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अपराधजर्मनी

जर्मनीः चाकू से जुड़े अपराध रोकने के नये उपाय कारगर होंगे?

बेन नाइट
१८ अगस्त २०२४

जर्मन सरकार चाकू लेकर चलने वालों के खिलाफ सख्त कानून लाने की तैयारी में है. बीते कुछ समय से जर्मनी में चाकू मारने की घटनाएं बढ़ गई हैं. हालांकि विपक्षी दल सरकार की योजना पर सवाल उठा रहे हैं.

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जर्मनी में जिन चाकुओं को लेकर चलने पर पाबंदी है उन्हें दिखाती पुलिस की एक प्रदर्शनी
जर्मनी में चाकू को लेकर कानून सख्त बनाने की तैयारी हो रही हैतस्वीर: Jochen Tack/picture alliance

जर्मनी की पुलिस ने चाकू मारने की घटनाएं बढ़ने की बात कही है, खासतौर से ट्रेन स्टेशनों के आसपास. हालांकि ऐसी घटनाओं के आंकड़ों पर भी विवाद है. इस बीच जर्मनी में आंतरिक मामलों की मंत्री नैंसी फेजर ने कानून बदलने की मांग उठाई है. उनका कहना है कि 6 सेंटीमीटर से लंबा कोई भी ब्लेड सार्वजनिक जगहों पर ले कर नहीं जाया जाना चाहिए. फिलहाल जर्मनी में यह रोक 12 सेंटीमीटर से लंबे ब्लेड पर है. इसमें रसोई में इस्तेमाल होने वाले चाकुओं को छूट देने की बात कही गई है, बशर्ते कि वो अपनी ओरिजनल पैकिंग में हों. स्विचब्लेड पर भी पाबंदी लगाई जाएगी.

अगस्त की शुरुआत में सरकारी प्रसारक एआरडी से बातचीत में फेजर ने कहा, "चाकुओं का इस्तेमाल हिंसा की क्रूर हरकतों के लिए किया जा रहा है जिनसे गंभीर नुकसान या मौत हो सकती है. हमें सख्त हथियार कानून और कठोर नियंत्रण की जरूरत है."

पुलिस की ओर से दर्ज आंकड़ों के सामने आने के बाद सरकार ने यह घोषणा की है. पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि चाकू मार कर शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचाने की घटनाएं साल दर साल के आधार पर 5.6 फीसदी बढ़ी हैं. 2023 में कुल 8,951 ऐसे मामले जर्मनी में दर्ज हुए हैं. जर्मनी के हवाई अड्डों और प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर सुरक्षा की जिम्मेदारी संघीय पुलिस की होती है. पुलिस का कहना है किस्टेशनों के आस पास चाकू से हमलों की घटनाएं ज्यादा बढ़ रही हैं. इस साल के पहले छह महीनों में ऐसी 430 घटनाएं दर्ज हो चुकी हैं.  

कोलोन में पुलिस थाने की मेज पर रखे अलग अलग तरह के चाकू जिन्हें लेकर चलना प्रतिबंधित है
जर्मनी में बीते कुछ समय से चाकू से होने वाले अपराधों की संख्या बढ़ी हैतस्वीर: Thomas Banneyer/dpa/picture alliance

आंकड़ों पर सवाल

हालांकि पुलिस ने इन आंकड़ों को दर्ज करने का काम सिर्फ 2023 से शुरू किया. इसके अलावा अपराधविज्ञानी इन आंकड़ों को किसी ट्रेंड से जोड़ कर देखने पर अलग अलग राय दे रहे हैं. जर्मन अपराधविज्ञानी डिर्क बायर ज्यूरिष के इंस्टिट्यूट ऑफ डेलिंक्वेंसी एंड क्राइम प्रिवेंशन से जुड़े हैं. उनका कहा है कि जर्मनी के पास चाकू के अपराध से जुड़े आंकड़े नहीं हैं.

बायर ने डीडब्ल्यू से कहा, "पुलिस चाकू से होने वाले हमले और चाकू से खतरा दोनों को शामिल करती है, तो वास्तव में यह बहुत अस्पष्ट है. इसके अलावा यह हाल ही में दिखना शुरू हुआ है, तो जो संख्याएं दिख रही हैं वो बहुत भरोसेमंद नहीं हैं.

हालांकि जर्मनी की धुर दक्षिणपंथी पार्टीअल्टरनेटिव फॉर डॉयचलैंड (एएफडी) ने इन आंकड़ों का इस्तेमाल शुरू कर दिया है और पार्टी के नेता इसके लिए देश की "प्रवासन नीति" पर आरोप लगाते हैं. एएफडी की सह-नेता एलिस वाइडल ने इसी साल जुलाई में सरकारी प्रसारक जेडडीएफ से कहा, "हमारे यहां विदेशी अपराध, युवा अपराध, प्रवासी अपराध की बाढ़ आ गई है क्योंकि हमारी सीमाएं खुली हुई हैं."

