यूं हुई थी "डॉट कॉम" की शुरुआत
१५ मार्च २०२१इंटरनेट की दुनिया में अमेरिका के सिम्बॉलिक्स कंप्यूटर ने पहली बार डॉट कॉम डोमेन नेम को रजिस्टर किया. कॉम कमर्शियल यानी व्यावसायिक इस शब्द से आया है. डॉट कॉम डोमेन है. अगर सीधी भाषा में कहा जाए तो कहीं पहुंचने का पता.
सिम्बॉलिक डॉट कॉम के बाद 1985 में ही पांच और कंपनियों ने डॉट कॉम डोमेन रजिस्टर किए. इसके बाद 1986 में पंजीकरण की बाढ़ आ गई. इसके बाद 2000 के शुरुआती दौर में लाखों डोमेन नेम रजिस्टर किए गए. साथ ही अलग अलग देशों ने अपनी पहचान इस एड्रेस में जोड़ दी. मतलब डॉट कॉम की जगह ब्रिटेन की वेबसाइट डॉट यूके हो गई, तो भारत में डॉट इन और जर्मनी में डॉट डीई.
जनवरी 1985 में डोमेन सिस्टम शुरू किया गया, जिसके बाद मार्च में पहली बार डॉट कॉम से शुरुआत हुई. इसके पहले आम तौर पर अमेरिका का रक्षा विभाग इंटरनेट की तरह की सेवा इस्तेमाल करता था. पहली जनवरी 1993 को अमेरिका के नेशनल साइंस फाउंडेशन ने डॉट कॉम की देख रेख की जिम्मेदारी संभाली. 1995 में इसके सालाना पंजीकरण की फीस 50 डॉलर थी.
बिलकुल शुरू में डॉट कॉम सिर्फ व्यावसायिक साइट्स के लिए इस्तेमाल होते थे लेकिन 1990 के दशक में इंटरनेट की लोकप्रियता बढ़ने के साथ डॉट कॉम को सार्वजनिक कर दिया गया मतलब कोई भी किसी भी नाम को इसमें रजिस्टर करा सकता था.
1997 से 2001 के समय को डॉट कॉम बबल के नाम से जाना जाता है. इस समय में डॉट कॉम बहुत तेजी से फैल रहा था. 2001 में बिजनेस के लिए कॉम की जगह बिज का इस्तेमाल शुरू किया गया लेकिन तब तक लोगों और बाजार के दिमाग में डॉट कॉम जगह बना चुका था.
माइक्रोसॉफ्ट ने 1991 में अपना डोमेन नेम रजिस्टर किया और ऐप्पल ने 19 फरवरी 1987 में पंजीकरण किया. कई छोटे छोटे डोमेन नेम्स को बड़ी कंपनियों ने लाखों डॉलर्स में खरीदा है. जैसे भारतीय सबीर भाटिया की बनाई हुई हॉटमेल को माइक्रोसॉफ्ट ने 40 करोड़ डॉलर में खरीदा था, तो ईबे ने स्काइप को ढाई अरब डॉलर में खरीदा.