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रूसी गैस की सप्लाई घटने से जर्मनी को 60 अरब यूरो का नुकसान

२३ सितम्बर २०२२

जर्मनी की अर्थव्यवस्था ऊर्जा संकट के चलते 60 अरब यूरो का नुकसान झेलेगी. रूस से गैस की सप्लाई घटने के कारण ऊर्जा पर खर्च बढ़ गया है जिसका जर्मनी के आम लोगों और अर्थव्यवस्था पर काफी ज्यादा असर हुआ है.

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यूरोप का उर्जा संकट
पूरे यूरोप के लिये यूक्रेन का युद्ध एक बड़ा ऊर्जा संकट ले कर आया हैतस्वीर: Bernd Thissen/dpa/picture alliance

रूसी गैस पर निर्भरता ने यूरोपीय देशों के लिये यूक्रेन युद्ध का संकट ज्यादा बड़ा कर दिया है. यूक्रेन पर हमला और उसके बाद पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के साये में जो आर्थिक समस्यायें खड़ी हुई हैं उनमें फिलहाल यूरोपीय देशों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है. यूरोप के बड़े देश जो रूसी ऊर्जा पर ज्यादा निर्भर हैं, इसकी ज्यादा बड़ी कीमत चुका रहे हैं.

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संकट से जल्द राहत नहीं

जर्मनी के आर्थिक मामलों के मंत्री रॉबर्ट हाबेक ने बताया है कि इस साल जर्मन अर्थव्यवस्था को 60 अरब यूरो का नुकसान होगा. इतना ही नहीं अगले साल यह नुकसान 100 अरब यूरो तक जाने की आशंका है. इसका मतलब साफ है कि मौजूदा संकट से जर्मनी को जल्दी ही राहत मिलने की उम्मीद नहीं है.

जर्मन उद्योग महासंघ, बीडीआई के जलवायु कांग्रेस के दौरान उन्होंने यह जानकारी दी. यह रकम जर्मनी के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की करीब दो फीसदी के बराबर है.

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जर्मन मंत्री हाबेक ने कहा, "जर्मन अर्थव्यवस्था के कोर में अलग अलग सेक्टरों में, हर जगह पैसे की कमी है." हाबेक ने पूरी अर्थव्यवस्था के लिये इसे संकट बताया और कहा कि पहले ऊर्जा के लिहाज से जर्मनी सुरक्षित था लेकिन अब उसके लिये संकट है.  

रूसी गैस के अलावा इसमें फ्रांस के बिजली का संकट भी शामिल है. फ्रांस में परमाणु बिजली घरों से आने वाली बिजली का एक बड़ा हिस्सा पिछले कई महीनों से बंद है. फ्रांस के 56 में से सिर्फ 28 रियेक्टर ही काम कर रहे हैं वो भी अपनी पूरी क्षमता के साथ नहीं. फ्रांस की नदियां सूखे का सामना कर रही हैं और इसका असर परमाणु रियेक्टरों पर पड़ा है.

जर्मनी में ऊर्जा का संकट
जर्मनी को अपने बंद पड़े कोयले से चलने वाले बिजली घर चालू करना पड़ा हैतस्वीर: Jochen Tack/IMAGO

जर्मनी पर दोतरफा मार

हाबेक ने फ्रांस के अधिकारियों से हुई बातचीत के आधार पर उम्मीद जताई है कि क्रिसमस तक फ्रांस के परमाणु बिजली घरों से 50 गीगावाट बिजली मिलने लगेगी. हालांकि उन्होंन इस ओर भी ध्यान दिलाया कि हाल में हुए एक परीक्षण के दौरान 45 गीगावाट बिजली मिली.

जर्मनी में ऊर्जा क्षेत्र पर दोतरफा मार पड़ी है. एक तरफ वह जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिये कोयले और परमाणु ऊर्जा से दूर जा रहा है दूसरी तरफ गैस की सप्लाई बाधित हो गई है. ऐसे हालात में उसके पास विकल्प कम हैं. अक्षय ऊर्जा से इस कमी को पूरा करने में अभी समय लगेगा और तब तक गैस सप्लाई का कोई विकल्प तैयार करना बड़ी चुनौती है. अगर जर्मनी दूसरे देशों से गैस खरीदना चाहे तो उसके लिये भी पाइपलाइन या एलएनजी टर्मनिल बनाने में वक्त लगेगा. हालांकि संकट को देखते हुए सरकार ने इस ओर तेजी से प्रयास शुरू कर दिये हैं और एलएनजी टर्मिनल बनाने का काम शुरू हो रहा है.

एनआर/ओएसजे (डीपीए)