जर्मन कारें करीब एक सदी से अपनी गुणवत्ता के लिए मशहूर रही हैं. दशकों की कड़ी मेहनत के बाद जर्मन कार निर्माताओं ने दुनिया में सबसे उम्दा पैसेंजर कार बनाने की ख्याति हासिल की. लेकिन अब जर्मन कारें अपनी साख पर खरी नहीं उतर रही हैं. जर्मन ऑटोमोबिल सेक्टर की छवि दांव पर लगी है. क्या "मेड इन जर्मनी" कारें अपना खोया गौरव फिर हासिल कर सकेंगी?