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जर्मनी: धुर-दक्षिणपंथी पार्टी पहली बार राज्य जीतने के करीब

३१ अगस्त २०२४

जर्मनी के दो राज्यों, थुरिंजिया और सैक्सनी में 1 सितंबर को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान है. सिर्फ 11 साल पुरानी धुर-दक्षिणपंथी एएफडी पार्टी कम-से-कम एक राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनने की राह पर है.

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थुरिंजिया की विधानसभा में भाषण देते ब्यॉर्न होएके. यह तस्वीर 2023 की है.
ब्यॉर्न होएके, पूर्वी जर्मनी के राज्य थुरिंजिया में एएफडी का प्रमुख चेहरा हैं. माइग्रेशन पर सख्त रवैया, एएफडी के मुख्य एजेंडा में है. तस्वीर: Martin Schutt/dpa/picture alliance

जर्मनी के थुरिंजिया राज्य में धुर-दक्षिणपंथी ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) को स्पष्ट बढ़त मिलने का अनुमान है. चुनावी सर्वेक्षणों में कई महीनों से यहां एएफडी सबसे बड़ी पार्टी बनती नजर आ रही है. 30 अगस्त के ताजा रुझानों में पार्टी को थुरिंजिया में 29.5 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है. 22.3 प्रतिशत वोटों के साथ क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक यूनियन (सीडीयू) दूसरे नंबर पर है.

पॉप्युलिस्ट पार्टी बीएसडब्ल्यू (सारा वागनक्नेष्ट अलायंस) के लिए यह पहला बड़ा चुनावी मुकाबला है. थुरिंजिया में उसे 18 फीसदी वोट मिलने की संभावना है. वहीं, सत्तारूढ़ केंद्र सरकार की तीनों पार्टियों की हालत खराब है. चांसलर ओलाफ शॉल्त्स की एसपीडी को 6.3 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है. ग्रीन्स (3.5 फीसदी) और एफडीपी (2.9 प्रतिशत) विधानसभा में सीट पाने की पांच फीसदी न्यूनतम वोट पात्रता से भी पीछे हैं.

एएफडी के खिलाफ एक रैली निकाल रहे लोग. यह तस्वीर अगस्त 2024 की है.
कारोबार जगत की ओर से आशंका जताई जा रही है कि धुर-दक्षिणपंथी कट्टरपंथ के कारण प्रशिक्षित विदेशी कामगारों और निवेश को आकर्षित करना जर्मनी के लिए मुश्किल हो सकता है. जर्मनी, यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. तस्वीर: Wolfgang Rattay/REUTERS

एएफडी सिर्फ 11 साल पुरानी पार्टी है. सर्वेक्षण सही साबित हुए, तो दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह पहली बार होगा जब जर्मनी की किसी प्रदेश विधानसभा में धुर-दक्षिणपंथी पार्टी की सबसे ज्यादा सीटें होंगी. इस स्थिति में भी एएफडी के सरकार बनाने की संभावना नहीं लगती क्योंकि एक तो उसे अपने दम पर बहुमत मिलता नहीं दिख रहा. दूसरा, बाकी दलों ने उसके साथ गठबंधन की संभावनाओं से इनकार किया है. हालांकि, एएफडी के पास सबसे ज्यादा सीटें होने से विधानसभा में वह ताकतवर भूमिका में होगी. 

जर्मनी का थुरिंजिया राज्य कैसे बना धुर-दक्षिणपंथी पार्टी का गढ़

सैक्सनी में सीडीयू और एएफडी के बीच टक्कर

सैक्सनी-आनहाल्ट में सीडीयू मामूली बढ़त के साथ पहले स्थान पर है. ताजा ओपिनियन पोल्स में सीडीयू को 32.3 प्रतिशत और एएफडी को 30.6 फीसदी मत मिलते दिख रहे हैं. बीएसडब्ल्यू 13.2 प्रतिशत वोटों के साथ यहां भी तीसरे नंबर पर है. थुरिंजिया के मुकाबले सैक्सनी में एसपीडी की स्थिति (6.3 प्रतिशत वोट) अपेक्षाकृत बेहतर है. ग्रीन्स को 5.6 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है.

