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33 साल बाद भी 'परफेक्ट' नहीं है जर्मन एकीकरण

३ अक्टूबर २०२३

दो टुकड़ों में बंटे जर्मनी को एक देश बने 33 साल हो चुके हैं. लेकिन क्या पूरब और पश्चिम एक देश के तौर पर घुलमिल पाए हैं?

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जर्मन एकीकरण के 33 साल
तस्वीर: Sebastian Willnow/dpa/picture alliance

बर्लिन में दो देशों को विभाजित करने वाली दीवार को गिरे तीन दशक से ज्यादा हो चुके हैं. जर्मनी राजनीतिक रूप से एक है, लेकिन विभाजित करने वाली कुछ दरारें बरकरार हैं. यह बात पूर्वी जर्मनी के एक मंत्री ने डीडब्ल्यू से कही. कार्स्टन श्नाइडर के मुताबिक लोगों के जेहन में अब भी एकीकरण को पूरी तरह घुलना है.

आप्रवासन पर अब भी अपने मंत्र पर कायम हैं मैर्केल

श्नाइडर जर्मन सरकार में पूर्वी जर्मनी के कमिश्नर हैं. 3 अक्टूबर को जर्मन एकीकरण की 33वीं वर्षगांठ पर उन्होंने इससे जुड़ी एक रिपोर्ट रिलीज की. रिपोर्ट जर्मन एकता के बारे में है. इसी विषय पर उन्होंने डीडब्ल्यू से बात भी की है.

रिपोर्ट पेश करते कार्स्टन श्नाइडर
रिपोर्ट पेश करते कार्स्टन श्नाइडरतस्वीर: Michael Kappeler/picture alliance/dpa

पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी में संपत्ति की असमानता?

श्नाइडर के मुताबिक 2023 में पूरे जर्मनी में पेंशन के लेवल को एडजस्ट कर बराबर किया गया. इसे वह इस साल की एक अहम कामयाबी मानते हैं. पूर्वी कम्युनिस्ट जर्मनी या जर्मन डेमोक्रैटिक रिपब्लिक (जीडीआर) में रहने वाले लोग लंबे समय से असमान पेंशन से परेशान थे.

संघीय रूप से वेतन की बढ़त ने भी जर्मनी के राज्यों में कर्मचारियों को फायदा पहुंचाया. लेकिन क्या जर्मनी के पूर्वी प्रांत इसमें पिछड़ गए? श्नाइडर कहते हैं, "मजदूरी और संपत्ति में अब भी अंतर है."

2022 में पश्चिमी जर्मनी में औसत वार्षिक वेतन पूरब के मुकाबले 12,000 यूरो से भी ज्यादा था. बचत के आंकड़े असमानता की और स्याह तस्वीर पेश करते हैं. 2021 में पश्चिमी जर्मनी में औसत बचत, पूर्वी हिस्से के मुकाबले तीन गुना ज्यादा था. यह आंकड़े जर्मनी के संघीय बैंक ने जारी किए हैं.

पुराने पूर्वी जर्मनी में आर्थिक बदलाव

श्नाइडर का अनुमान है कि आने वाले दशकों में पूर्वी जर्मनी में बढ़िया आर्थिक विकास होगा. वह सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के केंद्र के रूप में निवेश खींचेगा. दिग्गज अमेरिकी टेक कंपनी इंटेल माग्देबुर्ग में 30 अरब डॉलर की लागत वाली चिप फैक्ट्री बनाने जा रही है. माग्देबुर्ग, सैक्सोनी अनहाल्ट प्रांत की राजधानी है. जर्मनी के इतिहास में यह सबसे बड़ा फॉरेन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट है.

श्नाइडर कहते हैं, "पूर्वी जर्मनी का इलाका अब दूरी को पाट रहा है, अगले दशकों में उद्योग, नौकरियों के लिहाज से, एनर्जी ट्रांजिशन सिर्फ पूर्वी जर्मनी में असरदार हो सकता है क्योंकि अक्षय ऊर्जा का उत्पादन करने की वाली मुख्य जगहें हमारे यहां ही हैं."

