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राजनीतिकंबोडिया

38 साल के बाद अब पद छोड़ेंगे कंबोडिया के प्रधानमंत्री

२६ जुलाई २०२३

दुनिया में सबसे ज्यादा वक्त तक सरकार में बने रहने वाले नेताओं में से एक हुन सेन ने बुधवार को कहा कि वह त्यागपत्र देकर सत्ता अपने बड़े बेटे को देंगे. लगभग चार दशकों तक चला उनका कार्यकाल विवादों से घिरा रहा है.

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23 जुलाई को हुए मतदान में वोट देने की तैयारी में हुन सेन
हुन सेन ने साफ किया है कि वह प्रधानमंत्री पद छोड़ेंगे लेकिन इससे उनका दखल खत्म नहीं होगातस्वीर: Tetsuya Mitzuno/Yomiuri Shimbun via AP/picture alliance

1985 में सत्ता में आने के बाद हुन सेन अपने खिलाफ उठने वाली आवाजों को दबाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. फिर चाहे वह विपक्षी दलों पर प्रतिबंध रहा हो या फिर विरोधियों को भागने पर मजबूर करना, उन्होने बोलने की आजादी को खत्म कर दिया. उनके दल कंबोडियन पीपल्स पार्टी (सीपीपी) ने रविवार को चुनावों में जबरदस्त जीत हासिल की लेकिन सामने कोई विपक्ष था ही नहीं. 82 फीसदी वोट के साथ पार्टी फिर सत्ता में होगी और नेता का पद हुन सेन के बड़े बेटे की झोली में होगा. आलोचक इसकी तुलना उत्तरी कोरिया से कर रहे हैं.

बेमतलब चुनाव

सरकारी टीवी पर एक विशेष प्रसारण में 70 बरस के प्रधानमंत्री ने कहा, "मैं लोगों से अपील करता हूं कि वह इस बात को समझें कि अब मैं पीएम नहीं बना रहूंगा." चुनावों में हुन सेन की पार्टी को टक्कर देने वाले एकमात्र नेता, कैंडेललाइट पार्टी के उम्मीदवार को चुनाव अधिकारियों ने वोटिंग से पहले अयोग्य घोषित कर दिया था. हुन सेन के 45 साल के बेटे हुन मैने को अब 22 अगस्त को प्रधानमंत्री बनाया जाएगा.

कैंडेललाइट पार्टी के समर्थक झंडे के साथ
कंबोडिया की कैंडेललाइट पार्टी के एकमात्र भरोसेमंद उम्मीदवार को अयोग्य घोषित कर दिया गया तस्वीर: Heng Sinith/AP/picture alliance

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रविवार को हुई वोटिंग में 84.6 फीसदी वोट पड़ने को सीपीपी ने देश में लोकतंत्र की परिपक्वता का सुबूत बताया लेकिन अमेरिका और यूरोपियन यूनियन समेत पश्चिमी देशों ने इसकी आलोचना की और चुनावों को अनुचित कहा है. इन चुनावों में प्रचार के दौरान हुन मैने ने बढ़ चढ़ कर हिस्सेदारी की और सत्ता सौंपने का यह काम पिछले डेढ़ साल से चल रहा है. इसका मतलब यह नहीं है कि हुन सेन राजनीति छोड़कर कहीं चले जाएंगे. उन्होंने साफ किया है कि वो पद छोड़ेंगे लेकिन इससे उनका दखल खत्म नहीं होगा.  बुधवार को टेलीविजन पर दिए बयान में उन्होने यह कहा कि वह सेनेट के अध्यक्ष बनेंगे और राजा की गैरमौजूदगी में राज्यप्रमुख का पद संभालेंगे. 

एक चुनावी रैली में हुन मैने
पिता के सत्ता से हटने के बाद प्रधानमंत्री का पद हुन सेन के बड़े बेटे की झोली में होगा जिन्होने चुनाव प्रचार में बढ़-चढ़ के हिस्सा लियातस्वीर: Heng Sinith/AP Photo/pictrue alliance

हुन सेन का कार्यकाल

अपने कार्यकाल के दौरान हुन सेन ने चीन के साथ नजदीकियां बढ़ाईं. नतीजा यह रहा कि चीन ने कंबोडिया में भारी निवेश और बुनियादी ढांचे से जुड़ी परियोजनाएं लगाईं. इसमें नौसैनिक अड्डा भी शामिल है जिस पर अमेरिका को आपत्तियां हैं. चीन ने रविवार को हुए चुनाव का स्वागत किया. खुद राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने निजी संदेश में हुन सेन को बधाई दी.

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हालांकि चीन से आए बेशुमार पैसे ने बहुत सारी दिक्कतें भी पैदा की हैं जैसे अचानक खुले कसीनो और ऑनलाइन धोखाधड़ी के बढ़ते मामले. हुन सेन के कार्यकाल में पर्यावरण को भयंकर नुकसान भी पहुंचा है. इसके साथ ही मानवाधिकार समूह कहते रहे हैं कि हुन सेन न्यायिक प्रणाली का दुरुपयोग करके विपक्षी आवाजों को दबाते रहे हैं.

एसबी/एनआर (एएफपी)