1.1 प्रतिशत वोटों के साथ एफडीपी की संभावनाएं बेहद कमजोर हैं. आईएनएसए के ताजा सर्वे के मुताबिक, अगर जर्मनी में अगले साल की जगह अभी आम चुनाव हों, तो एफडीपी को जर्मन संसद में जगह नहीं मिलेगी. यह सर्वे 23 अगस्त को जोलिंगन में चाकू से हुए हमले के बाद किया गया. इससे पहले 2013 से 2017 के बीच भी एफडीपी को जर्मन संसद बुंडेस्टाग में प्रतिनिधित्व नहीं मिल सका था.

यूरोपीय संसद के चुनाव के बाद सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी (एसपीडी) की एक बैठक में हिस्सा लेते जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स.
शॉल्त्स सरकार के आगे धुर-दक्षिणपंथ की बढ़ती स्वीकार्यता और अपने घटते जनाधार के बीच राह निकालने की चुनौती होगी. माइग्रेशन पॉलिसी, यूरोपीय एकजुटता, यूक्रेन युद्ध जैसे राष्ट्रीय नीतियों से जुड़े पक्षों को भी विधानसभा चुनाव के नतीजे प्रभावित कर सकते हैं.तस्वीर: Markus Schreiber/AP/picture alliance

सीडीयू 1990 से ही सैक्सनी की सत्ता में है. अभी यहां सीडीयू के नेतृत्व में गठबंधन सरकार है, जिसे ग्रीन्स और एसपीडी भी हैं. राज्य के मुख्यमंत्री मिषाएल क्रेत्शमर लोकप्रिय माने जाते हैं. अगर चुनाव से पहले के रुझान सही होते हैं, तो यह गठबंधन सरकार कायम रह सकती है. सीडीयू करीब 33 फीसदी वोट, एसपीडी 7 प्रतिशत और ग्रीन्स के 6 प्रतिशत वोट मिलाकर गठबंधन को 46 फीसदी तक वोट मिल सकता है. यह क्रेत्शमर सरकार के लिए पर्याप्त होगा. सीडीयू और बीएसडब्ल्यू में संभावित गठजोड़ की भी संभावना जताई जा रही है.

जर्मनी के विधानसभा चुनाव में विदेश नीति क्यों बना बड़ा मुद्दा

राष्ट्रीय राजनीति पर भी असर

सैक्सनी और थुरिंजिया, दोनों ही राज्यों में जनादेशों का पूर्वानुमान स्पष्ट तौर पर शॉल्त्स सरकार और उसकी नीतियों के खिलाफ नाराजगी की तरह देखा जा रहा है. सितंबर 2025 में देश का अगला संसदीय चुनाव है. पहले से ही बजट जैसे अहम पक्षों पर संघर्ष कर रही गठबंधन सरकार के लिए ये एक साल खासे मुश्किल हो सकते हैं.

शॉल्त्स सरकार के आगे धुर-दक्षिणपंथ की बढ़ती स्वीकार्यता और अपने घटते जनाधार के बीच राह निकालने की चुनौती होगी. माइग्रेशन पॉलिसी, यूरोपीय एकजुटता, यूक्रेन युद्ध जैसे राष्ट्रीय नीतियों से जुड़े पक्षों को भी विधानसभा चुनाव के नतीजे प्रभावित कर सकते हैं.

सीडीयू के एक चुनावी अभियान के दौरान पार्टी प्रमुख फ्रीडरिष मेर्त्स.
डिपोर्टेशन पर सरकार की ओर से की गई हालिया सख्तियों को विपक्षी दलों ने अपर्याप्त बताया है. सीडीयू के नेता फ्रीडरिष मेर्त्स ने कहा है कि शरण मांगने वालों की बड़ी संख्या राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि शॉल्त्स सरकार अब भी असली समस्या पर ध्यान नहीं दे रही है. मेर्त्स ने "राष्ट्रीय आपातकाल" लागू करने की मांग करते हुए कहा कि डिपोर्टेशन तेज किए जाएं. तस्वीर: Steffen Proessdorf/foto2press/Imago Images

एएफडी की सरकार से कारोबार पर असर पड़ेगा?

