में ही फले फूले.

प्रागैतिहासिक काल में जीवन के प्रमुख ठिकानों में से एक है आधुनिक युग में तंजानिया का ओल्दुवाई गॉर्ज. इसे रिहाइश के लिहाज से आसान ठिकानों में से एक माना गया. हालांकि पूर्वी अफ्रीका के ग्रेट रिफ्ट वैली में इसकी तीखी ढलान वाली घाटियों ने मानव के विकास में अहम भूमिका निभाई है. कम्युनिकेशंस एर्थ एंड एवायरनमेंट जर्नल में प्रकाशित रिसर्च रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वास्तव में ये रेगिस्तानी घास के मैदान थे.

ऑस्ट्रेलोपिथेकस भी नहीं खाते थे मांस तो फिर शुरू किसने किया

सूखी जलवायु के लिए तैयार आदिमानव

पुरातात्विक, भौगोलिक और पुरातात्विक जलवायु से आंकड़े जुटाने के बाद रिसर्चरों की अंतरराष्ट्रीय टीम ने सालों की मेहनत से गॉर्ज यानी नदीघाटी के इकोसिस्टम को फिर से तैयार करने में सफलता पाई है.

जीवाश्म में तब्दील हो चुके एफेद्रा झाड़ी के पराग और मिट्टी में जंगल की पुरानी आग की निशानियों से पता चला है कि इस जगह पर करीब 10 से 12 लाख साल के बीच भयानक सूखा था. 

तंजानिया को ओल्दुवाइ गॉर्ज
आधुनिक तंजानिया के इस इलाके में प्रागैतिहासिक जीवन के कई प्रमाण मिले हैंतस्वीर: Jenny Pate/robertharding/picture alliance

गॉर्ज में एनगाजी नानयोरी से जमा हुए नमूने बताते हैं कि होमो इरेक्टस ने इस कठिन वातावरण के लिए खुद को अनुकूलित कर लिया था. मर्केडर फ्लोरिन का कहना है, नदियों के संगम जहां पानी और भोजन के स्रोत के बारे में ज्यादा जानकारी होती है, वहां इकोलॉजी से जुड़े मुख्य बिंदुओं पर ध्यान दे कर" होमो इरेक्टस ने यहां रहने के लिए अपने को ढाल लिया.

अफ्रीका से निकल कर पहली बार कहां गए हमारे प्राचीन पूर्वज

उन्होंने यह भी कहा, "बार बार इन बिंदुओं से फायदा उठाने की क्षमता... और अपने व्यवहार को चरम पर्यावरणीय स्थितियों के लिए तैयार करना दिखाता है कि उनमें लचीलापन और रणनीतिक योजना बनाने की खूबी जितना पहले सोची गई थी उनसे ज्यादा है." 

इन जगहों पर कई उन्नत औजार भी मिले हैं, जैसे हत्थे वाली कुल्हाड़ी, कुदाल और मांस काटने के चाकू. इनसे पता चलता है कि होमो इरेक्टस ने जानवरों के मांस को कैसे काटना और उपयोग में लाना है यह भी सीख लिया था. गाय, हिप्पोपोटैमस, मगरमच्छ, हिरण जैसे जानवरों की हड्डियां मिली हैं जिन पर काटने के निशान हैं. इसका मतलब है कि उनकी खाल उतारी गई और उनकी अस्थि मज्जा को निकाला गया.

संसाधनों को उचित उपयोग

मर्केडर फ्लोरिन का कहना है, "यह सब बताते हैं कि उन्होंने संसाधनों का उचित इस्तेमाल किया और सूखे वातावरण में रहने की चुनौतियों के लिए खुद को तैयार किया, जहां संसाधन कम थे और उनका पूरा इस्तेमाल जरूरी था."

रिसर्चरों का दवा है कि होमो इरेक्टस लंबे समय तक चरम वातावरणीय स्थितियों में रहने के काबिल बना था. खासतौर से ऐसी जगहें जहां एक तरफ भोजन की कमी और आने जाने की दिक्कतें थी तो दूसरी तरफ पौधों का जीवन भी बहुत छोटा या फिर बहुत ज्यादा लंबा था. इनके अलावा तापमान और आर्द्रता शीर्ष पर थे और बहुत ज्यादा चलना पड़ता था.

मर्केडर फ्लोरिन के मुताबिक इस अनुकूलन ने होमो इरेक्टस के पूरे अफ्रीका और उसी तरह के सूखे और गर्म एशियाई वातावरण में रहने की संभावना का विस्तार किया.  

एनआर/आरआर (एएफपी)