जर्मनी में चाकू लिए हमलावर की पुलिस कार्रवाई में मौत

इस बीच जर्मन मीडिया की दिलचस्पी पिछले कुछ महीनों में चाकू को लेकर काफी ज्यादा बढ़ गई है. मई महीने में एक अफगानी शरणार्थी ने मानहाइम में चाकू मार कर एक पुलिसकर्मी की हत्या कर दी. यह एक इस्लाम विरोधी कार्यकर्ता पर इस्लाम से प्रेरित हमले जैसा लग रहा था.

हालांकि अपराधविज्ञानी हिंसक अपराधों और प्रवासी पृष्ठभूमि के बीच कोई कड़ी नहीं देखते. बायर की दलील है भले ही पुलिस के चाकू से जुड़े आंकड़ों में गैर जर्मन असमान रूप से दिखाए गए हैं, लेकिन यह अपने आप में कोई मददगार अंतर्दृष्टि नहीं है."

बायर का कहना है, "अगर गैर जर्मन समूह को करीब से देखें, तो हमें अलग अलग लोगों के समूह दिखेंगे, उनमें पूर्वी यूरोपीय, अफ्रीकी, हमारे पास दक्षिण अमेरिकी हैं, अरब पृष्ठभूमि के लोग हैं. ये सारी संस्कृतियां काफी अलग हैं, तो हम यह नहीं कह सकते है कि यह कोई खास चाकू संस्कृति से या फिर किसी खास जातीय पृष्ठभूमि से जुड़ा है क्योंकि चाकू लेकर चलने से इनका कोई सीधा संबंध नहीं हैं."

ताईवान में है तोप के गोलों से चाकू बनाने वाला लुहार

बायर ने यह भी कहा, "वास्तव में वो किस देश से आते हैं इसकी बजाय किन परिस्थितियों में वो रहते हैं, इसके बारे में बात करनी चाहिए. किन दशाओं में वो पले बढ़े? किस तरह के दोस्तों के बीच रहे कि उन्हें चाकू लेकर चलना जरूरी लगा? उनकी पढ़ाई लिखाई कितनी थी? हमें उनकी सामाजिक परिस्थितियों को देखना चाहिए और राष्ट्रीयता में नहीं फंसना चाहिए."

चाकू के अपराधों पर नियंत्रण कैसे हो

फेजर के कानूनों पर बायर को संदेह है कि इनसे लंबे समय में कोई बड़ा फर्क आएगा, हालांकि वो यह जरूर मानते हैं कि कम से कम यह जर्मनी के कानून को सरल करेगा, जो फिलहाल बहुत जटिल है. अभी तो हर राज्य में अलग कानून है कि कौन सा चाकू प्रतिबंधित है. 

बायर का कहना है, "इसे अच्छा संकेत कहा जा सकता है, लेकिन अगर चाकू के अपराधों को रोकने के लिहाज से फायदा देखें तो मैं कहूंगा कि कोई फायदा नहीं होगा." बायर की दलील है कि जो लोग खतरनाक चाकू लेकर चलते हैं वो ऐसा करना जारी रखेंगे चाहे यह कानूनी हो या नहीं, इसलिए ऐसे कानून से फायदा नहीं होगा.

ऐसे में यह बड़ा सवाल है कि आखिर पुलिस संभावित हमलों को रोके कैसे. जर्मन पुलिस संघ जीडीपी के प्रमुख लार्स वेंडलैंड ने फेजर के प्रस्तावों का सैद्धांतिक रूप से स्वागत किया है, हालांकि उनकी दलील है कि पुलिस के प्रभावी रूप से काम करने के लिए कानून में बदलाव के अलावा और भी बहुत कुछ करना होगा. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "कानून को सख्त बनाने का क्या मतलब है अगर आप उसे लागू ना करा सकें. हमें यह भी देखना होगा कि क्या हमारे पास इतने लोग और संसाधन हैं ताकि कानून पर अमल हो सके."

वेंडलैंड का मानना है कि फेशियल रिकॉग्निशन के जरिए निगरानी और पुलिस को "नो वेपंस जोन" में तलाशी का अधिकार देना एक अच्छी शुरुआत हो सकती है. हालांकि इन उपायों का जिक्र फेजर ने अब तक नहीं किया है और वह उनके अधिकार में है इसे लेकर भी संदेह है. वास्तव में वेपंस जोन तय करना स्थानीय सरकारों का काम है.