धुर-दक्षिणपंथी राजनीति से जुड़ी एएफडी के बढ़ते आधार से कारोबार के मोर्चे पर कई चिंताएं उपज रही हैं. फेडरेशन ऑफ जर्मन इंडस्ट्रीज (बीडीआई) के अध्यक्ष जीगफ्रीड रूस्सवुर्म ने एक हालिया इंटरव्यू में चिंता जताई कि एएफडी के प्रवासी-विरोधी और कारोबार-विरोधी रुख के कारण जर्मनी में प्रशिक्षित कामगारों की कमी का संकट और गहरा सकता है. यह देश को आर्थिक तौर पर नुकसान पहुंचाएगा. उन्होंने थुरिंजिया में एएफडी के नेता ब्यॉर्न होएके की भी आलोचना की.

होएके, एएफडी के सबसे विवादित और चरमपंथी नेताओं में से एक बताए जाते हैं. वह थुरिंजिया की प्रांतीय विधानसभा में एएफडी विधायक दल के नेता और विधानसभा चुनाव में पार्टी का मुख्य चेहरा हैं. होएके अपने विवादित बयानों के लिए चर्चा में रहते हैं. जर्मनी की एक अदालत ने 2019 में फैसला दिया था कि प्रदर्शनकारी उन्हें "फासिस्ट" बुला सकते हैं. होएके दो बार प्रतिबंधित नाजी नारा लगाने के दोषी पाए जा चुके हैं. एएफडी के जीतने की संभावनाओं पर रूस्सवुर्म ने कहा, "सरकार में एएफडी की भागीदारी अर्थव्यवस्था और पूर्वी जर्मनी की समृद्धि को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाएगी."

पूर्वी जर्मनी में एएफडी को इतनी सफलता क्यों मिल रही है

नाजी दौर में यहूदियों के साथ हुए अपराध और उन्हें दी गईं यातनाएं जर्मनी में बेहद संवेदनशील विषय हैं. यह कहना कि होलोकॉस्ट नहीं हुआ, अपराध है. इसी तरह नाजी प्रोपेगैंडा का प्रसार भी अपराध है. साल 2017 में होएके ने जर्मनी में मनाए जाने 'होलोकॉस्ट स्मृति दिवस' की आलोचना की और यूरोप में मारे गए यहूदियों के बर्लिन स्थित स्मारक को "शर्मिंदगी का स्मारक चिह्न" बताया. होएके ने कहा, "अतीत के दबाव में आने की इस मूर्ख राजनीति ने हमें लाचार बना दिया है. हमें स्मृति की राजनीति पर 180 डिग्री का बदलाव चाहिए."

क्या जल्द ही जर्मनी के एक राज्य में बन सकती है "फासिस्ट" सरकार

ब्रांडनबुर्ग में भी मतदान

सैक्सनी और थुरिंजिया के बाद 22 सितंबर को ब्रांडनबुर्ग राज्य में भी मतदान है. 6 अगस्त तक के सर्वेक्षणों में एएफडी के यहां 24 फीसदी वोट के साथ पहले नंबर पर रहने का अनुमान है. 20 फीसदी मतों के साथ एसपीडी दूसरे नंबर और 19 फीसदी वोटों के साथ सीडीयू तीसरे नंबर पर हैं.

ग्रीन को पांच फीसदी वोट और एफडीपी को केवल दो प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है. ब्रांडनबुर्ग विधानसभा में 88 सीटें हैं. बहुमत के लिए 45 सीटें चाहिए. एएफडी पहली बार 2014 में तीन राज्यों की विधानसभाओं में दाखिल हुई थी.

एसएम/आरएस (डीपीए, रॉयटर्स, एपी, एएफपी)