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ग्रेटा थुनबर्ग एक साल की "छुट्टी" के बाद लौटी स्कूल

२५ अगस्त २०२०

स्वीडन की जानी मानी युवा पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थुनबर्ग एक बार फिर स्कूल लौटी है. पिछले एक साल से वह पर्यावरण को बचाने की मुहीम के लिए स्कूल से दूर रही.

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Deutschland Berlin Treffen Greta Thunberg Angela Merkel
तस्वीर: picture-alliance/dpa/K. Niefeld

स्कूल से एक साल की लंबी छुट्टी. यह किसी भी बच्चे के लिए सपना हो सकता है. ग्रेटा थुनबर्ग भी अपना सपना साकार करने के लिए ही स्कूल से दूर रही. अगस्त 2019 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के क्लाइमेट समिट में हिस्सा लेने के लिए स्वीडन से न्यूयॉर्क तक का सफर नाव से तय किया. उसके बाद से वह दुनिया भर के स्कूली बच्चों में जलवायु संकट के प्रति जागरूकता फैलाने के काम में लगी रही. क्लाइमेट समिट में दिए गए भाषण में ग्रेटा के शब्द "हाओ डेयर यू" ने खूब सुर्खियां बटोरी. इन शब्दों के साथ उन्होंने विश्व नेताओं को अपना गुस्सा दिखाया और सवाल किया कि मुनाफे के लालच में उन्होंने बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने की हिम्मत कैसे की.

अब अगस्त 2020 में कोरोना संकट के बीच 17 साल की ग्रेटा एक बार फिर स्कूल लौट रही है. ट्विटर पर अपनी मुस्कुराती हुई तस्वीर पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा, "स्कूल से मेरा गैप ईयर अब खत्म हो गया है और आखिरकार स्कूल में फिर से आ कर बहुत अच्छा लग रहा है." इस तस्वीर में ग्रेटा को स्कूल बैग टांगे और हाथ साइकल पर रखे देखा जा सकता है. हालांकि स्टॉकहोल्म के स्कूल में उनके साथी पिछले हफ्ते ही गर्मियों की छुट्टियां खत्म होने के बाद स्कूल लौट आए थे लेकिन ग्रेटा को इसमें थोड़ी देरी हुई. ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले हफ्ते वह जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल से मिलने बर्लिन आई हुई थी. कोरोना काल के बीच भी ग्रेटा ने अपनी मुहीम जारी रखी है. मैर्केल से मुलाकात के अलावा वह बर्लिन में एक "क्लाइमेट स्ट्राइक" का नेतृत्व भी कर रही थी.

स्कूल के पहले दिन ग्रेटा ने भारत का भी जिक्र किया है. जेईई की परीक्षा को ले कर भारत में चल रहे विवाद पर उन्होंने ट्वीट किया, "यह बहुत ही गलत है कि भारत में छात्रों को कोविड-19 महामारी के दौरान परिक्षा के लिए आने को कहा जा रहा है. साथ ही लाखों लोग बाढ़ से भी प्रभावित हैं. मैं जेईई और नीट परीक्षा को स्थगित करने की उनकी मांग का समर्थन करती हूं."

ना केवल ग्रेटा खुद स्कूल से दूर रही, बल्कि इस दौरान उन्होंने दुनिया भर के स्कूली बच्चों को हफ्ते में एक बार स्कूल से निकल कर पर्यावरण के लिए आवाज उठाने को भी कहा. "फ्राइडेज फॉर फ्यूचर" अभियान के तहत पहली बार अगस्त 2018 में उन्होंने स्कूल में बच्चों की स्ट्राइक कराई. धीरे धीरे यह संदेश दुनिया भर में फैला और ना केवल यूरोप, बल्कि अमेरिका और यहां तक कि भारत में भी शुक्रवार को स्कूली बच्चों की रैलियां निकलने लगीं. पिछले एक साल में वह दुनिया के कई देश घूम चुकी हैं, मैर्केल और बराक ओबामा समेत कई विश्व नेताओं से मिल चुकी हैं और साथ ही इस दौरान वे नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित भी की जा चुकी हैं.

आईबी/आरपी (डीपीए, एएफपी)

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