विदेशों से कामगारों को जर्मन गांवों में बुलाने की चुनौती

हालांकि आने वाले दशकों में पूरब में नौकरी करने लायक उम्र वाले लोगों की संख्या घटने का अनुमान है. यह आंकड़े जर्मनी के संघीय सांख्यिकी विभाग ने जारी किए हैं. विभाग के मुताबिक, 2022 के अंत में पूरे जर्मनी में 18 से 64 साल की उम्र वाले 5.14 करोड़ लोग थे. इनमें से सिर्फ 72 लाख पूर्वी जर्मनी में थे. इसमें बर्लिन के लोग शामिल नहीं हैं.

आगामी दो दशकों में पूर्वी जर्मनी वर्कफोर्स की संख्या 5,60,000 से 12 लाख तक घट सकती है. 2070 तक इसके 21 लाख तक गिरने का अनुमान है. आप्रवासियों की बढ़ती संख्या के कारण हो सकता है कि ये कमी, इतनी ज्यादा ना हो.

पूरब में विविधता और दक्षिणपंथी विचारधारा

डीडब्ल्यू ने श्नाइडर से पूछा कि देश के पूर्वी हिस्से में धुर दक्षिणपंथी पार्टी, अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) इतनी लोकप्रिय क्यों है? इसका तुरंत जवाब देते हुए उन्होंने कहा, "पूर्वी जर्मनी में, बहुमत हमेशा चुनाव में लोकतांत्रिक पार्टियों के साथ रहा है."  हालांकि वह दक्षिणपंथ की समस्या को भी स्वीकार करते हैं.

लाइपजिग यूनिवर्सिटी के हालिया शोध के मुताबिक, जर्मनी के पूर्वी इलाकों में रहने वाले दो तिहाई लोग मानते हैं कि देश को एक "मजबूत नेता" की जरूरत है. वहीं 60 फीसदी को लगता है कि जर्मनी में विदेशियों की संख्या बहुत ज्यादा है.

श्नाइडर के मुताबिक पूर्वी जर्मनी के समाज में विविधता बढ़ी है. एयफुर्ट शहर का उदाहरण देते हुए वह कहते हैं कि वहां 10 साल पहले विदेशी मूल के नागरिकों की संख्या दो फीसदी थी, जो आज 18 प्रतिशत है. श्नाइडर कहते हैं, "अगर आप किसी दूसरी संस्कृति वाले इंसान को जानते हैं और अपनी सांस्कृतिक जागरूकता को बढ़ाते हैं, तो पूर्वाग्रह बहुत तेजी से खत्म होते हैं."

कितने एक हो चुके हैं पूरब और पश्चिम?

पूर्वी प्रांतों के ग्रामीण इलाकों में एएफडी खासी मजबूत हो चुकी है. रिपोर्ट के मुताबिक ये वो इलाके हैं, जहां आबादी घट रही है. कुछ हद तक जनसेवाओं का अभाव भी दिखता है. श्नाइडर कहते हैं कि पूरे जर्मनी में शहरी और ग्रामीण इलाकों का अंतर, पूरब और पश्चिम के फासले के मुकाबले कहीं ज्यादा बड़ा है.

इसके बावजूद वह स्वीकारते हैं कि जर्मनी के हालात के बारे में पूर्वी हिस्से में रहने वाले लोगों की राय अलग है. एक हालिया सर्वे ने दिखाया कि 57 फीसदी जर्मनों को लगता है कि पूरब और पश्चिम एक साथ बड़े नहीं हुए.

श्नाइडर कहते हैं कि सिर्फ राजनीतिक कदम ही हर अंतर को पाट नहीं सकते, "यह समाज के भीतर से आना चाहिए, उसे इसमें दिलचस्पी लेनी चाहिए और एक दूसरे के साथ काम करना चाहिए. और मुझे लगता है कि पूर्वी जर्मनी के बहुत से लोग अकसर सोचते हैं कि उन्हें ठगा गया और उन पर उपकार सा किया गया, और इसका कोई कारण नहीं है."

रिपोर्ट: फेरेंक गाल