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मध्य पूर्व के दौरे पर जर्मन उप चांसलर

येंस थुराऊ
६ जून २०२२

जर्मनी के उप चांसलर और आर्थिक नीति मंत्री रॉबर्ट हाबेक मध्य पूर्व के चार दिन के दौरे पर जा रहे हैं. इस दौरान उनका मुख्य जोर ऐसे प्रोजेक्ट्स की फंडिंग पर रहेगा जो रूसी गैस पाइप लाइनों का विकल्प बन सकें.

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रॉबर्ट हाबेक
रॉबर्ट हाबेक के दौरे में ऊर्जा सुरक्षा पर खास तौर से चर्चा होने की संभावना हैतस्वीर: Political-Moments/IMAGO

आर्थिक नीति मंत्री हाबेक का संबंध जर्मनी की ग्रीन पार्टी से है और उनका मध्य पूर्व दौरा खासा व्यस्त रहने वाला है. इस दौरान वह सबसे पहले इस्राएल जाएंगे और वहां की सरकार से बातचीत करेंगे. वह याद वाशेम में होलोकॉस्ट मेमोरियल भी जाएंगे. वह स्वायत्त फलस्तीनी प्राधिकरण के अधिकारियों से भी मिलेंगे. इसके बाद वह जॉर्डन जाएंगे जहां यूरोपीय, अफ्रीकी और अरब देशों के जलवायु और ऊर्जा सम्मेलन की सह अध्यक्षता करेंगे. वह एक एयरबेस का दौरा भी करेंगे जहां 150 जर्मन सैनिक तैनात हैं. अपनी यात्रा के आखिरी चरण में वह जॉर्डन के अल-अजराक शरणार्थी शिविर भी जाएंगे.

इस्राएली गैस यूरोप में?

जर्मनी के उप चांसलर हाबेक के इस्राएल दौरे में मुख्य जोर ऊर्जा और जलवायु के साथ साथ उच्च तकनीक के क्षेत्रों में सहयोग पर रहेगा. जर्मनी इन दिनों बड़ी शिद्दत से उन विकल्पों को तलाश रहा है जो रूसी ऊर्जा आपूर्ति का विकल्प बन सकें. हालांकि यह मुद्दा हाबेक के आधिकारिक दौरे के एजेंडे में तो शामिल नहीं है, लेकिन इस्राएल से गैस हासिल करने के बारे में भी इस दौरान चर्चा हो सकती है.

इस्राएल भूमध्य सागर से गैस निकलता है और अभी वह पानी के नीचे एक पाइपलाइन बिछाकर इस गैस को तुर्की और फिर वहां से दक्षिणी यूरोपीय देशों तक पहुंचाने के बारे में बात कर रहा है. अभी रूस यूरोपीय देशों को सालाना 155 अरब घन मीटर गैस की आपूर्ति करता है. इसीलिए रूस का विकल्प तलाशना एक चुनौती है.

रूसी गैस के बिना यूरोप का काम चलेगा?

मिसाइल शील्ड

अप्रैल में छपी कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि जर्मनी इस्राएल से "एरो3" मिसाइल शील्ड सिस्टम खरीदेगा, जिसे बहुत ही कारगर माना जाता है. दो अरब यूरो की लागत वाले इस सिस्टम को जल्दी से डिलीवर किया जा सकता है.

जर्मन एयर फोर्स के इंस्पेक्टर इंगो गेरहार्त्स ने अप्रैल में येरुशलम पोस्ट अखबार को बताया कि इस्राएल और अमेरिका मिसाइल शील्ड की बिक्री के लिए सहमत हो गए हैं. उन्होंने बताया कि अभी जर्मनी के पास पर्याप्त मिसाइल डिफेंस नहीं है, "इसीलिए हम एरो3 के बारे में गंभीरता से सोच रहे हैं और हमारी इस सिस्टम में दिलचस्पी है."

यह सिस्टम जर्मनी में होने की वजह से वह पोलैंड और दूसरे बाल्टिक देशों को भी रूस के संभावित हमले से बचा सकता है. यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद इस्राएल के दौरे पर गए जर्मन सांसदों के एक समूह ने भी इस सिस्टम को खरीदने की पैरवी की थी.

Bundeswirtschaftsminister Habeck in Katar
इस साल की शुरुआत में हाबेक ने कतर का दौरा किया थातस्वीर: Bernd von Jutrczenka/dpa/picture alliance

ग्रीन हाइड्रोजन और ऊर्जा दक्षता

हाबेक अन्य यूरोपीय देशों के साथ मिलकर जॉर्डन में मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीकी देशों के सम्मेलन की अध्यक्षता भी करेंगे. इस क्षेत्र में लगभग 20 देश आते हैं. इन सभी देशों में सौर ऊर्जा के लिए बहुत संभावनाएं हैं और यूरोप इस बारे में तकनीकी मदद के जरिए सहयोग को बढ़ाना चाहता है.

ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन के लिहाज यह सहयोग खासकर जरूरी है. हाबेक का कहना है कि मौजूदा भूराजनीतिक चुनौतियों को देखते हुए इस देशों के साथ सहयोग बहुत महत्वपूर्ण है.

जर्मन सैनिकों और सीरियाई शरणार्थियों से मुलाकात

अपने दौरे के आखिरी चरण में हाबेक जर्मनी के आर्थिक नीति मंत्री से ज्यादा उप चांसलर वाली भूमिका में दिखेंगे. वह जॉर्डन में तैनात जर्मन सैनिकों से मिलेंगे और अल अजराक शिविर में भी जाएंगे. जॉर्डन में कट्टरपंथी चरमपंथियों के खिलाफ अमेरिका के नेतृत्व में जारी अभियान में 150 जर्मन सैनिक भी शामिल हैं. यहां जर्मन सैनिकों का मुख्य काम विमानों में ईंधन भरना है.

जॉर्डन का अल अजराक शिविर सीरिया की सीमा से 100 किलोमीटर दूर है और यहां सीरियाई गृह युद्ध से जान बचाकर भागे कई लाख शरणार्थी रहते हैं. यहां हाबेक के पास इस बात को जाहिर करने का मौका होगा कि सारा ध्यान यूक्रेन में जारी रूसी हमले के बावजूद सीरिया के लोगों की तकलीफों को भुलाया नहीं गया है.

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