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कारोबारजर्मनी

मिस्र में जर्मन नंबरप्लेट लगा कर क्यों घूमते हैं लोग

१५ नवम्बर २०२२

कहां जर्मनी और कहां मिस्र. फिर भी काहिरा में कई कारों पर जर्मन लाइसेंस प्लेट लगी दिख जायेगी. मिस्र के बाजार की मांग पूरी करने के लिए अब कई चीनी कंपनियां भी जर्मन प्लेटों की नकल बनाने लगी हैं.

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Deutsche Auto-Kennzeichen auf Kairos Straßen
तस्वीर: Johannes Schmitt-Tegge/dpa/picture alliance

मिस्र में टैक्सी से लेकर महंगी बीएमडब्ल्यू तक पर असली नंबर प्लेट के नीचे आपको जर्मन लाइंसेस प्लेट दिख जाएगी. कुछ तो बिल्कुल असली हैं, जो काहिरा जैसे शहर में कैसे पहुंची यह कहना मुश्किल है. इतना तय है कि यहां ऐसी बेकार जर्मन नंबर प्लेटों की बड़ी मांग है. कुछ कारों पर यह असली वाली के ऊपर तो किसी में उनके बगल में टंगी दिखती हैं.

प्लेटों पर "D" लिखा होता है, माने डॉएचलैंड यानि जर्मनी का जर्मन नाम. इसके आगे लिखे अक्षरों से पता चलता है कि इनकी कारें किसी जमाने में बर्लिन से लेकर गीसन, आइशफेल्ड और कुसेल जैसे कई छोटे-बड़े शहरों में चली होंगी. 

सलीम वरदा मिस्र की राजधानी काहिरा में कार एक्सेसरीज की दुकान चलाते हैं. तरह तरह की चीजों के बीच ही कुछ जर्मन नंबर प्लेटें भी रखी दिख जाती हैं. इन्हें खरीद कर लोग टैक्सियों पर लगाते हैं, वैन और मिनीबस तक पर लगाते हैं. इसका मकसद सजावट है और जर्मन लाइसेंस प्लेट से सजावट को काफी उम्दा माना जाता है. काहिरा की व्यस्त सड़कों पर तो हर मिनट आपको ऐसी कोई गाड़ी दिख सकती है. वरदा बताते हैं, "इनकी काफी मांग है. लोगों को ये बहुत पसंद हैं."

Deutsche Auto-Kennzeichen auf Kairos Straßen
तस्वीर: Johannes Schmitt-Tegge/dpa/picture alliance

डी फॉर डॉएचलैंड का जलवा

कुछ के लिए लिए यह केवल सजावटी चीज है तो कुछ के लिए स्टेटस सिंबल. चाहे नंबर प्लेट जर्मनी के छोटे से छोटे शहर की हो, जैसे कि "GI" यानि गीसन, "HR" यानि होमबेर्ग/हेसे, "EIC" यानि आइशफेल्ड/थुरिंजिया, "KUS" यानि कुसेल/राइनलैंड-पेलैटिनेट या अहम शहरों जैसे "BN" यानि बॉन या "B" यानि बर्लिन.

जर्मन प्लेटें मिस्र की प्लेटों से लंबी होती हैं. इसलिए इन्हें कार मालिक असली नंबर प्लेट के नीचे लगाते हैं ताकि बांई ओर से "D" और EU लिखा हुआ नीला हिस्सा दिखाई देता रहे. इसके आगे अरबी भाषा में लिखी ओरिजिनल लोकल नंबर प्लेट होती है.

जर्मनी से बाहर पहुंचते कैसे हैं

मजेदार बात यह है कि मिस्र की ट्रैफिक पुलिस भी इस पर आपत्ति नहीं करती. उनके लिए इतना काफी है कि असली नंबर प्लेट पूरी तरह नजर आ रही हो. जर्मनी को भी इनसे कोई परेशानी नहीं है. इस बारे में जानकारी देते हुए फेडरल मोटर व्हीकल अथॉरिटी (फ्लेंसबुर्ग) के प्रवक्ता श्टेफान इमेन बताते हैं कि इन नंबरों का लाइसेंस जर्मनी में रद्द हो चुका होता है यानि वे नंबर जर्मनी में रजिस्टर्ड नहीं होते. अब इसके बाद वे नंबर प्लेटें कचरे में जाएं या किसी और के काम आएं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. कई बार ईबे जैसी ऑनलाइन शॉपिंग साइट पर भी इन्हें बेचा जाता है.

जर्मन लाइसेंस प्लेटों के एक और डीलर बताते हैं कि "मिस्र के लोगों को जर्मन कारों और जर्मनी दोनों से प्यार है." यहां दूसरे यूरोपीय देशों जैसे "E" से शुरु होने वाले स्पेन के या "F" से शुरु होने वाले फ्रांस के नंबर प्लेट भी दिख सकते हैं लेकिन "D"के मुकाबले काफी कम तादाद में.

Deutsche Auto-Kennzeichen auf Kairos Straßen
तस्वीर: Johannes Schmitt-Tegge/dpa/picture alliance

नकली प्लेटों का बाजार

इस ऊंची मांग के चलते मिस्र के कई स्थानीय उत्पादक और कई चीनी निर्माता भी जर्मन प्लेटों की नकल बना कर इस बाजार में बेचने लगे हैं. जानकार देखते ही बता देंगे कि इन प्लेटों के फॉन्ट, आकार और रंग थोड़े अलग दिखते हैं. चीन में बनी एक नकली प्लेट जहां करीब 1.30 यूरो में मिलती है वहीं असली पुरानी जर्मन प्लेट इससे कम से कम तीन गुना महंगी.

जर्मनी में कार ड्राइवरों के सबसे बड़े क्लब एडीएसी से मिली जानकारी के अनुसार हर साल जर्मनी से कतरीबन 160,000 लाइसेंसी प्लेटें चोरी भी होती हैं. कुछ को एलुमीनियम के दाम पर बाहर बेच दिया जाता है तो कई कबाड़ के साथ देश से बाहर निकलती हैं. काहिरा में एक कार सर्विस प्रोवाइडर कंपनी चलाने वाले काई बरकाऊ कहते हैं, "अब तक तो कार की लाइसेंसी नंबर प्लेटें खरीदने का कोई वैध तरीका हमें नहीं पता चला है."

मिस्र के ही गीजा के रहने वाले आयमान गाब के लिए जर्मन प्लेट के काफी गहरे मायने हैं. वह 16 साल से वहां टैक्सी चला रहे हैं. गाब कहते हैं, "जर्मन जीनियस होते हैं. मैं उन्हें बहुत पसंद करता हूं. वे इतने सुव्यवस्थित होते हैं और अपने काम को लेकर जुनूनी भी."

आरपी/एनआर(डीपीए)