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अपराधजर्मनी

बंदूक का लाइसेंस ले रहे हैं जर्मनी में दक्षिणपंथी कट्टरपंथी

३ फ़रवरी २०२१

जर्मनी में विदेशी मूल के लोगों से नफरत करने वाले 1200 से ज्यादा धुर दक्षिणपंथियों के पास हथियारों का लाइसेंस हैं. कुछ कट्टरपंथी तो विदेशों में हथियार चलाने की ट्रेनिंग भी ले चुके हैं.

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जर्मनी में हथियार रखने वालों में नव नाजियों की संख्या अच्छी खासी हैतस्वीर: Silas Stein/dpa/picture alliance

जर्मनी में घरेलू खुफिया एजेंसी बीएफवी, जाने पहचाने और संदिग्ध कट्टर दक्षिणपंथियों पर नजर रखती है. इसी दौरान एजेंसी को दक्षिणपंथी कट्टरपंथियों के पास मौजूद हथियारों का भी पता चला. एजेंसी के मुताबिक दिसंबर 2020 तक 1,203 लोगों के पास लाइसेंसी हथियार थे.

जर्मनी के गृह मंत्रालय द्वारा जारी किए गए दिसंबर 2019 के आंकड़ों में भी ऐसे 528 हथियारधारक थे, जो दक्षिणपंथी संगठन "राइषबुर्गर" के सदस्य हैं. ये लोग जर्मन के लोकतांत्रिक ढांचे और संविधान को खारिज करते हैं.

विदेशों में हथियार चलाने की प्रैक्टिस

जांच में यह भी पता चला कि 2019 की शुरुआत से 2020 के अंत तक कट्टर दक्षिणपंथियों ने शूटिंग के अभ्यास भी किए. ऐसे दो तिहाई अभ्यास जर्मनी के बाहर यूरोप के दूसरे हिस्सों में किए गए. हालांकि जर्मनी की संघीय पुलिस का हवाला देते हुए मंत्रालय ने कहा कि शूटिंग रेंज का इस्तेमाल करना "आपराधिक जुर्म नहीं है."

संसद में वामपंथी पार्टी डी लिंके के सवालों का जवाब देते हुए गृह मंत्रालय ने कहा कि 2019 में बंदूकधारी दक्षिणपंथियों की संख्या कितनी थीं, इसकी ठोस जानकारी फिलहाल उपलब्ध नहीं हैं.

Martina Renner
वामपंथी पार्टी डी लिंके की नेता मार्टिना रेनेरतस्वीर: picture-alliance/dpa/B. von Jutrczenka

नवनाजियों और नस्लभेदियों के पास हथियार

दिसंबर 2019 में जर्मन संसद में गन लॉ पर बहस के दौरान वामपंथी पार्टी की आतंरिक मामलों की प्रतिनिधि मार्टिना रेनेर ने देश में हथियारबंद नवनाजियों की संख्या 700 से ज्यादा होने के अनुमान लगाया. इसके बाद सितंबर 2020 में घरेलू खुफिया एजेंसी ने एक खास रिपोर्ट दी, जिसमें एजेंसी ने अंदाज से कहा कि जर्मनी में हिंसक रुझान रखने वाले 13,000 से ज्यादा दक्षिणपंथी कट्टरपंथी हैं. एजेंसी ने यह भी कहा कि इस तथाकथित "न्यू राइट" धड़े में हथियारों के प्रति भी काफी दिलचस्पी है.

जर्मनी में आम लोगों के लिए दो तरह के हथियार लाइसेंस हैं. एक है, पेशेवर शिकारियों और स्पोर्ट्स शूटर्स के लिए. दूसरा, बॉडीगार्डों के लिए, जिन्हें सुरक्षा के लिहाज से सार्वजनिक जीवन में हथियार रखने की अनुमति दी जाती है. हाल ही कानूनों में बदलाव कर शिकारियों और खिलाड़ियों वाले लाइसेंस के प्रावधान कड़े किए गए हैं.

कट्टरपंथी दक्षिणपंथियों से बढ़ता खतरा

आतंकवाद के मुद्दों पर संसदीय आयोगों में शामिल रेनेर के मुताबिक, नया डाटा साबित करता है कि "नवनाजियों और नस्लभेदियों से उपजने वाला खतरा बढ़ता जा रहा है." निजी तौर पर भी अति दक्षिणपंथियों के खतरे का सामना करने वाली रेनेर ने कहा, अंदाजे के मुताबिक, खुफिया सेवा को शामिल करने से भी दक्षिणपंथी परिदृश्य तक हथियार पहुंचने पर असरदार रोक नहीं लगी. दिसंबर में संसद के सामने रखे गए सवालों के जरिए रेनेर और लेफ्ट पार्टी के अन्य सदस्यों ने बीते दो साल के कानूनी और गैरकानूनी हथियारों के इस्तेमाल से जुड़ी बातें भी पूछीं.

जर्मनी की संघीय पुलिस के मुताबिक 2019 में अति दक्षिणपंथियों से जुड़ी हिंसा की 176 घटनाएं सामने आईं. सबसे ज्यादा सनसनीखेज वारदात हेस्से प्रांत में कासेल काउंटी के प्रशासक वाल्टर ल्युब्के की हत्या थी. हत्याकांड के दोषी नवनाजी को आजीवन कैद की सजा सुनाई गई. वहीं दूसरे अभियुक्त को गैरकानूनी पिस्तौल रखने के आरोप में सजा दी गई. दोनों दोषियों ने कासेल शहर के पास के दो क्लबों में हैंडगन और लंबी बैरल वाली बंदूकों के फायरिंग का अभ्यास किया था. यह जानकारियां संसद में दिए गए जवाब में सामने आई हैं.

Bildergalerie | Bild des Jahres 2020 | Gedenken an den Anschlag in Hanau
हनाऊ शहर में हुए नस्लभेदी हमले में मारे गए लोगतस्वीर: Ralph Peters/imago images

शरणार्थियों के सामने संकट?

हनाऊ शहर में हुए नस्लभेदी हमले के दोषी ने भी 2019 में स्लोवाकिया की शूटिंग रेंजों में ट्रेनिंग की थी. उसे दो बार ट्रेनिंग सेंटर में एडमिशन नहीं दिया गया. तीसरी बार उसने खुद की ट्रेनिंग का तरीका खोज लिया. ट्रेनिंग के बाद टोबियास आर नाम के उस शख्स ने फरवरी 2020 में हनाऊ शहर में एक कैफे बार को निशाना बनाया. हमले में नौ लोग मारे गए.

क्या ऐसे हथियारों शरणार्थियों के हॉस्टलों के आस पास इस्तेमाल हो रहे हैं? इस सवाल का जबाव देते हुए गृह मंत्रालय ने कहा कि 2019 में धुर दक्षिणपंथी हिंसा के 24 मामले दर्ज किए गए. ज्यादातर मामलों में एयर और गैस से चलने वाली बंदूकों और वॉर्निंग पिस्टलों का इस्तेमाल किया गया. 2020 में ऐसे सात मामले दर्ज किए गए.

ओएसजे/एमजे (डीपीए, ईपीडी)

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