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कानून और न्यायभारत

मुस्लिमों की सार्वजनिक पुलिस पिटाई पर हाई कोर्ट का नोटिस

आमिर अंसारी
२१ अक्टूबर २०२२

पुलिस द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय के मुल्जिमों की सरेआम पिटाई के मामले में गुजरात हाई कोर्ट ने पुलिस और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है.

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तस्वीर: fikmik/YAY Images/IMAGO

गुजरात हाई कोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार, अहमदाबाद रेंज के पुलिस महानिरीक्षक, खेड़ा जिले के पुलिस अधीक्षक और 13 स्थानीय पुलिस कर्मियों को उंधेला गांव में पुलिस द्वारा मुसलमानों की सार्वजनिक पिटाई की शिकायत पर जवाब मांगा है.

खेड़ा में 3 अक्टूबर को एक गरबा कार्यक्रम में पथराव की एक कथित घटना हुई थी. इसके बाद पुलिस ने गरबा आयोजन पर पथराव के आरोपियों को हिरासत में लिया था. आरोप है कि इसके बाद पथराव के आरोपियों को पुलिस ने गांव के चौराहे पर सार्वजनिक रूप से पिटाई की थी और उनसे सबके सामने माफी मंगवाया था. जिसके बाद इस मामले को लेकर काफी बवाल हुआ था.

गुजरात: गरबा पर पथराव के कथित आरोपियों की सरेआम पिटाई

पुलिस द्वारा सार्वजनिक रूप से पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था और पुलिस की कार्यवाही की आलोचना मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भी की थी.

अब इस मामले में गुजरात हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस आशुतोष जे शास्त्री की बेंच ने राज्य सरकार और पुलिस को नोटिस जारी किया है. पुलिस द्वारा पिटाई के पांच पीड़ितों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी.

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याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय उन दिशा निर्देशों का उल्लंघन किया जिसमें कहा गया है कि लोगों के साथ पुलिस हिरासत में किसी तरह बर्ताव किया जाना चाहिए.

याचिकाकर्ताओं ने पुलिस द्वारा प्रताड़ना लिए मुआवजे की मांग की है. याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील आईएच सैयद ने कोर्ट को बताया कि 3 अक्टूबर को पथराव की घटना हुई थी जिसके बाद पुलिस ने 40 लोगों को हिरासत में लिया था.

उसके अगले दिन छह लोगों को पुलिस गांव के चौक पर लेकर आई और उन्हें एक-एक कर सार्वजनिक रूप से खंभे से लगाकर पिटाई की. वकील ने कोर्ट को बताया कि सिविल ड्रेस में मौजूद पुलिसकर्मी ने पिटाई का वीडियो बनाया और उसे साझा किया गया.

हाई कोर्ट ने नोटिस जारी कर कथित रूप से पिटाई के आरोपी पुलिसकर्मियों को नोटिस जारी करते हुए 12 दिसंबर जवाब देने को कहा है.